वंदे मातरम्" के 150 वर्ष पूर्ण होने पर माँ भारती को समर्पित कार्यक्रम का आयोजन

मेरठ।  सीसीएसयू की साहित्यिक-सांस्कृतिक परिषद द्वारा शुक्रवार को "वंदे मातरम्" राष्ट्रीय गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।आयोजन कुलपति कार्यालय, भूतल स्थित समिति कक्ष में किया गया, जिसमें देशभक्ति और आध्यात्मिकता का भाव प्रतिध्वनित हुआ। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर हरे कृष्णा ने की। इस अवसर पर विवि के छात्र-छात्राओं ने “वंदे मातरम्” की ऐतिहासिक यात्रा, उसके राष्ट्रीय महत्व और आज़ादी के आंदोलन में उसकी भूमिका पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

साहित्यिक-सांस्कृतिक परिषद के समन्वयक प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि “वंदे मातरम्” केवल एक गीत नहीं, बल्कि वह भाव है जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को दिशा और बल प्रदान किया। इसने युवाओं में देश के प्रति समर्पण और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का जज्बा जगाया।” उन्होंने बताया कि यह गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित है, जो पहली बार 7 नवम्बर 1875 को साहित्यिक पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में प्रकाशित हुआ और बाद में उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ (1882) में शामिल किया गया। प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि वंदे मातरम् की ऐतिहासिक पुष्टि अरविंद घोष द्वारा 1907 में अंग्रेजी दैनिक ‘Bande Mataram’ में प्रकाशित एक लेख से होती है। इसी वर्ष मैडम भीकाजी कामा ने जर्मनी के स्टटगार्ट में भारत का पहला तिरंगा झंडा फहराया था, जिस पर “वंदे मातरम्” अंकित था।

कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर हरे कृष्णा ने अपने संबोधन में कहा कि “वंदे मातरम्” ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारतीय एकता का प्रतीक बन गया। अंग्रेज सरकार ने इसे स्कूलों में गाने पर प्रतिबंध तक लगा दिया, किंतु यह गीत स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणा का शाश्वत स्रोत बना रहा। यह केवल एक राष्ट्रीय गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और उसकी पहचान का प्रतीक है। 

कार्यक्रम में प्रोफेसर मृदुल कुमार गुप्ता, प्रोफेसर बीरपाल सिंह, प्रोफेसर नीलू जैन गुप्ता, प्रोफेसर विग्नेश कुमार त्यागी, डॉ. अलका तिवारी, डॉ. वैशाली पाटिल, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, मीडिया सेल सदस्य मितेंद्र कुमार गुप्ता, अमरपाल सहित अनेक शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। उपस्थित सभी ने वंदे मातरम् की गूंज के साथ भारत माता के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण व्यक्त किया।

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