नवजात शिशु के लिए मां का दूध ही संपूर्ण आहार : डा. गौरव 
-आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को कोरोना के प्रति करें जागरूक
बुलंदशहर : जनपद में मातृ मत्यु दर कम करने और बच्चों की देखभाल को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) दानपुर  में बैठक हुई। बैठक में सीएचसी प्रभारी डॉक्टर गौरव सक्सेना ने आशा और आगंनबाड़ी कार्यकर्ताओं को जागरूक करते हुए मातृ मृत्यु, एनीमिया एवं शिशु के जीवन के पहले छह महीनों की देखरेख के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बैठक में आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ को कोरोना के बारे में अपने क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने की अपील की गयी।
दानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डा. गौरव ने बताया यदि महिला की प्रसव के 42 दिन के अंदर मृत्यु हो जाती है तो वह मातृ मृत्यु मानी जाती है। मातृ मृत्यु मुख्य रूप से हाईब्लड प्रेशर, संक्रमण, असुरक्षित प्रसव, खून की कमी आदि के कारण होती है। उन्होंने कहा यदि प्रसव के दौरान थोड़ी सी लापरवाही जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखने के लिए प्रसव के उपरांत कम से कम प्रसूति का 48 घंटे चिकित्सक की निगरानी में रहना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया गर्भधारण के समय सफाई पर विशेष ध्यान दें। चिकित्सक की सलाह से ही आयरन की गोलियां खाएं। इन सब बातों का ध्यान रख कर जच्चा-बच्चा को सुरक्षित ऱखा जा सकता है और मातृ मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। डा. गौरव ने आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से कहा कि वह अपने क्षेत्र में जाकर लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करें। यदि कोई कोरोना का संदिग्ध मिले तो तुरंत स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें। वहीं घर-घर जाकर लोगों को कोरोना से बचाव के बारे में भी बताएं।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रोहताश यादव ने बताया जन्म के बाद शिशु को छह महीने तक विशेष रूप से स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मां का दूध नवजात के लिए सर्वश्रेष्ठ है। मां का दूध शत-प्रतिशत सुरक्षित है। स्तनपान से बच्चों में  मधुमेह, रक्त कैंसर और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है। मां का दूध बच्चों के लिए बेहद पौष्टिक होता है। इसमें शामिल सभी पोषक तत्व बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए जरूरी हैं। साथ ही इसके सेवन से बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इसलिए छह माह तक नवजात को सिर्फ मां का दूध ही दें।

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