आटा पिसने वाली रजनी नेअपनी काबिलियत पर खुद को किया स्थापित 

  हुनर के बल पर साल भर पर कर रही 6 लाख रूपये की कमाई 

  मेरठ। जीआईसी मैदान पर शुक्रवार से दस दिवसीय आरंभ यूपी इंटरनेशनल हस्तशिल्प मेले में काफी संख्या ऐसे लोग दिखाई दे रहे है। जिन्होंने अपने हुनर के बल पर अपनी अलग पहचान बनाते हुए दूसरों को रोजगार परक बनते हुए  रोजगार परक बनते दिखाई दे रहे है।

 हम बात कर रहे है छाेटे से गांव सलावा की रजनी की जिनका स्टॉल हस्तशिल्प मेले में लगा हुआ है।  रजनी ने आज अपनी काबिलियत के  बल पर खुद को स्थापित कर लिया है. रजनी सालाना लगभग 6 लाख रुपये की कमाई अपने हुनर के  बल पर कर लेती हैं। 

रजनी  कहना है वह  एक स्वयं सहायता समूह से जुड़कर लड्डू गोपाल जी की ड्रेस बनाने का काम करती थीं। फिर सोचा क्यों न हैंडीक्राफ्ट से जुड़े ऐसे उत्पाद बनाए जाएं जो सभी को अपनी जरूरत के मुताबिक भी ठीक लगें औऱ वो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित भी करें। बताया कि कुछ जानकारी ऑनलाइन यूट्यूब से ली, कुछ उन्होंने फिर कई अलग अलग माध्यम से जानकारी जुटाई, मार्केट में जाकर डिमांड को समझा, ये भी समझा कि आखिर बाजार में वो कौन से उत्पाद हैं जो लोगों को लुभाते हैं जिन्हें न सिर्फ सीजनल बल्कि हमेशा भी लोग अपने घर में रखना चाहते हैं। रजनी बताती हैं कि उन्हें बेहद खुशी है कि समूह में तो काफी महिलाएं हैं जो काम कर रही हैं। 

 रजनी  का कहना है अपने गांव के आसपास के क्षेत्र में अलग अलग गांव की ऐसी महिलाओं औऱ बेटियों को उन्होंने प्रेरित करके अपने साथ जोड़ा हुआ है जो कि उनके लिए अलग अलग उत्पाद तैयार करती हैं। 

रजनी के मुताबिक सभी महिलाएं फुल टाईम काम नहीं कर सकतीं क्योंकि घर परिवार की जिम्मेदारी भी उनके कंधे पर होती है, ऐसे में वह सिर्फ दो घंटे तीन घंटे काम करती हैं औऱ प्रत्येक महिला आराम से महीने में कुछ समय निकालकर  लगभग औसतन 5 से 6 हजार रूपये कमा लेती हैं।



रजनी ने बताया कि कुछ महिला लड्डू गोपाल की ड्रेस उनके लिए तैयार करती हैं,  तो वहीं कुछ हैंडीक्राफ्ट का काम करती हैंञ   जैसे ही कहीं से ऑर्डर मिलता है उसके बाद कच्चा माल लाकर बाजार से देती हैं औऱ उन्हें जो भी डिजाइन या कलर में ड्रेस चाहिए होती है वह डिजाइन उपलब्ध करा देती हैं।

रजनी के मुताबिक किसी भी अवसर को हाथ से नहीं जाने देती हैं, जैसे अभी कुछ समय पूर्व जन्माष्टमी का त्यौहार था तो उन्होंने बड़े पैमाने पर भगवान श्रीकृष्ण औऱ राधा जी के लिए झूले औऱ सिंहासन बनाए। 

रजनी ने बताया कि वह किसी मेले में पहली बार आई हैं, वैसे उनका जो तैयार तमाम हैंडीक्राफ्ट के या अन्य उत्पाद हैं वह सभी बड़े स्तर पर होलसेल कीमत पर जाते हैं।  विशेष रूप से उनके बनाए सभी प्रोडक्ट दिल्ली, मेरठ समेत मथुरा वृंदावन जाता है। 

बड़े पैमाने पर तो दिल्ली  में जो हैंडीक्राफ्ट समेत अन्य सामान की थोक की मंडी हैं जैसे सदर बाजार, दिल्ली के किनारी बाजार में जाता है। हमेशा उनके पास डिमांड होती है, जिसको पूरा करने के लिए वे भी दिल लगाकर मेहनत करती हैं। 

   महिलाओं ने अपने परिवार की स्थिति को सुधारा 

रजनी ने बताया कि वह ज्यादा मुनाफा नहीं कमातीं जिस वजह से दिल्ली  होलसेल मार्केट में उनके हैंडीक्राफ्ट के अलग अलग तरह के लेम्प औऱ अन्य सभी डिजाइनर प्रोडक्ट खूब पसंद किये जाते हैं।वहीं उन्हें संतोष है कि आज सौ से ज्यादा महिलाओं को काम भी दिये हुए हैं औऱ अपने भी परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार लिया है। 

घर मे बनी आटा पीकर चलाती थी परिवार 

अपनी सफलता की कहानी बयां करने वाली रजनीका कहना है   एक वक्त था जब वह  घर में रहती थीं, परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, घर में आटा चक्की थी, उस चक्की पर ही अपने पति का हाथ बंटाती थीं।  मन में ललक थी कि कुछ करें औऱ यह भी वे अच्छी तरह समझ चुकी थीं कि जो काम पति पत्नी परिवार को पालने के लिए कर रहे हैं, उससे तो गुजारा होने  वाला नहीं था, जिसके बाद मेहनत की समूह से जुड़ गईं तो आर्थिक रूप से काम के लिए जो पैसा चाहिए था कुछ पैसा मिला औऱ ईश्वर की कृपा औऱ मेहनत का नतीजा ये रहा कि आज सब कुछ अच्छा हो गया है। 

जैसे में मेहनत कर रही हूँ सभी ऐसे ही मेहनत करें

 रजनी ने बताया कि  पति के सहयोग की बदौलत मेहनत के बल पर दो प्लॉट खरीद लिए हैं, गांव में जो घर था उसे भी अच्छी तरह से बनवाया है, दो बेटे हैं पहले टेंशन थी कि कैसे सब होगा कैसे बच्चे पढ़ेंगे लेकिन अब एक बेटा पढ़ लिखकर आर्मी में चला गया है, दूसरा बेटा इंजिनियरिंग कर रहा है। 

 24 गांव की महिलाएं औऱ बेटियां साथ जुड़ी

रजनी आज बेहद खुश हैं क्योंकि वह कहती हैं कि उनके गांव के आसपास की 24 गांव की महिलाएं औऱ बेटियां उनके साथ जुड़ी हैं जिनको वह लगातार काम देती हैं. जिले के कपसाड़, रार्धना, जवालागढ़ औऱ खेड़ा गांव समेत आसपास के गांवों में उनके द्वारा महिलाओं समय समय पर सामान उपलब्ध कराया जाता है औऱ फिर एक तय समय पर सभी उन्हें हेंडीक्राफ्ट का सामान समेत सभी जरूरी वस्तुएं तैयार करके देती हैं। जिससे उनको भी अपने घरों में रहकर ही काम मिल जाता है।

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