आत्मविश्वासी,आत्मबल ,आत्मनिर्भरता का पर्याय: मैं समर्थ हूं मैं स्वयंसिद्धा हूं

इंदौर। भारत विकास परिषद मध्य भारत दक्षिण प्रांत द्वारा प्रांतीय महिला सहयोगिता सम्मेलन स्वयंसिद्धा का आयोजन सुदर्शन सभागृह(रामबाग) में किया गया। आयोजक भारत विकास परिषद की अहिल्या, तिलक तथा विवेकानंद शाखा थी।

आयोजन की प्रांतीय संयोजक डॉ.ज्योति जैन ने बताया कि पूरे दिन के तीन सत्रों में प्रांतीय अध्यक्ष वीरेंद्र जैन सचिव विजय नामदेव सहित राष्ट्रीय संयोजक अरविंद बंदी, संदीप मल्होत्रा तथा अलका कुशवाहा विशेष रूप से उपस्थित थीं।तीनों सत्रों में नारी शक्ति के रूप में डॉ. दिव्या गुप्ता ,माला ठाकुर तथा डॉ. प्रगति जैनने अपने उद्बोधन में कहा- हर स्त्री स्वयंसिद्धा है। शक्ति उसके भीतर है और वह स्वयं शक्तिपुंज है।महिला सशक्तिकरण या प्रतिद्वंद्विता की बात नहीं है। दोनों ही बराबर है। लेकिन जीजाबाई होंगी तभी शिवाजी बन पाएंगे।स्त्री आत्मनिर्भर बने लेकिन आत्मनिर्भरता का अर्थ यही है कि निर्णय लेने की क्षमता हो।साथिया स्त्री अपने नैसर्गिक गुना को भी न भूले।पाश्चात्य के प्रभाव से स्त्री मुक्ति के मायने बदलते जा रहे हैं। स्त्री को वही समझना होगा और यही स्वयंसिद्धा होना है।ग्वालियर से आई पदाधिकारी  द्वय संदीपा मल्होत्रा व अलका कुशवाह ने परिषद के पांच स्तंभ संपर्क, सहयोग, संस्कार ,सेवा व समर्पण पर विस्तार से बात की।आयोजन में खंडवा,खरगोन, धार, ग्वालियर  ,नर्मदापुरम आदि स्थानों से बड़ी संख्या में महिला सदस्यों ने अपनी सहभागिता की।प्रांतीय संयोजक डॉ ज्योति किरण जैन ने स्वागत उद्बोधन दिया। वंदे मातरम की प्रस्तुति भारती भाटे ने दी।स्वागत सलोनी चौरसिया, सीमा माहेश्वरी, नवोदिता पाटनी,सुनीता गुप्ता  ने किया कार्यक्रम का संचालन सुलोचना मंत्री ने किया।


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