फरिश्ता बनकर आए सिपाही ने सीपीआर देकर बचाई घर के इकलौते चिराग की जान
पडोसी से विवाद के चलते फांसी लगाकर आत्महत्या का किया था प्रयास
मेरठ। थाना गंगानगर के कसेरू बक्सर में एक युवक ने पड़ोसी से विवाद के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया। डायल 112 पर सिपाही सिद्धांत तोमर ने तुरंत मौके पर पहुंचकर दीवार तोड़ी और युवक को फंदे से उतारा। सिपाही ने सीपीआर देकर युवक की जान बचाई। युवक को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और अब वह खतरे से बाहर है।
जिंदगी और मौत के बीच का फासला कुछ सांसों का ही होता है। यदि कोई इन सांसों को लौटा दें तो उसे फरिश्ता ही कहा जाएगा। बुधवार को कुछ ऐसा ही गांव कसेरू बक्सर में हुआ। दो बहनों का इकलौता भाई जिंदगी से मायूस होकर फांसी के फंदे पर लटक गया। तभी डायल-112 पर तैनात सिपाही सिद्धांत तोमर वहां फरिश्ता बनकर पहुंचे। उन्होंने हथौड़े से दीवार तोड़ी और युवक को फंदे से उतारकर कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) दी। 40 सेकेंड के बाद युवक को सांस आ गई। उसे अस्पताल ले जाया गया।
पड़ोसी से हो गया था विवाद
गांव कसेरू बक्सर निवासी 19 वर्षीय युवक का बुधवार की दोपहर पड़ोसी से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। पड़ोसी ने उसे पीट दिया था। उसने अपने पिता से पुलिस शिकायत करने के लिए कहा, लेकिन पिता ने इन्कार कर दिया। इसी से क्षुब्ध होकर युवक कमरे में गया और उसने फांसी लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया। तभी स्वजन ने डायल-112 को सूचना दी। यह सूचना डायल-112 पर तैनात सिपाही सिद्धांत तोमर तक पहुंची।
दो मिनट में मौके पर पहुंचे सिद्धांत तोमर
वह मात्र दो मिनट में मौके पर पहुंचे। पहले उन्होंने दरवाजा तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन लोहे का दरवाजा नहीं टूटा। बाद में हथौड़े से दीवार को तोड़कर सिपाही अंदर घुसे और युवक को बाहर निकाला। सिद्धांत ने उसे सीपीआर दिया तो दूसरे अन्य युवक ने अपने मुंह से सांसें दी। युवक की सांस लौट आई। उसे गंगानगर स्थित देव अनंत अस्पताल में भर्ती कराया। जहां प्राथमिक उपचार देकर मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया। अभी उसकी हालत नाजुक है।
पुलिस लाइन में सीपीआर की ली थी ट्रेनिंग
सिपाही सिद्धांत ने बताया कि कुछ दिन पहले पुलिस लाइन में सीपीआर प्रशिक्षण का कैंप लगा था। यहां पर डाक्टर ने उन्हें सीपीआर देना सिखाया था। सिद्धांत का कहना है कि उस समय का प्रशिक्षण उनके काम आया। उधर, देव अनंत अस्पताल गंगानगर के डाक्टर एके पांडेय ने बताया कि हमारे यहां युवक को लाया गया था। उसकी सांस चल रही थी, लेकिन हालत नाजुक देखते हुए हमने उसे मेडिकल कालेज रेफर कर दिया था। जहां पर उसकी हालत काफी गंभीर बतायी जा रही है।
तत्काल सीपीआर दी जाए तो सांसों को वापस लाया जा सकता है
इस मामले में मेडिकल कालेज वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. धीरज राज ने बताया कि फंदे से गर्दन जकड़ जाती है। इससे ब्रेन में खून की सप्लाई बंद हो जाती है और सांस रुक जाती है। यदि समय रहते फंदा खोल दिया जाए और तत्काल सीपीआर दे दिया जाए तो दिल की धड़कन वापस लायी जा सकती है। यदि थोड़ी भी खून की सप्लाई ब्रेन में हो रही होगी तो छाती दबाकर हार्ट को पंप करने से रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। सीपीआर में कम से कम 30 बार दोनों हाथों की हथेली से छाती को ऊपर-नीचे दबाया जाता है।
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