जागरूकता जरूरी
 इलमा अज़ीम 
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की तमाम कवायद के बाद देश में ऑनलाइन डकैती जारी है। हैरत की बात यह है कि आनलाइन लूटी गई रकम की वापसी के लिए तंत्र की कोई जवाबदेही और कानून-व्यवस्था से कोई गारंटी सुनिश्चित नहीं है। सवाल यह है कि अगर लोगों को ऑनलाइन सेवाओं के उपयोग के लिये प्रेरित किया जाता है तो उसके सुरक्षा की गारंटी क्यों नहीं सुनिश्चित की जाती। 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी द्वारा जारी हालिया आंकड़े इस संकटपूर्ण स्थिति का खुलासा करते हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट खुलासा करती है कि वर्ष 2023 में साइबर क्राइम की घटनाओं में 31.2 प्रतिशत की तेज वृद्धि देखी गई है। जिसके आने वाले वर्षों में और अधिक होने की आशंका जतायी जा रही है। जो इस बात का प्रमाण है कि ऑनलाइन धोखाधड़ी से निबटना अब दिन-प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है। 

ऐसे में महत्वपूर्ण यह है कि हम इन अपराधों से निबटने के लिये कैसे रणनीति बनाते हैं। साथ ही आम लोगों को जागरूक करने की जरूरत है कि कैसे वे साइबर अपराधियों के संजाल में फंसने से बच सकते हैं। यूं तो डेटा सुरक्षा के लिये तमाम दिशा-निर्देश सरकार के विभिन्न संगठनों की तरफ से दिए जाते हैं, लेकिन आज भी पुरानी पीढ़ी के तमाम लोग ऐसे हैं जो ऑनलाइन सुविधाओं के उपयोग को लेकर पर्याप्त रूप से साक्षर नहीं होते। ऐसे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है कि दैनिक जीवन में ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग करते हुए अपने गोपनीय डेटा की सुरक्षा कैसे करें। 


साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों के बीच सवाल उठता है कि हमारा तंत्र इन घटनाओं में पर प्रभावी रोक लगाने में कामयाब क्यों नहीं हो पाता। आखिर फोन व कंप्यूटर में मजबूत एंटी वायरस और इंटरनेट सुरक्षा सॉफ्टवेयर क्यों कामयाब नहीं होते। आखिर क्यों साइबर घुसपैठ के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती। इन पर रोक के लिये कोई कारगर व्यवस्था व मैकेनिज्म क्यों नहीं बन पा रहा है। 
ऐसे मामलों में व्यक्तिगत सावधानी और सजगता-सतर्कता मददगार साबित हो सकती है। खासकर इंटरनेट बैंकिंग का प्रयोग करते वक्त अतिरिक्त सावधानी से ऐसी धोखाधड़ी से बचा जा सकता है। लोगों को याद रखना चाहिए कि कभी बैंक का कोई अधिकारी खाताधारक से निजी व गोपनीय जानकारी नहीं पूछता है। वो कभी फोन व ई-मेल से ऐसी जानकारी नहीं मांगता है।



 इसलिए जरूरी है कि यदि कोई व्यक्ति बैंक खाते की सुरक्षा से जुड़े पासवर्ड,पिन, सीवीवी तथा खाता नंबर की जानकारी मेल या फोन से मांगता है तो उसे नजरअंदाज करना चाहिए। 

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