कृषि के परिवेश को संगठित करने के लिए शुरू हुआ राष्ट्रीय फोरम एग्रीकॉन
मेरठ : कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की नींव है। यह लगभग आधी आबादी को रोजगार प्रदान करती है, और देश के जीडीपी में लगभग पाँचवें हिस्से के बराबर योगदान देती है। गाँवों और शहरों में एक बड़ी आबादी की रोजीरोटी कृषि से चलती है। लेकिन फिर भी कृषि क्षेत्र के बारे में होने वाली बातचीत काफी बिखरी हुई है। एक जगह कृषि में टेक्नोलॉजी के बारे में बात होती है, तो किसी दूसरी जगह फाईनेंस, वहीं नीतियों की चर्चा कहीं और होती है। इन सभी वार्ताओं को संगठित करने के उद्देश्य से मेसे मुंशेन ने सोमवार को एग्रीकॉन इंडिया का लॉन्च किया। यह 16 दिसंबर से 18 दिसंबर 2026 के बीच आयोजित होने वाला एक राष्ट्रीय ट्रेड फेयर है। इसका आयोजन ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में होगा।
भूपिंदर सिंह, प्रेसिडेंट, आईएमईए, मेसे मुंशेन और सीईओ, मेसे मुंशेन इंडिया ने कहा आज कृषि की जरूरत अलग-अलग समाधानों तक सीमित नहीं है। किसानों को एक ऐसे परिवेश की जरूरत है, जिसमें टेक्नोलॉजी, पॉलिसी और फाईनेंस साथ में मौजूद हों। एग्रीकॉन इंडिया इस बारे में बातचीत करने और उसके निष्कर्षों को अमल लाने के लिए शुरू किया गया है।’’
बातचीत की संचालन डॉ. तरुण श्रीधर, डायरेक्टर जनरल, इंडियन चैंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर (आईसीएफए), पूर्व सचिव, फिशरीज़, एनिमाल हस्बैंड्री और डेयरी मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमारे लाखों किसानों की कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता और समर्पण के चलते हम दुनिया के सामने कृषि और फूड के क्षेत्र में सुपरपॉवर बनकर उभर रहे हैं। आजादी के बाद कुछ सालों तक हमारा अभावग्रस्त कहकर मजाक उड़ाया जाता था। लेकिन आज हम पूरी दुनिया के लिए अनाज की टोकरी बन गए हैं। हमारे कृषि और किसानों की यह उपलब्धि और भी अधिक मायने इसलिए रखती है क्योंकि आज भी कई लोग खेती के काम को नीची नजर से देखते हैं। इसके अलावा, हमारे यहाँ कई किसान छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनकी उत्पादकता बहुत कम है, इसलिए उन्हें उत्पाद का पर्याप्त रिटर्न नहीं मिल पाता है। अब हमारा सफर खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा की ओर, उत्पादन से उत्पादकता की ओर तथा मात्रा से मूल्य की ओर होना चाहिए, ताकि कृषि सभी के लिए आशा और पसंद का व्यवसाय बन सके। एग्रीकॉन इंडिया 2026 का उद्देश्य एक ऐसे मंच का निर्माण करना होना चाहिए, जो कृषि समुदाय और कृषि वैज्ञानिकों को साथ लेकर आए ताकि इस क्षेत्र में हो रही क्रांति आगे बढ़ सके।’’
डॉ. पूनम मालाकोंडईया, आईएएस (रिटायर्ड), पूर्व स्पेशल चीफ सेक्रेटरी एग्रीकल्चर, आंध्र प्रदेश और एग्रीकल्चर कमिश्नर, आंध्र प्रदेश ने कहा, ‘‘किसानों को सुलभ, स्वीकार्य और किफायती टेक्नोलॉजी समाधानों की जरूरत है, जो उत्पादकता, गुणवत्ता तथा जलवायु की सहनशीलता बढ़ाएं। टेक्नोलॉजी प्रदाताओं और नीति निर्माताओं को किसानी समुदाय के पास लाकर एग्रीकॉन इंडिया में ठोस परिवर्तन लाने की क्षमता है।’’
इंडिया एक्सपो मार्ट लिमिटेड (आईईएमएल) के को-ऑर्गेनाईज़र, सुदीप सरकार, सीईओ, आईईएमएल ने कहा, ‘‘ग्रेटर नोएडा दिल्ली/एनसीआर में नीति निर्माताओं और उत्तर भारत में किसानों तथा एग्री-बिज़नेस के नेटवर्क के बीच उपयोगी चर्चा के लिए एक उपयुक्त स्थान है। हमें विश्वास है कि यह साझेदारी न केवल ट्रेड फेयर के अनुभव में सुधार लाएगी, बल्कि राष्ट्रीय महत्व के एक मंच के निर्माण में भी मदद करेगी।’’
इसका आयोजन ग्रेटर नोएडा में किया जा रहा है क्योंकि यह उत्तर भारत के कृषि क्षेत्रों के केंद्र में स्थित है, जहाँ से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कृषि क्षेत्र काफी नजदीक हैं। यह स्थान कृषि क्षेत्रों को दिल्ली में नीतिनिर्माता गलियारों से जोड़ता है। केंद्रीय संस्थानों के निकट स्थित होने के कारण यहाँ नियामकों और शोध संस्थानों के साथ किसान समुदाय और औद्योगिक खरीददारों को एक स्थान पर लाना आसान है।
लॉन्च कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने हिस्सा लिया, जिनमें शामिल थेः एफपीओ लीडर्स, जिन्होंने बाजार में संपर्क और ज्ञान के आदान-प्रदान की जरूरत के बारे में बात की। नीति अधिकारी, जिन्होंने क्रेडिट, जलवायु के प्रति सहनशीलता और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को सुना। निर्माता और टेक्नोलॉजी प्रदाता, जिन्होंने यह प्रदर्शित किया कि मशीनीकरण और डिजिटल टूल्स की मदद से किस प्रकार उत्पादकता बढ़ सकती है। इन सभी की एक ही जगह मौजूदगी से एक ‘‘परिवेश’’ का निर्माण हुआ, जिसके लिए यह मेला नियमित तौर से आयोजित किया जाएगा।
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