शोध और नवाचार का नया दौर

- डा. जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम में इमर्जिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी इनोवेशन कॉन्क्लेव (एस्टिक) 2025 का शुभारंभ करने के साथ एक लाख करोड़ रुपए के रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन (आरडीआई) फंड को लॉन्च करते हुए कहा कि आरडीआई फंड देश के अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र को बड़ा बल देगा। इस फंड के माध्यम से सरकार निजी क्षेत्र को तकनीकी शोध, स्टार्टअप, इनोवेशन और औद्योगिक विकास में निवेश को प्रोत्साहित करेगी। चूंकि भारत अब टेक्नोलॉजी का उपभोक्ता नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी के जरिए ट्रांसफॉर्मेशन का नेतृत्वकर्ता बन चुका है, अतएव आरडीआई फंड से विज्ञान, उद्योग और शिक्षा के बीच सहयोग को नई मजबूती मिलेगी और भारत वैश्विक विज्ञान नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ सकेगा। गौरतलब है कि आरडीआई फंड के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को नोडल मंत्रालय बनाया गया है। यह कोष सीधे कंपनियों और स्टार्टअप्स में निवेश नहीं करेगा। 
फंडिंग का काम दूसरे फंड मैनेजरों के द्वारा किया जाएगा। खास बात यह है कि इस फंड के तहत फंडिंग के तरीकों में कम या शून्य ब्याज दर पर दीर्घकालीन ऋण, पूंजी प्रदाय और डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स में योगदान प्रमुख रूप से शामिल हैं। इस नए घोषित फंड में शोध और नवाचार के लिए जिन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, उनमें प्रमुख रूप से मैन्युफैक्चरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बायो मैन्युफैक्चरिंग, ब्लू इकोनॉमी, डिजिटल कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर निर्माण, उभरती कृषि तकनीक, ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु, स्वास्थ्य व चिकित्सा तकनीक, क्वांटम विज्ञान और अंतरिक्ष तकनीक शामिल हैं।
चूंकि भारत में सरकार और निजी क्षेत्र का शोध व विकास में निवेश पिछले लंबे समय से चिंता का विषय रहा है, इसलिए अब एक लाख करोड़ रुपए का आरडीआई फंड देश के लिए ईज ऑफ डूइंग रिसर्च की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अभी भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में शोध व विकास की हिस्सेदारी करीब 0.70 फीसदी है। यह हिस्सेदारी अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों की 2 से 5 फीसदी हिस्सेदारी के मुकाबले बहुत कम है। साथ ही देश के तेज विकास के लिए भी बहुत कम है। अतएव आरडीआई फंड से शोध के रणनीतिक और उभरते क्षेत्रों को आवश्यक जोखिम पूंजी प्राप्त होगी। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि भारत ने शोध एवं नवाचार में पिछले एक दशक में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा प्रकाशित ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2024 की रैंकिंग में 133 अर्थव्यवस्थाओं में भारत ने 39वां स्थान हासिल किया है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि जो भारत जीआईआई रैंकिंग में 2015 में 81वें स्थान पर था, अब वह 39वें स्थान पर पहुंच गया है। जीआईआई रैंकिंग में भारत की प्रगति दुनियाभर में रेखांकित हो रही है।


 जीआईआई 2024 के तहत भारत निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर है। भारत मध्य और दक्षिणी एशिया क्षेत्र की 10 अर्थव्यवस्थाओं में भी पहले स्थान पर है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) क्लस्टर रैंकिंग में चौथे स्थान पर है। भारत के प्रमुख शहर मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और चेन्नई दुनिया के शीर्ष 100 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्लस्टरों में सूचीबद्ध हैं और भारत अमूर्त संपत्ति तीव्रता में वैश्विक स्तर पर सातवें स्थान पर है। यदि हम बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार से जुड़े अन्य वैश्विक संगठनों की रिपोर्टों को भी देखें तो पाते हैं कि भारत इस क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। अमेरिकी उद्योग मंडल (यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स) के ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर के द्वारा जारी वैश्विक बौद्धिक संपदा (आईपी) सूचकांक 2024 में भारत दुनिया की 55 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में 42वें स्थान पर है। नि:संदेह भारत में शोध एवं नवाचार को बढ़ाने में डिजिटल ढांचे और डिजिटल सुविधाओं की भी अहम भूमिका है।
भारत आइटी सेवा निर्यात और वेंचर कैपिटल हासिल करने के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है। विज्ञान और इंजीनियरिंग ग्रेजुएट तैयार करने में भी भारत दुनिया में सबसे आगे है।
 भारत के उद्योग-कारोबार तेजी से समय के साथ आधुनिक हो रहे हैं। कृषि से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए भारत ने जिस तरह विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया, उससे भारत कृषि विकास की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि देश के लिए बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार के बहुआयामी लाभ लगातार बढ़ रह हैं। भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध एवं विकास और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से शुरू करते हुए दिखाई दे रही हैं। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स के तेजी से बढऩे से भारत में ख्याति प्राप्त वैश्विक फायनेंस और कॉमर्स कंपनियां अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। पूरी दुनिया में मेड इन इंडिया और ब्रांड इंडिया की चमकीली पहचान बन रही है। इससे भारत में प्रतिस्पर्धा का स्तर बढ़ रहा है और रोजगार के चमकीले मौके बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, शोध एवं नवाचार बढऩे से देश में लगातार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि हो रही है। यद्यपि भारत के विकास में बौद्धिक संपदा, शोध एवं नवाचार से जुड़े तीन आधारों की बढ़ती भूमिका दिखाई दे रही है, लेकिन इन आधारों से विकास को ऊंचाई देने के लिए इस क्षेत्र में सरकार व निजी क्षेत्र का परिव्यय बढ़ाना होगा। इस समय भारत में आरएंडडी पर जिस तरह जीडीपी का एक प्रतिशत से भी बहुत कम ही व्यय हो रहा है, उसे रणनीतिपूर्वक बढ़ाया जाना होगा। ऐसे में हमें ध्यान देना होगा कि कोई 6-7 दशक पहले अमेरिका ने आरएंडडी पर तेजी से अधिक खर्च करके सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, दवाओं, अंतरिक्ष अन्वेषण, ऊर्जा और अन्य तमाम क्षेत्रों में तेजी से आगे बढक़र दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनने का अध्याय लिखा है।



हमें अपने औद्योगिक ढांचे में बदलाव लाना होगा, अपनी कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए बदलाव को आकार देना होगा, अपनी कंपनियों पर प्रतिस्पर्धी होने का दबाव बनाने के लिए व्यापार नीति का इस्तेमाल करना होगा तथा सार्वजनिक शोध प्रणाली में परिवर्तन करना होगा। उम्मीद करें कि प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा तीन नवंबर को एक लाख करोड रुपए के शोध, विकास और नवाचार के जिस आरडीआई फंड को लांच किया गया है, उसके पूरे उपयोग के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ा जाएगा। उम्मीद करें कि देश के उद्योग-कारोबार जगत के द्वारा देश के तेज विकास और आम आदमी के आर्थिक-सामाजिक कल्याण के मद्देनजर दुनिया के विभिन्न विकसित देशों की तरह भारत में भी बौद्धिक समझ, शोध एवं नवाचार पर अधिक धनराशि व्यय करने की डगर पर आगे बढ़ा जाएगा। इससे जहां ब्रांड इंडिया और मेड इन इंडिया की वैश्विक स्वीकार्यता सुनिश्चित की जा सकेगी, वहीं स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, कारोबार, ऊर्जा, शिक्षा, रक्षा, संचार, अंतरिक्ष सहित विभिन्न क्षेत्रों में देश तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगा। उम्मीद करें कि सरकार के द्वारा लॉन्च किए गए आरडीआई फंड के माध्यम से बीच मुश्किलों का सामना रही भारतीय प्रतिभाओं को भारत लाकर शोध और नवाचार को आगे बढ़ाते हुए देश के विकास के नए अध्याय लिखे जाएंगे।

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