फसल अवशेष जलाने के नाम पर किसी भी कृषक का उत्पीडन नही होने दिया जायेगा
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में सम्पन्न हुयी कृषक जागरूकता गोष्ठी
मेरठ । विकास भवन सभागार में जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबन्धन पर आयोजित कृषक जागरूकता गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये जिलाधिकारी के बालाजी ने कहा कि फसल अवशेषों को खेत में जुताई कर मिलाने से मृदा की उर्वरा शक्ति में होने वाली बढोत्तरी होती है। उन्होंने कृषि एवं सम्बद्ध विभागों के अधिकारियों को कृषि यंत्रों का स्थलीय प्रदर्शन कराने हेतु निर्देशित किया तथा कृषकों को आश्वस्त किया गया कि गन्ना मिलों का संचालन समय से कराकर शीघ्र गत वर्ष का समस्त भुगतान कराया जायेगा, फसल अवशेष जलाने के नाम पर किसी भी कृषक का उत्पीडन नहीं होने दिया जायेगा।
प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फॉर इन.सीटू मैनेजमैन्ट आफ क्राप रेजीडयू योजनान्तर्गत जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबन्धन पर आयोजित कृषक जागरूकता गोष्ठी में मुख्य विकास अधिकारी ईषा दुहन ने कृषकों से अनुरोध किया कि फसल अवशेषों का प्रबन्धन करते हुये अपने प्रयोगार्थ हेतु अपनी जमीन में जैविक सब्जियां उगायें। कृषक अपनी आय में वृद्धि हेतु कृषि विविधीकरण को अपनायें। गन्ने के साथ सहफसली खेती कर अपनी आय बढाये। उन्होने कहा कि कृषि, गन्ना एवं सहकारिता विभाग फसल अवशेष प्रबन्धन के अनुदान पर वितरित किये गये यंत्रों का स्थलीय प्रदर्शन कराकर कृषकों को जागरूक करें।
गोष्ठी में प्रबोध कुमार, सहायक निदेशक, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला मेरठ द्वारा कृषकों को कृषक में अपनी खेत की मिटटी में उर्वरता बनाये रखने एवं अपनी खेती की मिटटी की जांच करने के सम्बन्ध में जागरूक किया गया। उन्होंने बताया कि कृषकों में अपनी खेती के प्रति नई जागरूकता उत्पन्न हुई है। अपनी खेत की उर्वरता बनाये रखने के लिये किसानों को अपने खेत की मिटटी प्रयोगशाला में जांच हेतु लाने का अनुरोध किया।
कृषि विज्ञान केन्द्र हस्तिनापुर के डा पी एस तिवारी द्वारा फसल प्रबन्धन के बारे में बताया गया कि १२ महीने ही फसल प्रबन्ध की बात याद रखनी चाहिये। फसल अवशेष प्रबंधन हेतु प्रयोग की जाने वाले आधुनिक कृषि यंत्रों के प्रयोग के विषय में अवगत कराया गया।
कृषक प्रवीण कुमार फसलों के अवशेष प्रबन्धन के विषय में जानकारी देते हुये खेत में धान पराली-गन्ना पत्ती जलाये जाने से भूमि के महत्वपूर्ण तत्व नष्ट हो जाने के बारे में जानकारी दी। उन्होने उपस्थित कृषकों अपने खेत में धान पराली-गन्ने की पत्ती को खेत में कृषि यंत्रों से मिटटी में मिलाने की विधि बताई। कुमार द्वारा अपने यहॉ २ एकड में जैविक खेती का उत्पादन करते हुये कृषको जैविक खेती करने हेतु प्रोत्साहित किया।
गोष्ठी में स्काउट गाइड के भाग लेने के भी शासन से प्राप्त दिशा-निर्देशों के क्रम में पूनम स्काउट गाइड द्वारा खेत में पराली जलाने के नुकसान एवं उससे पर्यावरण प्रदूषित होने के बारे में जानकारी दी। उनके द्वारा कृषको को बताया गया कि खेती में कम से कम कीटनाशक उर्वरकों का प्रयोग करें।
उप कृषि निदेशक मेरठ ब्रजेश चन्द्र द्वारा अवगत कराया गया कि फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु जनपद की १९ सहकारी समितियों, ६ गन्ना समितियों तथा ४ ग्राम पंचायतों को ८० प्रतिशत अनुदान पर मल्चर तथा रिर्वसेबल मैकेनिकल प्लाव, उपलब्ध कराये गये हैं। जिनको कृषक न्यूनतम किराये दर पर प्राप्त कर अपने खेतंों में प्रयोग कर सकते हैं। सभी गन्ना समितियों एवं सहकारी समितियों के माध्यम से कृषकों को निशुल्क वेस्ट डिकम्पोजर वितरित कराये जा रहे हैं। जिनका नियमानुसार प्रयोग कर कृषक फसल अवशेषों का उचित प्रबन्धन कर सकते हैं गोष्ठी में जिला गन्ना अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, एआर कॉआपरेटिव मेरठ, अपर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा भी विभागीय योजनाओं एवं फसल अवशेष प्रबन्ध हेतु किये जा रहे प्रयासों के बारे में अवगत कराया गया। कृषक शोदान सिंह अम्हेडा , राजकुमार बाफर, मान सिंह गेझा, प्रेमचन्द शर्मा आदि कृषकों द्वारा भी विचार व्यक्त किये गये। एवं कृषकों का कार्यशाला में भाग लेने हेतु आभार प्रकट किया गया। गोष्ठी में लगभग १०० कृषक एवं कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।
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