कोरोना से अधिक संदिग्ध मौतों का आंकड़ा खतरनाक
-इलाज के अभाव में दम तोड़ रही जिंदगी, लगातार हो रही मौत
-चिकित्सक नहीं बैठ रहे क्लीनिक पर, अस्पताल नहीं कर रहा भर्ती

  मेरठ से लियाकत मंसूरी की रिपोर्ट 
 न्यूज प्रहरी , मेरठ। कोरोना वायरस का ग्राफ जनपद में लगातार बढ़ रहा है। एक या दो नहीं, बल्कि पांच-दस से अधिक संक्रमित मरीज रोजाना मिल रहे हैं। चिंता की लकीरें स्वास्थ्य विभागों से जुड़े चिकित्सकों के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों के माथे पर भी खींच रही है। मौत का आंकड़ा २० तक पहुंच गया है। डर के कारण प्राइवेट चिकित्सकों ने अपनी सेवाएं देनी बंद कर दी है। अस्पताल भी मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं। इसका नतीजा ये निकल रहा है कि कोरोना संदिग्ध मरीजों की मौत हो रही है और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

 दो माह से लॉकडाउन लगा हुआ है। लोग घरों में कैद हैं। जीवन एकदम ठहर गया है। सडक़ें सूनसान है। बाजार बंद है। कोई त्यौहार नहीं मनाया जा रहा। धार्मिक स्थल के दरवाजें भी बंद हैं। उम्मीद की किरन नजर नहीं आ रही। जिस तरह से मेरठ में संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है, इससे लोगों में डर बैठ गया है। तनाव बढ़ता जा रहा है। जो पहले से ही बीमार है, उनको ठीक से इलाज नहीं मिल रहा। प्राइवेट चिकित्सकों ने अपने क्लीनिकों पर बैठना बंद कर दिया है। इलाज के अभाव में जीवन की डोर टूटने लगी है। जिनको कोरोना है उनका इलाज मेडिकल में किया जा रहा है, लेकिन ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है जो अन्य बीमारियों से पीडि़त है। उन्हें चिकित्सक की जरूरत है, मगर इलाज न मिलने के कारण ऐसे संदिग्ध मरीज मौत के मुंह में समा रहे हैं। अप्रेल और मई माह में ये आंकड़ा सैकड़ों तक पहुंच गया है।

प्रोटोकॉल के तहत योग्य चिकित्सक खोले क्लीनिक

इस संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. नवीन कुमार शर्मा व सचिव डा. अनिल नौसरान से बातचीत की गई। उन्होंने इस पर चिंता व्यक्त की और कहा कि दिन प्रतिदिन जनपद में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। योग्य चिकित्सक होने के बावजूद भी शासन-प्रशासन की नीतियों के कारण घर बैठकर देख रहे हैं और बंदिशों के कारण अपना सहयोग नहीं दे पा रहे हैं। अगर प्रशासन अनुमति दे तो प्राइवेट चिकित्सक प्रोटोकॉल के तहत अपने-अपने क्लीनिक खोल लेंगे, इससे मरीजों को समय पर इलाज मिल जाएगा।

संदिग्ध मरीजों की मौत की जिम्मेदार गलत नितिया

नाराजगी व्यक्त करते हुए अध्यक्ष व सचिव ने बताया कि प्रशासन की गलत नीतियों के कारण संदिग्ध मरीजों की मौत हो रही है। हर बुखार कोरोना नहीं होता। दूसरी ओर, जितने भी झोलाछाप है और गली-मोहल्लों में अस्पताल खुले हुए हैं उनको छूट दे रखी हैं। बिना किसी जानकारी के ये झोलाछाप बुखार इत्यादि का इलाज कर रहे हैं। अगर ऐसा चलता रहा तो बीमारी के ऊपर नियंत्रण करना असंभव हो जाएगा। झोलाछाप पर कार्रवाई हो।

मई माह में हुई संदिग्ध मौत

१९ मई, मैनापु_ी निवासी ५६ वर्षीय व्यक्ति की मौत। नेगेटिव रिपोर्ट के बाद एमरजेंसी से आईसीयू में भर्ती कराया गया था।
१९ मई, खतौली के व्यक्ति की मौत। सीने में दर्द, घबराहट होने की शिकायत में भर्ती किया, लेकिन इलाज नहीं मिला।
१८ मई, ग्रेटर नोएडा के व्यक्ति की मौत। इलाज नहीं मिला।
१३ मई, जागृति विहार के ३८ वर्षीय व्यक्ति के सीने में दर्द उठा, स्वजन कई अस्पतालों में लेकर गए, लेकिन इलाज नहीं मिला। रिपोर्ट नेगेटिव। अभी भी मरीज की हालत स्थिर बनी हुई है।
१० मई, दो मरीजों की मौत इलाज के अभाव में।
८ मई, खैरनगर के व्यक्ति की मौत।
८ मई, गायनिक वार्ड के बाहर गर्भवती महिला गिरी। इलाज न मिलने के कारण उसकी मौत हो गई।
५ मई, खरखौदा के राजाराम त्यागी को भी इलाज नहीं मिला, मौत।


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