बिहार में SIR प्रोसेस में अब बचे सिर्फ 5 दिन, ‘लापता’ 11 हजार वोटर्स कौन?
नयी दिल्ली,एजेंसी।चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार में रजिस्टर्ड 7.9 करोड़ वोटर्स में से करीब 96% ने अपने नामांकन फॉर्म जमा कर दिए हैं।जबकि 5.3% वोटर्स अब तक अपने पते पर नहीं पाए गए। 7.90 करोड़ वोटर्स में से 95.92 फीसदी वोटर्स को शामिल किया जा चुका है, और इस प्रक्रिया में अभी 5 दिन और बचे हैं।
बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया अब अपने अंतिम हफ्ते में पहुंच गई है और इसको लेकर चल रहा काम निर्णायक दौर में है। अब महज 42 लाख वोटर्स के नाम इसमें शामिल होने रह गए हैं, हालांकि चुनाव आयोग की ओर से शनिवार को जारी लेटेस्ट अपडेट में करीब 11 हजार ऐसे लोग भी हैं जो “पता नहीं लगने वाले” यानी Not Traceable वोटर्स हैं।
सूत्रों के हवाले से बताया कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान “पता नहीं लगने वाले” वोटर्स संभवतः बिहार के बाहर रहने वाले अवैध प्रवासी हैं, जिन्हें फर्जी वोटों की गुंजाइश बनाने के इरादे से राज्य की वोटर लिस्ट में नामांकित किया गया था।
दर्ज पते पर नहीं मिले वोटर्स
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि “पता नहीं लगने वाले” वोटर्स न केवल बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) को उनके दर्ज पते पर नहीं मिले, बल्कि उनके करीबी पड़ोसियों को भी उनके वहां रहने की कोई जानकारी नहीं थी। कुछ मामलों में तो इन पतों पर कोई घर या आवास तक नहीं मिला।
एक अधिकारी ने यह भी कहा, “इस बात की संभावना है कि वे अवैध अप्रवासी हों- संभवतः बांग्लादेशी या रोहिंग्या- जो पड़ोसी राज्यों में रह रहे हों, लेकिन वे किसी तरह बिहार में जोड़-तोड़ या भ्रष्ट साधनों का इस्तेमाल कर खुद के लिए मतदाता फोटो पहचान पत्र बनवाने में कामयाब हो गए हों। उन्होंने बताया कि इससे चुनावों के दौरान फर्जी वोट डाले जाने का खतरा है।
करीब 42 लाख वोटर्स बचे
बिहार में करीब 41.6 लाख वोटर्स, जो कुल वोटर्स का 5.3% है, बीएलओ की ओर से की गई 3 अनिवार्य यात्राओं (Mandatory Visits) के बावजूद वे अपने पते पर नहीं पाए गए; इनमें करीब 14.3 लाख (1.8%) संभवतः मर चुके वोटर्स हैं, जबकि 19.7 लाख या 2.5% संभवतः स्थायी रूप से कहीं और शिफ्ट कर चुके वोटर्स हैं। इसके अलावा 7.5 लाख या 0.9% वोटर्स कई स्थानों पर नामांकित हैं. साथ ही करीब 11,000 वोटर्स वो हैं जो ‘पता नहीं लगने योग्य’ लिस्ट में हैं।
संभावित रूप से मर चुके वोटर्स का आंकड़ा भी बहुत पेचीदा है, क्योंकि इनके नाम 24 जून 2025 तक बिहार की वोटर लिस्ट में शामिल थे।एक अधिकारी का कहना है कि अगर मर चुके वोटर्स का नाम वोटर लिस्ट से नहीं हटाया तो यह फर्जी वोट डालने का रास्ता बनता है। करीब 42 लाख से अधिक मिसिंग वोटर्स, जब अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में बंटे होते हैं, तो कुछ जगहों पर हार-जीत में अहम साबित हो सकते हैं।
अब तक 96 फीसदी फॉर्म जमा
चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार में रजिस्टर्ड 7.9 करोड़ वोटर्स में से करीब 96% ने अपने नामांकन फॉर्म जमा कर दिए हैं। जबकि 5.3% वोटर्स अब तक अपने पते पर नहीं पाए गए. 7.90 करोड़ वोटर्स में से 95.92 फीसदी वोटर्स को शामिल किया जा चुका है, और इस प्रक्रिया में अभी 5 दिन और बचे हैं. SIR फॉर्म जमा कराने को लेकर अभी 5 दिन और बचे हैं, चुनाव आयोग का कहना है कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बचे करीब 32 लाख वोटर्स को ड्रॉफ्ट लिस्ट में जोड़ा जाए।
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