हमें आपस में शारीरिक दूरी. स्वच्छता और मास्क पहनना होगा
नयी दिल्ली। पूरे विश्व में कोरोना से लडने के लिये वैक्सीन बनाने के लिये जोर शोर कार्य जारी है। अंतिम चरण में इसका परीक्षण जानवरों के बाद अब मनुष्य पर होने वाला है। इसके लिये लोगों को को चयनित करने का कार्य जारी है। देश भी में भी कई कंपनिया विदेशी कंपनियों के कोलोबोरेशन केेसाथ वैक्सीन बनाने में जुटे है। यह सब कार्य इतनी जल्दी हो रहा है। जरूरी नहीं कोरोना के लिये तैयार रही वैक्सीन कारगर हो। ऐसे में अपनी इम्यूनिटी को मजबूत रखना हो गया है। ऐसे में मास्क को हटाना जल्दबाजी होगी।
सबसे ज़रूरी है ये समझना किए क्योंकि कोरोना वायरस की वैक्सीन इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए जल्दबाज़ी में बनाई गई है, इसलिए ज़रूरी नहीं कि ये कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी को मज़बूत करने में पूरी तरह से असरदार हो। हां, ये ज़रूर है कि वैक्सीन एक कोविड.19 रोगी के दोबारा संक्रमित होने की संभावना को कम कर सकती है। यहां तक कि लक्षण भी विकसित नहीं होंगे, लेकिन वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ तुरंत पूर्ण सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाएगी और न ही लोगों को संक्रमण से पूरी तरह बचा पाएगी।
अभी तक, वैक्सीन उम्मीदवारों को कोविड.19 संक्रमण को रोकने में कम से कम 60 से 70 प्रतिशत प्रभावकारिता प्रदान करने का लक्ष्य है।
कोरोना के लिए कोई जादू साबित नहीं होगी वैक्सीन
साइन्स इंसाइडर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, मारिया एलेना बोट्टाज़ी, जो बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में वैक्सीन विकसित करती हैं ने कहा है जैसे ही आपको वैक्सीन मिले, इसका मतलब ये नहीं है कि अब आप अपना मास्क कूड़े में फेंक सकते हैं। ऐसा नहीं होने वाला है। मुझे उम्मीद है कि लोग ये नहीं सोच कर बैठे हैं कि वैक्सीन जादुई तरीके से वायरस को ख़त्म कर देगी। इसका मतलब ये होगा, कि हमें एक बेहतर वैक्सीन बनाने के ज़रूरत है, जो कोरोना वायरस संक्रमण को पूरी तरह से ख़त्म करे। हालांकि, इसमें काफी वक्त लगेगा।
क्या निकला नतीजा
अब हमें ये समझ आ गया है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन के आने का मतलब ये नहीं होगा कि हम महामारी से पहली वाली जिंदगी जी पाएंगे। वैक्सीन के बावजूद हमें आपस में शारीरिक दूरी, स्वच्छता और मास्क पहनना होगा, ताकि वैक्सीन अपना काम प्रभावी ढंग से कर पाए।
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