भीगते हुए मंदिर पहुंच रहे शिवभक्त, कई इलाकों में जलभराव

जलभराव में शहर के थाने भी अछूत नहीं रहे 

मेरठ। बुधवार को महाशिवरात्रि के पर्व पर आसमान भी जलाभिषेक कर रहे श्रद्धालूओं पर पूरी तरह मेहबान रहा। जहां पिछले तीन चार दिनों से  उमस ने लोगों के साथ हरिद्वार से कांवड़ लेकर आ रहे श्रद्धाुओं को परेेशान कर रखा था। वहीं बुधवार की सुबह तेज बरसात श्रद्धालूओं को संजीवनी दे दी। बरसात के दौरान ही लाखों की तादात में श्रद्धालूओं ने जलाभिषेक किया।

 बरसात की आंशका तो दो तीन से की जा रही थी। सुबह 7.45 पर रिमझिम फुहारें पड़नी आरंभ हो गयी। जाे लगातार रूक-रूक कर पड़ती रही। लेकिन 9.45 से अचानक तेज बारिश शुरू हो गई है। तेज बारिश के बीच भी औघड़नाथ मंदिर में कांवड़ियों के कदम रुक नहीं रहे। बाबा के भक्त इसी बारिश के बीच दंडवत होकर जलाभिषेक के लिए आगे बढ़ते जा रहे हैं। बरसात भी उनकी अस्था को नहीं रोक पायी। 



 बरसात का पानी मकानों में घुसा 

लगातार बरसात से शहर के इलाको में पानी भर गया। गली मौहल्लों में पानी भर गया।काफी मकानों में पानी घुस गया। जिले निकालते हुए लोग नजर आए। शास्त्री नगर,थापर नगर, खैरनगर, वैली बाजार ,लाला का बाजार, घंटाघर , सुभाष नगर, लिसाडी रोड़, शारदा रो़ड़ ,रेलवे रोड़ आदि निचले इलाकों  में पानी भर गया। सड़क से वाहन लेकर गुजर रहे लोगों को सड़क व नाली की पता नहीं चल पा रहा था। लोग अंदाजे से अपने वाहनों को निकलते हुए दिखाई दिए। 



थानों में भरा पानी 

 मूसलाधार बरसात के कारण ब्रहमपुरी, देहली गेट, रेलवे रोड़, लिसाडी गेट, नौंचदी ,सिविल लाइन ,लाल कुर्ती थानों में पानी भर गया। डयूटी पर आने वाले पुलिस कर्मियों को आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा । वही एसएसपी कार्यालय व मंडलायुक्त कार्यालय में यही हाल देखने काे मिला।

मानसूनी गतिविधियों और पश्चिमी विक्षोभ के संयुक्त प्रभाव के कारण बनी

 मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यह बारिश मानसूनी गतिविधियों और पश्चिमी विक्षोभ के संयुक्त प्रभाव के कारण हुई।मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मेरठ सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मौसम का मिजाज मानसून और पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के कारण बदल रहा है। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. यू.पी. शाही के अनुसार, जुलाई के अंत तक मौसम में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। हल्की से मध्यम बारिश और आंधी-तूफान की स्थिति बनी रह सकती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि बारिश की कमी का कारण इस बार मानसून की कमजोर गतिविधियां और उच्च दबाव क्षेत्र का प्रभाव रहा है, जिसके चलते कुछ दिनों में बारिश अपेक्षाकृत कम हुई।


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