लखनऊ-अयोध्या हाईवे किनारे अरबों की सरकारी भूमि पर हुआ अवैध कब्जा

'शालीमार पैराडाइज' और 'मन्नत अपार्टमेंट' सील; बिल्डरों पर  मुकदमा दर्ज 

बाराबंकी। लखनऊ-अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-27) के किनारे बेशकीमती सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके कॉलोनी बनाने का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। अरबों रुपये की सरकारी सीलिंग भूमि को फर्जी दस्तावेजों के सहारे बेचकर उस पर शालीमार पैराडाइज सोसाइटी और मन्नत अपार्टमेंट जैसी बहुमंजिला रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट खड़े कर दिए गए थे।

इस बड़े भू-माफिया खेल का खुलासा होने के बाद, बाराबंकी जिला प्रशासन ने राजस्व न्यायालय के आदेश पर निर्णायक कार्रवाई करते हुए इन दोनों अवैध प्रोजेक्ट्स को सील कर दिया है। प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद अपार्टमेंट्स में रह रहे सैकड़ों फ्लैट खरीदारों में हड़कंप मच गया है।

सीलिंग भूमि पर हुआ अरबों का खेल

 यह मामला नगर क्षेत्र के कमरपुर, सरांय अकबराबाद और मोहम्मदपुर गांवों से जुड़ा है। जिलाधिकारी (DM) बाराबंकी के निर्देश पर हुई जांच में पाया गया कि ये जमीनें सरकारी अभिलेखों में उत्तर प्रदेश अधिकतम जोत सीमा आरोपण अधिनियम 1972 के तहत सरकारी घोषित होकर सीलिंग के नाम दर्ज थीं।जांच में सामने आया कि बिल्डरों और बैनामेदारों ने न्यायालय के आदेशों को दरकिनार करते हुए फर्जी दस्तावेजों के सहारे इन जमीनों पर कब्जा कर लिया और फिर उन्हें बेचकर कॉलोनियां विकसित कर दीं।

न्यायालय में खुली पूरी साजिश

 राजस्व न्यायालय (सीलिंग प्राधिकरण) में चल रहे वाद की सुनवाई के दौरान अपर कलेक्टर (न्यायिक)/नियत प्राधिकारी (सीलिंग) अरुण कुमार सिंह ने 13 अक्टूबर 2025 को जारी अपने आदेश में स्पष्ट किया कि चौधरी अजीमुद्दीन अशरफ और उनके वारिसों द्वारा रखी गई भूमि का बड़ा हिस्सा सीलिंग के अंतर्गत आता है।न्यायालय ने यह भी साफ किया कि ग्राम सराय अकबराबाद, मोहम्मदपुर और पैसार की जिस जमीन को फर्जी बैनामों और गलत दाखिल खारिजों के जरिए निजी स्वामित्व में दिखाया गया था, वह वास्तव में राज्य सरकार की है। हालांकि, कुछ गाटा संख्याओं को 2018 में सीलिंग से मुक्त किया गया था, लेकिन बाकी शेष भूमि पर सरकार का अधिकार है और उसे तत्काल कब्जे में लिया जाना था।

फर्जी बैनामों से रची गई कॉलोनी की साजिश

 जांच में पता चला कि चौधरी अजीमुद्दीन अशरफ के वारिसों ने 1971 से पहले ही कुछ जमीनों की बिक्री दिखाकर भूमि को छिपाने की कोशिश की थी। बाद में इन्हीं जमीनों को बार-बार रजिस्ट्री कराकर हाईवे किनारे शालीमार पैराडाइज और मन्नत अपार्टमेंट जैसी कॉलोनियां खड़ी कर दी गईं, जिसमें कई नामी निवेशकों और रियल एस्टेट फर्मों की भूमिका सामने आई है। प्रशासन ने इस पूरे खेल में शामिल सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और राजस्व हानि की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है।

सीलिंग के बाद खरीदारों में हड़कंप

 डीएम  के निर्देश पर लेखपाल और राजस्व निरीक्षक की टीम ने मौके पर मापी की और अवैध निर्माण की पुष्टि होने पर शालीमार पैराडाइज के मुख्य द्वार पर सीलिंग की कार्रवाई की। अचानक हुई इस कार्रवाई से अपार्टमेंट में रह रहे सैकड़ों लोग सकते में आ गए। कई फ्लैट खरीदारों ने खुद को पीड़ित बताते हुए पूरे मामले की विस्तृत जांच की मांग की है।

राजस्व विभाग ने सभी लोगों को चेतावनी दी है कि वे सीलिंग एक्ट के तहत अधिगृहित भूमि पर खरीदे गए प्लॉट या फ्लैट के दस्तावेजों की तुरंत जांच कराएं, क्योंकि ऐसी किसी भी अवैध बिक्री को कानूनी संरक्षण नहीं मिलेगा।

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