जीएसटी नोटिसों से डरे छोटे व्यापारी, यूपीआई छोड़ लौटे कैश पर
पश्चिमी यूपी में भी छोटे दुकानदारों पर दिख रहा इसका असर
मेरठ। छोटे दुकानदारों को जीएसटी का नोटिस जाने के बाद मेरठ समेत वेस्ट यूपी के छाेटे दुकानदार यूपीआई को छोड़कर कैश लेन-देन की और लौटने आरंभ हो गये है। व्यापारियों में यह डर बैठ गया है कि डिजिटल पेमेंट करना कहीं मुश्किल में न डाल दे। सोशल मीडिया पर फिनफ्लुएंसर अक्षत श्रीवास्तव ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह रुझान डिजिटल इंडिया मिशन के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
विजडम हैच के संस्थापक अक्षत श्रीवास्तव ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “छोटे दुकानदार अब UPI छोड़ रहे हैं और कैश में लेन-देन कर रहे हैं। उनके पास पहले ही बहुत कम मुनाफा होता है। GST के तहत पंजीकरण करने पर उन्हें 18% तक टैक्स जोड़ना पड़ता है, जिससे ग्राहक कट सकते हैं और बिक्री घट सकती है।”
उनका कहना है कि छोटे व्यापारी अकाउंटिंग में दक्ष नहीं होते और अक्सर व्यक्तिगत व व्यापारिक खाते अलग नहीं रखते। परिवार के सदस्यों के खातों में पैसे आना भी ‘आय’ माना जा सकता है, जिससे टैक्स का खतरा बढ़ जाता है।
छोटे व्यापारियों में डर का माहौल
अक्षत श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा कि छोटे दुकानदार अब UPI पेमेंट छोड़कर वापस कैश में लेनदेन करने लगे हैं। उनके मुताबिक, छोटे व्यापारियों के पास पहले से ही सीमित मुनाफा होता है। अगर वे GST के तहत पंजीकरण करते हैं, तो उन्हें अपने ग्राहकों से टैक्स वसूलना होगा—जो 18% तक हो सकता है। इससे उनके सामान महंगे हो जाएंगे और ग्राहक कट सकते हैं।
निजी और व्यावसायिक लेन-देन का कोई स्पष्ट अंतर नहीं
श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि छोटे व्यापारी अक्सर अपने निजी और व्यापारिक खातों को अलग नहीं रखते। कई बार लेनदेन परिवार के सदस्य—जैसे बेटे, पत्नी या भाई के खातों से होते हैं। ऐसे में सारे ट्रांजैक्शन को आय मान लिया जाता है, और इस पर GST लगाया जा सकता है। इससे बिना जानबूझे भी व्यापारी टैक्स के दायरे में आ सकते हैं।
कैश की ओर लौटना एक सुरक्षा उपाय बन गया है
ट्रेड बॉडीज से जुड़े कई व्यापारियों का कहना है कि डिजिटल पेमेंट करने से अब डर लगने लगा है, क्योंकि उन्हें आशंका है कि कोई भी बड़ा ट्रांजैक्शन विभाग के रडार पर आ सकता है। ऐसे में कई छोटे दुकानदार अब खुलकर कह रहे हैं कि “भीख मांग लेंगे, लेकिन GST की झंझट नहीं पालेंगे।” यह रुझान स्पष्ट रूप से कैश लेनदेन की वापसी की ओर इशारा करता है।
नोटिस अंतिम नहीं, लेकिन डर असली है
कर्नाटक में हाल ही में 6,000 से अधिक व्यापारियों को नोटिस भेजे गए, जो UPI लेनदेन के आंकड़ों पर आधारित थे। हालांकि वाणिज्यिक कर विभाग का कहना है कि ये नोटिस अंतिम नहीं हैं और व्यापारी विभाग में आकर स्पष्टीकरण दे सकते हैं। लेकिन व्यापारी वर्ग का कहना है कि प्रारंभिक डर ही काफी है डिजिटल पेमेंट से हटने के लिए।
पश्चिमी यूपी में भी व्यापारी हो रहे सतर्क
मुजफ्फरनगर, मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद और नोएडा जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शहरों में भी व्यापारियों में UPI को लेकर झिझक देखी जा रही है।
मेरठ के ड्रग्स एंड कैमिस्ट एसाे. के महामंत्री रजनीश कौशल का कहना है ने कहा, “हम डिजिटल पेमेंट के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अब डर लगता है कि कहीं किसी दिन नोटिस आ गया तो कैसे जवाब देंगे। इसलिए अब ज्यादातर ग्राहक से सीधे कैश लेना ही सुरक्षित लग रहा है।”
गाजियाबाद के एक कपड़ा व्यापारी मोहम्मद शमीम का कहना है, “पिछले महीने से हमने ₹2,000 से ऊपर की खरीद पर ग्राहक को कैश देने की सलाह शुरू कर दी है। कोई कारण नहीं कि टैक्स विभाग हर यूपीआई लेन-देन को आय माने।”
विभाग ने दी सफाई, लेकिन व्यापारी आश्वस्त नहीं
कर्नाटक में करीब 6,000 नोटिस भेजे गए हैं, जो व्यापारियों के UPI लेनदेन डेटा पर आधारित हैं। वाणिज्यिक कर विभाग की संयुक्त आयुक्त मीरा सुरेश पंडित ने कहा कि ये नोटिस अंतिम नहीं हैं और सिर्फ स्पष्टीकरण के लिए भेजे गए हैं। सही जवाब मिलने पर नोटिस रद्द भी हो सकते हैं।लेकिन व्यापारी संगठनों का मानना है कि डर का माहौल पहले ही बन चुका है। व्यापारी अब जोखिम नहीं लेना चाहते।
कैश की वापसी से डिजिटल इंडिया को झटका
फिनफ्लुएंसर अक्षत श्रीवास्तव ने चेतावनी दी है कि यह रुझान देश की डिजिटल प्रगति के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। “जब व्यापारी डर के कारण डिजिटल से कैश की ओर लौटते हैं, तो यह केवल टैक्स नीति की असफलता नहीं, बल्कि सिस्टम पर अविश्वास का संकेत है,” उन्होंने कहा।
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