पुष्टाहार के खाली बोरों में लहलहाने लगी हैं हरी सब्जियां
डीपीओ ने शहरी केंद्रों में जगह की कमी का हल निकाला
न्यूज प्रहरी 24गाजियाबाद। एक बड़ी पुरानी कहावत है, आम के आम और गुठलियों के दाम। जिला कार्यक्रम अधिकारी शशि वार्ष्णेय ने इस कहावत को एक बार फिर चरितार्थ कर दिखाया है। ऐसा उन्होंने पुष्टाहार के खाली बोरों में हरी सब्जियां उगवाकर किया। दरअसल पोषण संबंधी गतिविधियों से जन समुदाय को जोड़ने के लिए शासन से हर आंगनबाड़ी केंद्र में पोषण वाटिका विकसित करने के आदेश दिए गए थे। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि छोटे बच्चे देखकर ज्यादा सीखते हैं। आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों को हरी सब्जियां दिखाकर उनसे मिलने वाले पोषक तत्वों की जानकारी दी जा सकेगी, जो ज्यादा कारगर होगी। इसके अलावा पोषण वाटिका में पैदा होने वाली जैविक सब्जियों को मिड डे मील और कुक्ड भोजन में इस्तेमाल किया जाएगा तो बच्चों को बेहतर पोषक तत्व मिल सकेंगे।
जनपद के आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण वाटिका तैयार करने की कवायद शुरू हुई। ग्रामीण क्षेत्र में इस कवायद को मुकाम भी मिला। मुरादनगर क्षेत्र के अंतर्गत बसंतपुर सैंतली गांव में जनपद की सबसे अच्छी पोषण वाटिका विकसित हुई। मुरादनगर बाल विकास परियोजना अधिकारी रीना त्यागी का कहना है, इसके पीछे इंटीग्रेटेड चाइल्ड डवलपमेंट सर्विस (आईसीडीएस) के अलावा गांव की महिलाओं का भी खूब योगदान रहा। लेकिन शहरी क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र जगह के अभाव में पीछे रह गए। जिला कार्यक्रम अधिकारी शशि वार्ष्णेय ने अब आम के आम और गुठलियों के दाम वाली कहावत को चरितार्थ करने की ठानी और शहरी बाल विकास परियोजना अधिकारी गीता शर्मा को पुष्टाहार के खाली बोरों में सब्जियां उगवाने का आईडिया दिया।
गीता शर्मा को आईडिया भा गया। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर इस पर काम शुरू कर दिया। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया गाजियाबाद शहर में कुल 639
आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें से कुछेक केंद्रों में ही पोषण वाटिका बनाने लायक जगह है। बाकी में जगह का अभाव है। इनमें से 50 केंद्रों पर पुष्टाहार के खाली बोरों में सब्जियां उगाई गई हैं। फरवरी माह के दौरान इस योजना पर काम किया गया और अब खाली बोरों में हरी सब्जियां लहलहा रही हैं। शशि वार्ष्णेय ने बताया खाली बोरों में बथुआ, पालक, धनिया, टमाटर और हरी मिर्च उगाई जा रही हैं।
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