सराय काले खा से मोदीपुरम तक सब कुछ ओके ,सरकार की हरी झंडी का इंतजार

  रक्षा बंधन पर मैट्रो व 15 अगस्त से मैट्राे व नमो भारत का संचालन शुरू !

 मेरठ। दिल्ली के सराय काले खा से मोदीपुरम तक मैट्रो का कार्य पूरी तरह हो चुका है। एनसीआरटीसी का ट्रायल पूरी तरह सफल हुआ है। सेफ्टी कंट्रोल कमिश्नर ने रेलवे ट्रैक का निरीक्षण कर ओके रिपोर्ट दे दी है। अब सिर्फ सरकार की हरी झंडी मिलने का इंतजार है। 

 बता दें  5 साल पहले बुना गया रैपिड संचालन का सपना अब धरातल पर साकार होने को तैयार है। पूरे 82.15 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर पर ट्रायल रन सफलता के साथ पुरा हो गया है। इस पूरे कॉरीडोर की खास बात यह कि 82.15 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर पर रैपिड ट्रेन 68.3 किलोमीटर के हिस्से पर जमीन के ऊपर (एलिवेटेड) तो 14.12 किलोमीटर के हिस्से में ज़मीन के नीचे (अंडर ग्राउंड) दौड़ेगी। यह भी एक संयोग होगा कि रैपिड 68 किलोमीटर उत्तर प्रदेश में तो 14 किलोमीटर दिल्ली में दौड़ेगी। उधर दिल्ली (सराय काले खां) से मेरठ (मोदीपुरम डिपो) के बीच रैपिड का बोझ कुल 2890 पिलर्स उठाएंगे। यानि कि इन पिलर्स पर रैपिड एलिवेटेड दौड़ेगी। 14 किलोमीटर का हिस्सा भूमिगत (अंडर ग्राउंड) है। यानि कि इतने हिस्से में रैपिड सुरंगों में होकर गुजरेगी।

 अंडर ग्राउंड ट्रेन संचालन के लिए मेरठ शहर के पुराने हिस्से में बनाई गईं सुरंगे एनसीआरटीसी की आधुनिक  तकनीक का कमाल कही जा सकती हैं। पुराना शहर होने के कारण यहां सुरंगे बनाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा था लेकिन एनसीआरटीसी ने चैलेंज एक्सेप्ट किया और तकनीक के बल पर यह जंग भी जीत ली।

प्रदूषण भी घटाएगी रैपिड रेल 

 प्रदूषण को कम करने में भी यह रेल सहायक सिद्ध होगी। यह रेल हर साल लगभग ढाई लाख टन कार्बन उत्सर्जन घटाएगी। पूरे कॉरीडोर पर संचालन के साथ ही  एनसीआर की सड़कों से लगभग 1 लाख वाहनों का दबाव कम हो जाएगा। यह वह वाहन होंगे जिनके यात्री अपने वाहन छोड़ रैपिड से सफर करेंगे। इस कॉरिडोर के यात्रियों के लिए ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम भी बेहद खास है। 

 एक कोच  प्रीमियम बिजनेस क्लास भी 

 छह कोच वाली रैपिड ट्रेन में जहां एक कोच महिलाओं के लिए आरक्षित है वहीं प्रीमियम बिजनेस क्लास के लिए भी एक कोच आरक्षित किया गया है। हालांकि इस कोच का किराया सामान्य कोच से अधिक है लेकिन सुविधाएं भी अतिरिक्त और लग्जरी हैं। सूत्रों के अनुसार भीड़ बढ़ने पर रैपिड ट्रेन छह की जगह 9 कोच की हो सकती है।

देश के अंदर चलने वाली मैट्रो से कुछ अलग होगी मैट्रो

दरअसल मेरठ में चलने वाली मेट्रो ट्रेन कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई,  बेंगलुरु, हैदराबाद, जयपुर, गुरुग्राम, मुंबई, कोच्चि, लखनऊ, नोएडा, कानपुर और पुणे की मेट्रो ट्रेन से ज्यादा स्मार्ट होगी। यानी रफ्तार के हिसाब से मेरठ मेट्रो देश भर में चलने वाली मेट्रो ट्रेन में अव्वल होगी। अमूमन देश भर के जिन जिन शहरों में मेट्रो ट्रेन संचालित हो रही हैं, तो उनकी औसत संचालन गति 80  से 90 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच रहती है। दिल्ली में चलने वाली मेट्रो ट्रेन की गति भी 100 किलोमीटर प्रति घंटे से नीचे ही है। दिल्ली में केवल एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर चलने वाली मेट्रो ट्रेन की गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है। देश में पहली बार कोलकाता में 1984 में शुरू हुई मेट्रो ट्रेन की गति भी मेरठ मेट्रो से कम है।  मेरठ मेट्रो की स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटा होगी जो कि देश में सबसे अधिक होगी।  रैपिड ट्रेन की ऑपरेशनल स्पीड 160 किमी प्रति घंटा है जो फिलहाल दिल्ली के न्यू अशोक नगर से मेरठ साउथ तक संचालित हो रही है। 

 पिछले साल दुहाई से रक्षाबंधन तक सराय काले तक शुरू हुई थी मैट्रो 

 बता दें गत वर्ष महिलाओं को रक्षाबंधन का तोहफा देते हुए दुहाई से सराय काले खा तक मैट्रो की सेवा आरंभ हुई थी। महिलाओं ने भी बढ़चढ़ कर इसका स्वागत करते हुए सरकार को बधाई दी थी। 

ये होगे स्टेशन 

मेरठ मेट्रो के स्टेशन /  मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैसाली, बेगमपुल, एमईएस कॉलोनी, दौरली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम, मोदीपुरम डिपो

 




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