टिड्डियों को लेकर जनपद में अलर्ट जारी
राजस्थान से मध्य प्रदेश के रास्ते झांसी ,ललितपुर जालौन तक पहुंचा टिड्डियों का दल

उन्होने बताया झांसी के कई जिलों में टिडिडयों के दल के पहुंचने के बाद आगराए मथुरा में इनके आनें की पूरी संभावना है। इसे इनके मेरठ में आने का खतरा बढ गया है। उन्होने जिला स्तरए विकास खंड एव ग्राम पंचायत स्तर पर आपदा राहत दल का गठन किया गया है।
उन्होंने बताया कि टिडडी कीट का आकार 2 से 2.5 इंच होता है व 15 किलीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से एक दिन में 150 कि.मी तक उडने की क्षमता रखता है। सबसे बडी बात यह लाखों से करोडों की संख्या में झुंड के रूप में 3 से पांच कि.मी में एक साथ उडते जहां जंहा से गुजरते है। वहां बादल की तरह अंधेरा छा जाता है। यह अंधेरा 15 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैल जाता है।
अपने वजन से अधिक भोजन करती है टिडडी
विशेषज्ञों के अनुसार टिडडी अपने वजन से अधिक भोजन खाती है। हरीपत्तियां पर लगे फूलए फसल के बीज आदि टिडडी को पसंदीदा भोजन है।
टिडडी से बचने के उपाय
इस कीट का आक्रमण होने पर पटाखे, ढोल नगाडा, थाल व डीज बजाकर तथा शोरमचा कर खेतों से भगाया जा सकता है। खेत के किनारे गहरी नालिया बनाकर नालियों में गिरने वाले इस कीट के शिशु को मिटटी से दबा दिया या लाईट ट्रैप का प्रयोग कर कीटों को नष्ट किया जाये। टिडडी कीट शाम को 6 से 7 बजे तक आसपास जमीन पर बैठ जाती है। सुबह 8 से 9 बजे के करीब उडान भरती है। इसके बैठने की अवधि में ही कीट के ऊपर कीटनाशकों का छिडकाव कर इस कीट को मारा जा सकता है।
रासायनिक उपचार
इस कीट के उपचार के लिये मैलाथियान 96 प्रतिशत का छिडकाव करना चाहिए। क्लोरापाईरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी की 1.50 लीटर या क्लोरोपाईरीफाँस 50 प्रतिशत प्लस साईपरेमेथिम पांच प्रतिशत की 500 मिलीमीटर मात्रा या लैम्डासायहैलोथिन पांच प्रतिशत की 500 मिलीमीटर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टयर की दर से छिडकाव किया जाए।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी प्रमोद सिरोही ने बताया कीट के प्रवेश होने पर जनपद में तकनीकी क्षेत्रीय कर्मचारियों से सम्पर्क स्थापित कर नियंत्रण के संबध में जानकारी लेकर कीट का नियंत्रण किया जाए। किसानों द्वारा कंटा्रेल रूम में 121-2660600 पर जानकारी दी जा सकती है।
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