सूरजकुंड चाट बाजार में लगने वाले सभी ठेले अवैध

नगर निगम अधिकारियों के पास यहां लगने वाले ठेलों का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं 

मेरठ। सूरजकुंड पार्क के सामने लगने वाला चाट बाजार पूरी तरह अवैध पाया गया है। नगर निगम अधिकारियों के पास यहां लगने वाले ठेलों का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। निगम अधिकारियों का कहना है कि चाट बाजार में जो भी ठेले लगते हैं, वे बिना परमिट और बिना अनुमति के खड़े किए जाते हैं। इस तरह पूरा बाजार अतिक्रमण की श्रेणी में आता है और अवैध रूप से संचालित हो रहा है। जबकि निगम की ओर से प्रति ठेले वाली की पर्ची काटी जाती है। अब वो पैसा कहां जा रहा है। इसका जबाव किसी के पास नहीं है। 

इसी अवैध चाट बाजार में ठेला लगवाने को लेकर भाजपा पार्षदों के बीच विवाद खड़ा हो गया। वार्ड 58 के पार्षद सुमित शर्मा और वार्ड 44 के पार्षद उत्तम सैनी अपने-अपने परिचित को ठेला दिलाने को लेकर आमने-सामने आ गए। इस मुद्दे पर दोनों पार्षदों के बीच खुलेआम भिड़ंत हो गई।

 बता दें सूरजकुंड पार्क के सामने लगने वाले चाट बाजार में ठेला खड़ा कराने को लेकर शनिवार को दो भाजपा पार्षद आपस में भिड़ गए। विवाद इतना बढ़ गया कि वार्ड 58 के पार्षद सुमित शर्मा और वार्ड 44 के पार्षद उत्तम सैनी के बीच हाथापाई तक हो गई।सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और उत्तम सैनी को हिरासत में लेकर सिविल लाइन थाने ले आई। इसके बाद भाजपा नेताओं ने पुलिस के व्यवहार पर आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि पार्षदों के आपसी विवाद को पुलिस ने भाजपा बनाम पुलिस का मुद्दा बना दिया।

 मनमानी से हटते-लगते हैं ठेले

सूरजकुंड चाट बाजार के कुछ ठेलेवालों और स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि यहां ठेला लगाने का कोई तय सिस्टम नहीं है। कब किसका ठेला लग जाए, यह पूरी तरह स्थानीय नेताओं और सत्ताधारी पार्षदों पर निर्भर करता है। आरोप है कि नेता अपने परिचित या समर्थक दुकानदारों को फायदा पहुंचाने के लिए मनमाने तरीके से किसी का भी ठेला लगवा देते हैं और किसी को हटा देते हैं।इसी के चलते 1 अक्टूबर को वार्ड 58 के पार्षद सुमित शर्मा और वार्ड 44 के पार्षद उत्तम सैनी के बीच झगड़ा हो गया। दोनों अपने-अपने परिचित ठेलेवाले को यहां सेट करने की कोशिश कर रहे थे। बिना परमिशन ठेले लगवाने की इस रस्साकशी ने विवाद को बढ़ाकर हाथापाई तक पहुंचा दिया।

लोकल पॉलिटिक्स और वोटबैंक साधने की जंग

झगड़े की दूसरी बड़ी वजह इलाके की लोकल पॉलिटिक्स और वोटबैंक है। सूरजकुंड चाट बाजार यहां का प्रमुख और भीड़भाड़ वाला इलाका है, जहां सुबह 10 बजे से लेकर रात 10 बजे तक ग्राहकों की भीड़ रहती है। पार्क के सामने होने की वजह से परिवार भी बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं।इसी वजह से नेता और पार्षद इस बाजार में अपने परिचितों के ठेले लगवाना चाहते हैं। उनका मकसद ठेलेवालों को साधकर उन्हें अपने वोटर में बदलना और इलाके में राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखना है। चूंकि यह बाजार दो वार्डों से सटा हुआ है, इसलिए वार्ड 58 और वार्ड 44 के दोनों पार्षद अपने-अपने वोटरों के बीच प्रभाव जमाने के लिए यहां दखल देना चाहते हैं।

झगड़े की तीसरी और सबसे बड़ी वजह मनमर्जी से ठेला लगवाने की प्रथा है। नगर निगम के मुताबिक सूरजकुंड चाट बाजार पूरी तरह अतिक्रमण की श्रेणी में आता है। यहां लगने वाले ठेले किसी भी प्रकार के रजिस्ट्रेशन या परमिट पर आधारित नहीं होते, बल्कि स्थानीय नेताओं की शह पर खड़े किए जाते हैं।

त्योहार, मेला और वीकेंड पर यहां ठेलों की आमदनी सामान्य दिनों से कहीं ज्यादा होती है। ऐसे में सेटिंग का खेल चलता है और नेताओं के लिए यह बाजार और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यही वजह है कि किसका ठेला यहां लगेगा और किसका हटेगा, इसका फैसला निगम नहीं बल्कि नेताओं की सेटिंग से होता है।


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