प्रमुख संवाददाता 

मेरठ। असुरक्षित तरीके से गर्भपात की वजह से गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे भू्रण की असमय मृत्यु की घटनाओं पर अंकुश लगाने और अपरिहार्य परिस्थितियों में सुरक्षित गर्भपात सुनिश्चित करने के लिये साझा प्रयास नेटवर्क बखूबी काम कर रहा है। सामाजिक संस्था ग्रामीण समाज विकास केंद्र मेरठ जिले में शहर तथा ग्रामीण इलाकों तक सुरक्षित गर्भसमापन की सेवाएं पहुंचाने के लिए सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम कर रही है और प्रयास किया जा रहा है कि हर महिला जो भी सुरक्षित गर्भपात की सुविधा से वंचित है उसे सुरक्षित गर्भपात, परिवार नियोजन के साथ.साथ हर वह सुविधा मिले ,जिसका वह सामाजिक और कानूनी रुप से भी अधिकार रखती है।
 संस्था की प्रोग्राम ऑफिसर रविता और प्रोग्राम डायरेक्टर अमित ने बीजेपी विधायक सत्यवीर त्यागी से इस सिलसिले में मुलाकात की और इस दौरान विधायक से सुरक्षित गर्भपात समापन को लेकर अहम मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मातृ मृत्यु दर में करीब 8 प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु असुरक्षित तरीके से गर्भसमापन के कारण हो जाती है। मातृ मृत्यु दर की बढोतरी को रोकने और असुरक्षित गर्भसमापन के प्रतिकूल परिणामों को रोकने के प्रयासों के अतंर्गत भारत सरकार ने 1971 में गर्भ समापन कानून बनाया था। इस कानून के अंतर्गत 20 सप्ताह तक की अवधि के गर्भ को सुरक्षित तरीके से गर्भ समापन कराया जा सकता है। बीजेपी विधायक सत्यवीर त्यागी ने ग्रामीण समाज विकास केंद्र के द्वारा किए गए प्रयासों को सराहा और कहा कि वह लोगों को सुरक्षित गर्भ समापन के प्रति जागरुक करने में हर संभव मदद करेंगे।
संस्था के सचिव मेहर चंद ने कहा कि असुरक्षित गर्भ समापन के कारण गंभीर समस्याओं के उभरने के कारण जिन महिलाओं को उपचार की जरूरत पडती हैं, उनकी संख्या महिलाओं को अभी भी काफी ज्यादा है और इसके चलते ज्यादातर महिलाओं को ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैे असुरक्षित गर्भ समापन प्रक्रियाओं, अप्रशिक्षित गर्भ समापन करने वालों, बाधक गर्भ समापन कानून और गर्भ समापन के कारण ऊंची मृत्यु और अस्वस्थता दरें यह सभी अक्सर एक दूसरे को बढावा देते हैें।


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