अशोक स्तंभ जैन धर्म का प्रतीक चिन्ह है बौद्ध धर्म का नहीं - कवि सौरभ जैन सुमन
मेरठ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महावीर जयंती समारोह में बुलाने वाले एवं उन्हें धर्म चक्रवर्ती की उपाधि से अलंकृत करने वाले राष्ट्र संत दिगम्बर जैन मुनि प्रज्ञा सागर के आज कवि सौरभ जैन सुमन ने दर्शन कर आशीष प्राप्त किया।
जैन मुनि से देर तक चर्चा के दौरान क्रांति कवि ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि लंबे समय से ये कहा जाता रहा है कि भारतीय राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ बौद्ध धर्म का प्रतीक है जबकि बौद्ध धर्म में कहीं भी 24 की संख्या का कोई उल्लेख नहीं है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय तीर्थंकरों के चिन्ह क्रमशः बैल, हाथी एवं अश्व का अशोक स्तंभ पर होना तथा अंतिम यानी चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के चिन्ह सिंह का शीर्ष पर होना सिद्ध करता है कि ये धर्म चक्र एवं अशोक स्तंभ जैन धर्म के प्रतीक हैं।
जैनाचार्य ने सौरभ जैन सुमन की बात को स्वीकारते हुए बताया कि स्वयं बुद्ध ने जैनेश्वरी दीक्षा धारण की थी। किंतु अत्यधिक कठिन तपश्चर्या के रहते बुद्ध नियम निभा नहीं सके एवं पदच्युत होकर मोक्ष का मध्यम मार्ग चुना जिसमें त्याग का भाग न के बराबर था। उसी मार्ग को बौद्ध धर्म कहा गया।
मुनिराज ने इतिहास में हैं धर्म के योगदान का जिक्र करते हुए भामाशाह, टोडरमल जैसे ऐतिहासिक पुरुषों का नाम भी उल्लेखित किया।ज्ञात हो जैन मुनि प्रज्ञा सागर इस समय बाहुबली एंक्लेव दिल्ली में वर्षायोग कर रहे हैं। उनके दर्शनों के लिए एवं अशोक स्तंभ के आंदोलन को बड़ा आकार देने के उद्देश्य से सौरभ जैन सुमन आज मुनि से मिले।
No comments:
Post a Comment