मानवता के लिए खतरा है युद्ध, परिणाम भयावह
- संजीव ठाकुर
आज विश्व के अनेक देश और पृथ्वी परमाणु युद्ध के कगार पर बैठी हुई है । युद्धों के परिणाम से विश्व में आर्थिक विषमताएं, गरीबी, भुखमरी बढ़ती जा रही हैं। ताजा हालातों में इजरायली आक्रमण से गाजा पट्टी पर वहां के बच्चों तथा स्त्रियों के मध्य भुखमरी बढ़ती जा रही है। भोजन के लिए अनाज तथा आटा नहीं है। जख्मी नागरिकों के लिए इलाज हेतु आवश्यक मेडिकल एड और दवाइयां भी उपलब्ध नहीं है। फिलिस्तीन में मानवीय जीवन के लिए अराजक स्थिति उत्पन्न हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देश आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं । इतिहास गवाह है कि युद्ध से कभी किसी का भला नहीं हुआ है यह आने वाली आर्थिक परेशानियों का बड़ा सबब बन चुका है। रूस-यूक्रेन युद्ध लगातार तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है हजारों सैनिकों की आहुति चढ़ चुकी है।ताजा ताजा यूक्रेन ने 100 ड्रोन से रूस पर सबसे बड़ा हमला कर दिया और रूस के पास अब गोला बारूद की कमी होने लगी है। दूसरी तरफ इजराइल-हमास युद्ध में ईरान ने अमेरिका तथा इसराइल के विरुद्ध युद्ध छेड़ कर पूरे विश्व के साथ अपने लिए भी बड़ी परेशानी पैदा कर दी थी पर इजराइल में युद्ध रुक जाने से उक्त स्थिति फिलहाल तो टल गई है। ताजा खबरों के अनुसार लेबनान ने इसराइल पर बडा हमला करके अमेरिका के युद्ध विराम के प्रयासों पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। युद्ध विराम के तमाम प्रयासों के बावजूद रूस यूक्रेन तथा इसराइल हमास युद्ध रोकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।
परमाणु संपन्न देशों के तमाम शासक अपनी राजनैतिक आकांक्षाएं, सनक को पूरा करने के लिए एक दूसरे के रक्त के प्यासे बने हुए हैंl परमाणु संपन्न देशों में चीन ,रूस और नॉर्थ कोरिया ऐसे देश हैं जिनकी बागडोर सनकी तानाशाह प्रशासकों के हाथों में है, इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप जब से दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं तब से उनके सनकी फैसलों के कारण पूरी दुनिया में उथल-पुथल मची हुई है गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप एक व्यापारिक पृष्ठभूमि से आए हुए व्यावसायिक बुद्धि के शासक हैं, और वे सदैव अन्य देशों को अपने महंगे महंगे अस्त्र-शस्त्र बेचने के जगत में रहा करते हैं ऐसी स्थिति में अमेरिका कभी नहीं जाएगा कि युद्ध विराम हो क्योंकि अमेरिका तथा अस्त्र-शस्त्र निर्माता देश युद्ध में सदैव अपना आर्थिक लाभ का दृष्टिकोण रखते हैं।यही देश अपनी विस्तार वादी महत्वाकांक्षा और सनक के चलते परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने से नहीं चूकेंगेl इतिहास गवाह है की सनकी प्रशासकों से हमेशा मानवता और विश्व की शांति को युद्ध और हिंसा का खतरा रहता आया है।
अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में नागासाकी तथा हिरोशिमा में परमाणु बम से हमला कर लाखों लोगों को मौत के मुंह में भेज दिया था इसके अलावा परमाणु हथियारों के उपयोग से पैदा हुए विकरण से आज भी जापान में बच्चों पर अप्राकृतिक प्रभाव दिखाई देतें हैं। इधर हम यदि उत्तर कोरिया के सनकी शासक किम योंग की बात करें तो वर्ष 2022 की शुरुआत के बाद से उत्तर कोरिया ने 100 से अधिक हथियारों के परीक्षण किए हैं। विशेष तौर पर कुछ अमेरिकी और उनके खास सामरिक सहयोगी दक्षिण कोरिया और जापान पर हमला करने के लिए डिजाइन की हुई परमाणु मिसाइल भी शामिल हैं। उत्तर कोरिया अमेरिका को लक्ष्य बनाकर क्रूज मिसाइल का प्रक्षेपण भी करता आ रहा है।
रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान भारी तबाही का मंजर तो सामने आ ही गया है इसके अलावा यूक्रेन की अमेरिकी तथा नाटो देशों की मदद से नाराज होकर रूस ने स्पष्ट तौर पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की सार्वजनिक धमकी कई बार दी है। उल्लेखनीय है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को जितना जान माल का नुकसान हुआ है उसके बराबर भी रूस में सामरिक हथियारों और सैनिकों की जाने गई हैं।रूस को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि यूक्रेन इतने दिन तक रूस के साथ युद्ध को खींच सकता है। इन परिस्थितियों के परिणाम स्वरूप और वहां के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कभी भी अपनी सनक के चलते परमाणु बमों से हमला भी कर सकता है। चीन और ताइवान विवाद में भी चीन के तानाशाह सी जिनपिंग अपनी विस्तारवादी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए और अमेरिका के परोक्ष रूप से ताइवान की मदद के कारण नाराजगी के चलते ताइवान पर कभी भी हमला कर सकता है।
स्पष्ट है कि रूस चीन और उत्तर कोरिया तीनों परमाणु संपन्न देश अमेरिका के सबसे बड़े और कट्टर दुश्मन नई परिस्थितियों में बन चुके हैं। यह भी खुला और सर्व विदित तथ्य है अमेरिका का राष्ट्रपति वहां की जनता तथा राजनीतिक पार्टियों के दबाव में विश्व का सुप्रीमो बने रहने के चलते युद्ध मेनिया पर सवार रहता है, विश्व में अमेरिका को सर्वशक्तिमान बनाए रखने के चलते अमेरिका को चीन रूस और उत्तर कोरिया फूटी आंखों नहीं भातें हैं। कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी के अनुसार अमेरिका तथा दक्षिण कोरिया की सेना अपने वार्षिक सैन्य अभ्यास की ओर अग्रसर होकर लगातार समुद्र तथा उत्तर कोरिया की सीमा पर चक्कर लगा रही है। उत्तर कोरिया इसे अमेरिका तथा दक्षिण कोरिया के हमले के पूर्वाभ्यास की तरह आंकलन कर रहा है । उधर अमेरिका जापान और दक्षिण कोरिया अपने त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन में उत्तर कोरिया के बढ़ते परमाणु एवं मिसाइलों का मुकाबला करने हेतु संयुक्त रुप से बैलेस्टिक मिसाइल निर्माण तथा प्रयोग के सहयोग के लिए सहमति दे चुके हैं। इन तीनों देशों की संयुक्त तैयारी को देखते हुए उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग ने रणनीतिक क्रूज मिसाइल के प्रायोगिक परीक्षण का निरीक्षण भी किया है।
अमेरिका तथा पश्चिमी देश हर उस देश का साथ देने को तैयार है जो मूल रूप से चीन, उत्तर कोरिया और रूस का विरोध करते हैं। इधर भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही चीन से परंपरागत दुश्मनी चली आ रही है दूसरी तरफ भारत रूस का अभिन्न मित्र भी है भारत परंपरागत रूप से रूस का समर्थन करते आया है ये अलग बात है कि अमेरिका से उसके संबंध पिछले 10 सालों से काफी मधुर हो गए हैं और वह सदैव शांति का पक्षधर रहा है। भारत ने बुद्धिमत्ता पूर्वक पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर चला कर 3 दिन में आतंकवादियों के अड्डों को तबाह किया और पाकिस्तान के अनुनय विनय पर युद्ध को विराम दे दिया। इस ऑपरेशन सिंदूर में भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ यह भारत का बुद्धिमत्ता पूर्वक कम था।
नवीन परिस्थितियों में रूस यूक्रेन युद्ध चीन ताइवान विवाद और उत्तर कोरिया की दक्षिण कोरिया के ऊपर अनावश्यक दादागिरी और अमेरिकी तथा नैटो देशों का खुलकर चीन रूस तथा उत्तर कोरिया के लिए विरोध पूरे विश्व में परमाणु हेतु की पूरी-पूरी पृष्ठभूमि तथा प्रस्तावना तैयार कर चुके हैं और यह भी संभावना होगी कि पाकिस्तान तथा खाड़ी के देश भी ऐसी परिस्थितियों में किसी भी संभावित विश्वयुद्ध में शामिल हो सकते हैं। यदि विश्व युद्ध होता है तो यह मानवता तथा पृथ्वी के लिए बड़ा ही विनाशक होगा हम सिर्फ कामना कर सकते हैं की युद्ध नहीं हर तरफ शांति ही शांति हो।
(स्तंभकार, चिंतक, रायपुर छत्तीसगढ़)
No comments:
Post a Comment