मेडिकल अस्पताल में अमानवीयता

फूडटयूब लगे मरीज को भर्ती करने से चिकित्सकों ने किया इंकार 

तीमारदार पिता से कहा 5 दिन बाद एडमिट करेंगे

 मेरठ। मेडिकल कॉलेज में बुधवार को अमानवीयता का मामला प्रकाश में आया है। जब अस्पताल के चिकित्सकों ने फूडटयूब लगे मरीज को भती नहीं किया। पिता के द्वारा काफी प्रार्थना करने के बाद भी चिकित्सकों का दिल नहीं पसीजा पांच दिन बाद भर्ती करने के कहा।

 खरखौदा निवासी कैलाश अपने 26 वर्षीय बेटे प्रिंस जिसे फूडट्यूब तक लगी है उसको भर्ती करने आया लेकिन उसे पांच दिन बाद जांच के साथ इलाज देने की बात कहते हुए वहां से भेज दिया गया।मरीज को जब अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया तो उसका पिता अपने फूडट्यूब लगे बेटे को लेकर अस्पताल की लाल बिल्डिंग के बाहर बने पार्क में बैठ गया। इसके बाद उसने उसको वहीं लिटाकर दूध या अन्य जो भी पेय वो दे सकता था, उसको फूडट्यूब से पिलाया, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उसको भर्ती नहीं किया।

हापुड़ से रेफर किया गया है मरीज

मरीज के पिता ने बताया कि अस्पताल कर्मियों ने उनसे कहा कि आज जांच लिखी है, जो सामवार को होगी। इसके बाद ही भर्ती किया जाएगा। मरीज को तब तक के लिए कोई दवा नहीं दी गई।बेड भी नहीं दिया गया।पहले मरीज अपना इलाज कराने के लिए हापुड़ भी गया था। वहां से उसको मेरठ मेडिकल में रेफर कर दिया गया इसके बाद वह यहां पहुंचा तो भर्ती कर इलाज करने के बजाय मरीज को पांच दिन बाद का समय दे देकर वहां से भेज दिया गया।

मरीज के पिता ने बताई परेशानी

मरीज प्रिंस के पिता ने बताया कि उनका बड़ा बेटा ही एक मात्र घर का खर्च चलाने वाला व्यक्ति है। डेढ़ साल पहले वह चेन्नई में नौकरी करता था, तब उसको किसी ने कुछ ऐसा पिला दिया था। इससे उसका गला खराब हो गया था। तभी से ही उसका इलाज चल रहा है और हापुड़ से रेफर करने के बाद उसको वह यहां लेकर आया था।​​​​​​​

कैलाश ने बताया कि चेन्नई से वापस आने के बाद हमने अपने बेटे का इलाज AIMS में भी चलवाया, लेकिन एक मात्र व्यक्ति जो हमारे परिवार में कमाने वाला था। इस कारण हम वहां जाकर इलाज नहीं करा सके। इसके बाद हमने हापुड़ के संयुक्त चिकित्सालय से अपने बेटे का इलाज शुरू करा दिया। उन्होंने भी हालत देखने के बाद मेडिकल भेज दिया।मरीज प्रिंस के पिता ने बताया कि तीन भाईयों में प्रिंस सबसे बड़ा है। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वह चेन्नई किसी कंपनी में नौकरी करने चला गया था। वहां उसने कुछ ऐसा पी लिया जिससम उसको यह समस्या हो गई।

पहले भी लगते रहे हैं ऐसे आरोप

मेरठ मेडिकल में इस प्रकार मरीज के साथ अमानवीयता को लेकर पहले भी कई मामले समाने आ चुके हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है। स्टाफ के बीच मारपीट, मरीज के सामने डॉक्टर के सोते रहने के तमाम वीडियो भी मेडिकल की इमरजेंसी से ही आते रहते हैं।

 बोले मेडिकल प्रचार्य 

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि इस प्रकार का कोई प्रकरण मेरे संज्ञान मे नहीं है। क्यों ऐसा हुआ इसका पता किया जा रहा है। अगर किसी की लापरवाही पाई जाती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।


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