एहतियात बरत कर मुकाबला करें बीमारियों से : डा. संतराम

तीन लेयर वाला मास्क पहनें, हाथों को स्वच्छ रखें, धूम्रपान न करें
 

नोएडा । एक तो कोरोना उस पर बढ़ते प्रदूषण का स्तर, ऊपर से सर्द होता मौसम। इन तीनों का मेल (कांबिनेशन) आम आदमी को स्वास्थ्य के प्रति सचेत  कर रहा है। कोरोना का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर होता है और बढ़ता प्रदूषण भी फेफड़ों के लिए नुकसानदायक है, ऐसी स्थिति में दमे (अस्थमा) के रोगियों के लिए तो यह स्थित बहुत ही खतरनाक है, साथ ही स्वस्थ आदमी के लिए भी यह हालात ठीक नहीं है। शहर में हवा की गुणवत्ता फिर से रेड जोन में लौट आयी है। बृहस्पतिवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) २५४ थी, जबकि इसका स्तर ५० से कम होना चाहिये। चिकित्सकों का कहना है कि प्रदूषण का यह स्तर आम आदमी में अस्थमा जैसी दिक्कत पैदा कर सकता है। वैस भी सर्दी के मौसम में अस्थमा, फ्लू की समस्या, गले में खराश, हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डा. संतराम वर्मा कहते हैं कि कोरोना, प्रदूषण और सर्दी, इन तीनों का मेल स्वास्थ्य की दृष्टि के बहुत ही खतरनाक है। ऐसे समय में हर किसी को बहुत ज्यादा संभल कर रहने की जरूरत है। जरा सी लापरवाही घातक साबित हो सकती है। डा. वर्मा कहते हैं कि वैसे भी कोरोना संक्रमण का असर सबसे ज्यादा फेफड़ों पर होता है। ऐसी स्थिति में बढ़ता प्रदूषण स्थिति को और ज्यादा खतरनाक बना देगा। उन्होंने कहा इस समय जो वायु में प्रदूषण की मात्रा है उसमें अस्थमा के रोगियों को बहुत ज्यादा दिक्कत हो सकती है। उन्होंने बताया सर्दी का मौसम अन्य बीमारियों को हवा देता है। सर्दी में अस्थमा, फ्लू की समस्या, गले में खराश, हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। डा. वर्मा का कहना है कि हम सामूहिक प्रयास से प्रदूषण को जितना कम पाये उतना ठीक है पर जरूरी एहतियात बरत कर इस सब से मुकाबला कर सकते हैं। थोड़ी सी सावधानी हमें बड़े नुकसान से बचा सकती है। इसलिए इस समय सभी को कोशिश करनी चाहिये कि वह जब भी बाहर निकलें तीन लेयर वाला मास्क जरूर पहनें। जो लोग सिगरेट बीड़ी पीते हैं उन्हें और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। ऐसे लोग कोशिश करें कि धूम्रपान न करें। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण इस समय कोई भी बीमारी घातक साबित हो सकती है इसलिए दिक्कत होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें।
डा.वर्मा का कहना है कि जो लोग समय पर स्वास्थ्य संबंधी बातों का ध्यान रखते हैं और मौसम के अनुरूप अपना खयाल रखते हैं, उन्हें बीमारियां कम लगती हैं, लेकिन जो लोग बदलते मौसम में शरीर की जरूरतों का बिल्कुल ध्यान नहीं रखते, उन्हें कई बीमारियां अपनी चपेट में ले लेती हैं। ऐसे में क्यों न सावधानी बरतकर स्वस्थ रहा जाए।
सर्दी-जुकाम
इसे कॉमन कोल्ड भी कहते हैं, जो तापमान में परिवर्तन के कारण होता है। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें यह जल्दी पकड़ता है। संक्रमण वाली इस बीमारी के वारयस से बचने के लिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखना होता है। बार-बार हाथ को साबुन से धोते रहना चाहिए, ताकि संक्रमण से बचे रह सकें। यह वायरल इंफेक्शन है, इस कारण इसमें एंटीबायटिक की जरूरत नहीं होती और यह पांच से सात दिन में खुद ही ठीक हो जाता है। इसमें भाप, नमक के पानी के गरारे आदि काफी लाभदायक हैं। इसमें गर्म तरल पदार्थ का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। तुरंत गर्म से ठंडे में और ठंडे से गर्म में न जाएं, अन्यथा इससे इस संक्रमण की गिरफ्त में आ सकते हैं।
अस्थमा
यह एक एलर्जिक बीमारी है। जिन लोगों को यह बीमारी होती है, सर्दी के मौसम में उनकी तकलीफ बढ़ जाती है। सर्दियों में कोहरा बढ़ जाता है। एलर्जी के तत्व इस मौसम में कोहरे की वजह से आसपास ही रहते हैं। इन तत्वों से अस्थमा के रोगियों को अधिक तकलीफ होती है। इस कारण इस मौसम में ऐसे लोगों के लिए धूल-मिट्टी से बचना बहुत जरूरी है। दवा खा रहे हैं तो उसे नियमित रूप से लें। 
टॉन्सिलाइटिस
बच्चों में पाई जाने वाली यह आम समस्या भी टॉन्सिल में संक्रमण के कारण होती है। गले में काफी दर्द होता है। खाना खाने में दिक्कत होती है, तेज बुखार भी हो सकता है। यह बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण से हो सकता है।  इससे बचे रहने के लिए इस मौसम में ठंडी चीजों का प्रयोग करने से बचें। गर्म भोजन और गुनगुने पानी का प्रयोग करें। कुछ भी खाने से पहले हाथ जरूर धोएं।

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