कोरोना ग्रह दशाओ के अनुसार भविष्यवाणी 
 वरिष्ठ संवादाता 
न्यूज प्रहरी मेरठ।
एक ओर जहां विश्व में कोरोना वायारस से जंग लडने के लिये तमाम तरह की प्रयास स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये जा रहा है। वहीं ज्योतिशास्त्रों ने आगामी २७ अप्रैल तक सावधानी बरतने के लिये आग्रह  किया है।
  भृगु ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र सदर के पं राजेश शर्मा ने कहा है  ग्रह दशाओं के अनुसार सात्विक शक्तियां सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति कमजोर अवस्था में जब.जब आते है धर्म की हानि होती है, संसार में जनमानस के सामने विकट स्थिति उत्पन्न होती है। ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से कोरोना वायरस जैसे संकट तब उत्पन्न होते हैं जब सात्विक शक्तियां सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति कमजोर अवस्था में गोचर कर रहे होते हैं। वर्तमान में ग्रहों का जो गोचर चल रहा है, उसके अनुसार 13 अप्रैल 2020 तक समय दुनिया के लिए ज्यादा सावधानी का सामना करना पडेगा। उसके बाद सूर्य दो सप्ताह के लिए स्थिति में काफी सुधार करेंगे। इस कोरोना के चक्र की शुरुआत 26 दिसंम्बर 2019 के सूर्यग्रहण से होती है। जब सूर्य, चंद्र और बृहस्पति ये तीनों ग्रह बुध के साथ मूल नक्षत्र में राहुए केतु और शनि ग्रसित थे। मूल का अर्थ जड़ होता है जड जैसे वृक्ष की मूल, मूल सींचना। इसे गंडातंका नक्षत्र कहा जाता है जो प्रलय दर्शाता है। ज्योतिष शास्त्र  में गण्डमूल नक्षत्र
फलित ज्योतिष के  जातक पारिजात एबृहत् पराशर होरा शास्त्र एजातकाभरणं इत्यादि सभी   प्राचीन ग्रंथों में गंडांत नक्षत्रों तथा उनके प्रभावों का वर्णन दिया गया है द्यअश्वनी एआश्लेषा एमघा एज्येष्ठा एमूल तथा रेवती  नक्षत्र  गण्डमूल नक्षत्र हैं।
सूर्य भी भाद्रपदा नक्षत्र से गुजर रहे हैं। वह इस सौरमंडल में ऊर्जा का स्रोत हैं। इसी वजह से बड़ी संख्या में मरीज ठीक भी हो रहे हैं। सूर्य की इस स्थिति की वजह से 28 व 29 मार्च 2020 को चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ बड़ी उपलब्धियां हो सकती हैं। मगर 31 मार्च से 13 अप्रैल 2020 तक सूर्य रेवती नक्षत्र में होंगे। यह मोक्ष का नक्षत्र है। यहां सूर्य कमजोर होंगे और संकट बड़ा रूप ले सकता है। मगर 14 अप्रैल से 27 अप्रैल तक वह अपनी उच्च राशि मेष के नक्षत्र अश्विनी से गोचर करेंगे। इस समय में कोई बड़ी उपलब्धि मिल सकती है।

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