सुप्रीम कोर्ट सख्त: पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ से बंगला खाली कराने का आदेश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ एक बार फिर सुर्खियों में हैं। रिटायरमेंट के 8 महीने बाद भी सरकारी बंगले में रह रहे डीवाई चंद्रचूड़ को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र सरकार को सख्त आदेश दिया है कि उनसे तत्काल बंगला खाली कराया जाए।

कृष्णा मेनन मार्ग स्थित बंगला नंबर 5 की बात हो रही है, जिसे चंद्रचूड़ को मुख्य न्यायाधीश रहते हुए आवंटित किया गया था। अब उनकी अधिकतम निर्धारित अवधि 10 मई 2025 को समाप्त हो चुकी है, और अतिरिक्त दी गई मोहलत भी 31 मई को खत्म हो गई। इसके बावजूद बंगला खाली नहीं किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रालय को भेजा पत्र

सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने 1 जुलाई को आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखते हुए कहा:

“आपसे अनुरोध है कि बंगला संख्या 5, कृष्णा मेनन मार्ग, जो माननीय पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को आवंटित था, उसे तत्काल खाली कराया जाए। उन्हें नियमों के अनुसार अतिरिक्त 6 माह की अवधि मिल चुकी है, जिसकी अंतिम तिथि 31 मई 2025 थी।”

डीवाई चंद्रचूड़ ने दी सफाई

इस पूरे विवाद के बाद पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में उन्होंने बताया कि सरकार ने उन्हें एक नया किराए का घर आवंटित किया है, लेकिन वह वर्षों से खाली था और उसमें रहने लायक स्थिति नहीं है।

उन्होंने कहा: “मैंने सुप्रीम कोर्ट को इस बात की सूचना पहले ही दे दी थी। आवंटित आवास की मरम्मत और साफ-सफाई का काम चल रहा है। जैसे ही यह पूरा होता है, मैं तुरंत वहां शिफ्ट हो जाऊंगा।”

नियम क्या कहते हैं?

सरकारी नियमों के अनुसार, कोई भी मुख्य न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने के छह माह बाद तक सरकारी आवास में रह सकता है। जरूरत पड़ने पर यह अवधि एक बार बढ़ाकर कुल 8 महीने तक की जा सकती है, जो अब खत्म हो चुकी है। ऐसे में अब चंद्रचूड़ का बंगले में रहना नियमों के विपरीत माना जा रहा है।

जस्टिस संजीव खन्ना और बीआर गवई का क्या?

दिलचस्प बात यह है कि डीवाई चंद्रचूड़ के बाद मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस संजीव खन्ना और मौजूदा CJI बी आर गवई अपने पुराने आवंटित आवासों में ही रह रहे हैं और नए बंगले की मांग नहीं की है।

इस पूरे मामले ने अब सरकारी आवास नीति, न्यायपालिका की गरिमा और नियमों की पालना जैसे महत्वपूर्ण विषयों को एक बार फिर से राष्ट्रीय चर्चा में ला दिया है।

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