जलवायु परिवर्तन और सेहत
इलमा अज़ीम
जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम की घटनाएं मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं, जिससे तनाव, चिंता, डिप्रेशन और पीटीएसडी (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) बढ़ सकता है। एक बड़े अध्ययन से पता चला है कि अत्यधिक गर्मी में लोग काफी ज्यादा चिड़चिड़े हो जाते हैं।
शोधकर्ताओं ने 157 देशों के 1.2 अरब सोशल मीडिया पोस्ट की समीक्षा की। शोधकर्ताओं ने लोगों के मूड स्कोर का मिलान स्थानीय मौसम के आंकड़ों से किया ताकि यह देखा जा सके कि तापमान का लोगों की ऑनलाइन बातों पर क्या असर पड़ा। इसके नतीजे दुनिया भर में स्पष्ट और एक जैसे थे।
जब तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया, तो कम आय वाले देशों में लोगों के पोस्ट लगभग 25 प्रतिशत ज्यादा नकारात्मक हो गए। इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाले एमआईटी के सिकी झेंग ने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चलता है कि बढ़ता तापमान न केवल शारीरिक स्वास्थ्य या आर्थिक उत्पादकता के लिए खतरा है बल्कि यह दुनियाभर में लोगों की दैनिक भावनाओं को भी प्रभावित करता है।
शोधकर्ताओं द्वारा प्रयुक्त एआई सिस्टम दर्जनों भाषाओं में लिखे गए पाठ के भावनात्मक लहजे को समझ सकता है, जिससे विभिन्न संस्कृतियों और देशों में भावनाओं की तुलना करना संभव हो जाता है। उन्होंने अनुमान लगाया कि सदी के अंत तक गर्मी के कारण भावनात्मक कल्याण 2.3 प्रतिशत तक बिगड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे मौसम और जलवायु बदलते हैं, व्यक्तियों को अपनी भावनात्मक स्थिति पर पड़ने वाले झटकों के प्रति अधिक लचीला बनने में मदद करना समग्र सामाजिक अनुकूलन का एक महत्वपूर्ण घटक होगा।




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