० बंद हुए मंदिरों के पट घट गयी श्रद्घालुओं की संख्या 
०  २० कुंतल के स्थान पर पांच कुंतल बिक रहे फूल  
  न्यूज प्रहरी २४ नयी दिल्ली । आराध्य को चढऩे वाले पूजा के फूल भी कोरोना की चपेट में आकर मुरझा गए हैं। मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या घटी तो फूल की बिक्री भी घट गई। दिल्ली, मथुरा, वाराणसी , मेरठ,आदि शहरों में कुंतलों से अधिक रोज फूल की खपत हो जाती है वहां पांच कुंतल फूल भी नहीं बिक पा रहे हैं। गुलाब जरूर इठला रहा है, लेकिन दूसरे फूलों की खुशबू उड़ सी गई है। हाल ये है कि किसान को मेहनत के बराबर भी दाम नहीं मिल पा रहे हैं। बीते एक सप्ताह से धर्मनगरी मथुरा ,वाराणसी ,दिल्ली जैसे शहरों में श्रद्धालुओं की संख्या घट गई है। कोरोना वायरस की दहशत में वृंदावन का इस्कॉन मंदिर 31 मार्च तक बंद कर दिया गया है, वहीं ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में श्रद्धालु पहले की अपेक्षा आधे भी नहीं आ रहे हैं। शनिवार और रविवार को बाहर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते थे, उस पर भी ब्रेक सी लग गई है। मेरठ के काली पल्टन मंदिर में भी श्रद्घालूओं की संख्या तेजी से घट गयी है। ऐसे में फूलों का कारोबार प्रभावित हो गया है। फूलों की बिक्री ऐसी प्रभावित हुई कि लागत भी नहीं निकल पा रही है। गेंदा के अलावा ज्यादातर फूल दिल्ली ,हरियाणा, यूपी  से आता है। फूलमाला कारोबारी कहते हैं कि दिन भर में हाथ खर्च निकलना भी मुश्किल है। ऐसे में हालात में परिवार पालना भी मुश्किल हो रहा हैफूलों की बिक्री क्या घटी, कीमत भी जमीन पर आ गई। फूलों के राजा गुलाब की कीमत सत्तर फीसद तक घट गई। गुलाब के अलावा गेंदा और मारकेट जैसे फूलों की बिक्री ही नहीं रह गई है।
फूलबंगला में होता विदेशी फूलों का इस्तेमाल
मथुरा के ठाकुर जी के मंदिर में आयोजित होने वाले फूल बंगला में डहलिया, मारकेट, गुलदाउदी के साथ ही विदेशी फूलों का इस्तेमाल होता है। फूलबंगला के दौरान प्रतिदिन फूलों की बिक्री कई गुना बढ़ जाती है। मंडी तक नहीं ले रहे फूल, मंडी में फूलों की आवक काफी कम हो गई है। बिक्री न होने के कारण किसान खेतों से फूल तोड़कर मंडी नहीं ला रहे हैं। फूल कारोबारी राजेश ू कहते हैं कि फूलों की कीमत नहीं मिल पा रही है, ऐसे में किसान किसी भी दशा में फूल तोडऩे को तैयार नहीं हैं। ये हालात करीब सात दिन से हैं।
फु लों के कारेाबार में  दिल्ली व वेस्ट  यूपी में सैकडों परिवार जुडे हुए है उनकी रोजी रोटी फूलों के कारोबार पर टिकी हुई है  इनके सामने कारोबार कम होने से परिवार चलाने का संकट आ गया है। फूल कारोबारी रामकुमार कहते हैं कि यही हाल ज्यादा दिन रहे तो परिवार के भूखों मरने की स्थिति आ जाएगी।
फूलों में नहीं डाल सकते सेनिटाइजर
कुछ लोगों ने फूलमाला में सेनिटाइजर डालकर पुजारी को श्रद्धालु से लेने की सलाह दी। लेकिन पुजारियों का कहना है कि किसी भी दशा में फूल माला में सेनिटाइजर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। क्योंकि सेनिटाइजर में अल्कोहल होता है और आराध्य पर अल्कोहल नहीं चढ़ाया जा सकता है।
डलिया में ले रहे फूलमाला
संक्रमण से बचने के लिए कई मंदिरों में नई व्यवस्था की गई है। यहां पर फूल माला पुजारी श्रद्धालु से सीधे हाथ में नहीं ले रहे हैं बल्कि डलिया आदि के सहारे ले रहे हैं। मेहनत के भी नहीं मिल रहे दामरू फूलों की बिक्री में गिरावट का असर ऐसा कि गुलाब के फूल आम दिनों में 60 रुपए किलो बिकता था आज 10 से 15 रुपए किलो बिक रहा हैए दूसरे फूलों के दाम 15 से 20 रुपए हुआ करते थेए जो आज दो रुपए किलो में भी बमुश्किल बिक पा रहे हैं। ऐसे में किसान अब फूलों को तोडऩा और मंडी तक लाना उचित नहीं समझ रहे।


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