180 लोग पहली बार देखेंगे आंखों से  दिवाली 

इस साल 45 लोगों ने कार्निया की दान 

  मेरठ । नेत्रदान महादान कहा जाता है । किसी भी दानदाता के माध्यम से अगर किसी को दुनिया दिखाई देने लगे तो उसके लिए दूसरा जीवन मिलने जैसी बात है। शहर की एक संस्था मानवीय सेवा करते हुए नेत्रदान करा रही है। जिसके कारण विभिन्न कारणों से अपनी आंखों की खो चुकी रोशनी को फिर से रोशनी पा सके है। इस बार मेरठ में दानदाताओं की मदद से  180 पहली बार दिवाली  देख सकेंगे। 

 ऐसे कई लोग हैं जो आंख में चोट, फूले व धब्बे की समस्या की वजह से अंधता के शिकार हैं। इन परेशानियों के उपचार में नेत्रदान एक असरदार उपाय साबित हो सकता है। नेत्रदान के लिए लोग जागरूक होकर कई लोगों की जिंदगी में रोशनी ला सकते हैं। ऐसे लोग निकल का सामने आ रहे है। इस साल अब तक मेडिकल काॅलेज के आई बैंक ने 68 लोगों की कॉर्निया का कलेक्शन किया है। जिसमें से 45लोगों की  कॉर्निया ट्रांसप्लांट की गयी है । जिसके कारण  180 लोग  जो अपनी आंखों को गवा चुके थे पहली बार दिवाली देख सकेंगे। उनके लिए दिपावली का पर्व एक नयी रोशनी लेकर आया है। 2014  में  128 क्राेनिया कलेक्टर  की गयी। जिसमें से 176 वेटिंग रही । जबकि 111 मरीजों को कॉर्निया ट्रासंप्लांट किया गया। 2023 में 122 दान दाताओं का कॉर्निया कलेक्शन किया गया। जिसमें से  109 को कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया । इस दौरान 76 को वेटिंग में रखा गया । इस वर्ष अब तक  68 कॉर्निया कलेक्शन की जा चुकी है ।  45 कॉर्निय को 180 लोगों की आंखो में लगा कर उन्हें रोशनी प्रदान की गयी है। अभी भी वेटिंग में 48 लोगों की वेटिंग चल रही है। 

कॉर्निया प्रत्यारोपण क्या है?
नेत्रदान के लिए पहले पूरी आंख को निकाला जाता था लेकिन अब केवल आंख के पारदर्शी हिस्से यानी कॉर्निया को ही निकालते हैं। इस प्रत्यारोपण को किरेटोप्लास्टी कहते हैं जो वास्तव में कॉर्निया (पारदर्शी पुतली) का प्रत्यारोपण है। इस सर्जरी में दान की हुई आंख से पारदर्शक कॉर्निया को निकालकर खास किस्म के सॉल्यूशन में सुरक्षित रखकर आई बैंक ले जाते हैं। जहां कॉर्निया की टेस्टिंग कर उसकी गुणवत्ता का पता लगाकर कोरिसिनोल सॉल्यूशन में दो हफ्ते तक सुरक्षित रखा जा सकता है। प्रत्यारोपण के दौरान मरीज के खराब कॉर्निया को हटाकर स्वस्थ कॉर्निया लगाया जाता है। कई शोधों के बाद डॉक्टर अब दान किए गए एक कॉर्निया से चार मरीजों को रोशनी दे सकते हैं। नेत्रदान के दौरान उन लोगों को प्राथमिकता दी जाती है जिन्हें दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता।

नेत्रदान की प्रक्रिया
 मेडिकल कॉलेज में आई बैंक की प्रभारी डा. मीनाक्षी ने बताया आई बैंक या नेत्र रोग  से संपर्क कर नेत्रदान किया जा सकता है। इसके लिए एक फॉर्म भरकर जमा कराना होता है। इसके बाद व्यक्ति को एक आईडी कार्ड मिलता है जिसे उसके परिवार वाले मृत्यु के बाद दिखाकर नेत्रदान कर सकते हैं। यदि व्यक्तिने अपने जीवनकाल में नेत्रदान की घोषणा की है या परिजन मृत्यु के बाद उसकी आंखों का दान करना चाहें तो ही ऐसा करना संभव होता है। मृत्यु के बाद छह घंटे के अंदर सूचना मिलने पर नेत्र-अस्पताल या आई-बैंक से डॉक्टरों की टीम उस व्यक्ति के घर जाकर कॉर्निया निकालती है और शेष स्थान पर प्लास्टिक कैप लगा देती है ताकि चेहरा विकृत न लगे।

कौन कर सकता है
किसी भी उम्र का व्यक्ति जिसका कॉर्निया पूरी तरह से स्वस्थ हो वह नेत्रदान कर सकता है। वैसे 10-50 वर्ष के व्यक्तिकी आंखें ज्यादा उपयोगी होती हैं। दुर्घटना, हार्ट अटैक, लकवा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अस्थमा और मूत्र संबंधी रोग के कारण मौत होने पर आंखों का प्रयोग प्रत्यारोपण के लिए किया जा सकता है।

कौन नहीं कर सकता:
जिन लोगों की मृत्यु वायरल, बैक्टीरियल इंफेक्शन या एड्स की वजह से होती है उनकी आंखों के कॉर्निया का प्रयोग नेत्रदान के लिए नहीं किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य
- दान दी गई आंखें केवल उसी के लिए प्रयोग की जाती है जिसकी आंख की पारदर्शी पुतली में फूले की समस्या के कारण अंधापन हो।
- जिन्होंने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया हो और यदि सर्जरी के बाद उनकी आंखों का कॉर्निया या अंदरुनी कोशिकाएं पूरी तरह से स्वस्थ हों, वे भी आंखें दान कर सकते हैं।
- 5-70 वर्ष की आयु के व्यक्तिकी आंखों को प्रत्यारोपण के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है।
- सर्जरी से पहले प्राप्तकर्ता की आंखों की गहन जांचें होती हैं।
- मृत्यु के बाद आंखों को निकालने से पहले रक्त जांचें की जाती हैं। इससे उस व्यक्ति में वायरल, बैक्टीरियल या एचआईवी संक्रमण का पता लगाया जाता है।



नेत्रदान के लिए जागरूक कर रही सामाजिक संस्था 
 नेत्रदान ज्योति समिति के अध्यक्ष मनमोहन  ढल 2016  से नेत्रदान करने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे है मनमाेहन का कहना है अब तक वह दौ सौ लोगों की नेत्रदान करा चुके है। उनका कहना है  उनकी माता जी पुष्पा देवी की देहांत के बाद नेत्रदान से यह सिलसिला आरंभ किया था। कैंपों के माध्यम से लोगों को नेत्रदान के लिए जागरूक कर रहे है।  मनमोहन का कहना है किसी भी व्यक्ति जो अपनी आंखों की  रोशनी खो चुका है। उसकी आंखों रोशनी मिलना कोई चमत्कार से कम नहीं है। 
2014 
 क्राेनिया कलेक्टर 128
वेटिंग लिस्ट रही 176
 क्रोनिया ट्रासंप्लांट 111

2023
 क्रोनोना कलेक्शन 122
 वेटिंग                  76
 क्रोनिया ट्रांसप्लांट 109 
2025 
  क्रोनिया  कलेक्शन 68
 वेटिंग लिस्ट 48  
क्राेनिया ट्रांस्प्लांट 45


 

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