भारत-अमरीका अंतरिम व्यापार की संभावनाएं
- डा. जयंतीलाल भंडारी
यकीनन इस समय भारत और अमरीका के बीच अंतरिम कारोबार समझौते के अंतिम दौर की वार्ता इसी माह जून तक पूर्ण किया जाना ट्रंप के बार-बार बदलते टैरिफ रुख के साथ-साथ दो अन्य कारणों से भी भारत के हित में है। कुछ दिनों पहले तक चीन पर भारी टैरिफ लगाने वाले ट्रंप ने अब अमरीका और चीन के बीच व्यापार युद्ध रोककर कारोबारी संबंधों को वापस पटरी पर लाने और दुर्लभ खनिजों पर चीन के निर्यात प्रतिबंधों को हटाने के लिए 11 जून को चीन के साथ करार किया है। इसके तहत जहां चीन अमरीका को मैग्नेट और दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति करेगा, वहीं अमरीका अपने कालेजों और विश्वविद्यालयों में चीनी छात्रों को पढऩे की अनुमति देगा। इसी तरह अमरीका की व्यापक शुल्क नीति पर अमरीका की संघीय अपील अदालत द्वारा ट्रंप के अनुकूल फैसला दिया गया है। इस फैसले से अमरीका अन्य देशों के खिलाफ खुद को बचाने के लिए शुल्क का उपयोग कर सकता है। अतएव ऐसे परिदृश्य में भारत और अमरीका के बीच अंतरिम व्यापार समझौते से ट्रंप के व्यापार यूटर्न पर रोक लग सकेगी।
गौरतलब है कि हाल ही में अमरीका के वाणिज्य मंत्री हॉर्वर्ड लटनिक ने कहा कि भारत और अमरीका के बीच आंतरिक व्यापार समझौता इसी जून महीने में पूरा होते हुए दिखाई दे सकेगा। इस तरह के समझौते को पूर्ण होने में दो या तीन साल लग जाते थे। विगत 29 मई को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मैनहैटन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार अदालत के द्वारा विभिन्न देशों के विरुद्ध अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी शुल्क सहित अन्य विभिन्न शुल्कों को अवैध ठहराए जाने के बीच अमरीका के साथ भारत की व्यापार वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ती रहेगी। वस्तुत: इस समय भारत-अमरीका कारोबार के बढऩे के बारे में तीन बातें रेखांकित हो रही हैं। एक, भारत और अमरीका के बीच 25 जून, 2025 तक एक अंतरिम व्यापार समझौते की घोषणा हो सकती है। दो, भारत सरकार अपनी सरकारी खरीद बाजार का एक हिस्सा विदेशी कंपनियों के लिए खोलने जा रही है तथा इसमें अमरीका की कंपनियां भी शामिल होंगी। भारत सरकार के खरीद अनुबंधों का केवल एक हिस्सा विदेशी कंपनियों के लिए खोला जाएगा। यह हिस्सा मुख्य रूप से केवल केंद्र सरकार की परियोजनाओं से जुड़ा होगा। तीन, अमरीकी कंपनियों के लिए भारत लाभ का बाजार बना हुआ है।



अमरीकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप के द्वारा आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल के सीईओ टिम कुक को अमरीका में बिकने वाले आईफोन भारत में बनाए जाने पर अमरीका में 25 फीसदी टैरिफ लगाए जाने की कड़ी चेतावनी के बाद भी एप्पल ने भारत में आईफोन विस्तार जारी रखने का संकेत दिया है। गौरतलब है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने वाशिंगटन में अमरीकी वाणिज्य मंत्री हार्वर्ड लटनिक के साथ दोनों देशों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण की वार्ता की प्रगति की समीक्षा की और कहा कि पारस्परिक लाभ (रेसिप्रोकल) सुनिश्चित करने के लिए वस्तुओं में अंतरिम व्यापार व्यवस्था को आकार दिए जाने की संभावना हैं। अमरीका ने विगत 2 अप्रैल को भारतीय सामान पर अतिरिक्त 26 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था, लेकिन इसे 9 जुलाई तक यानी कुल 90 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया था। ऐसे में 8 जुलाई के पहले अमरीका के साथ किया जाने वाला अंतरिम व्यापारिक समझौता टैरिफ विवादों को सुलझाने और दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। इस संभावित अंतरिम व्यापार समझौते के बारे में जो तस्वीर उभर कर दिखाई दे रही है, इसके तहत अमरीका के बाजार में भारतीय वस्तुओं पर लगने वाले शुल्क को शून्य करवाने के लिए भारत भी अमरीका की कई वस्तुओं पर शुल्क में राहत दे सकता है। अमरीका भारत के बाजार में कृषि उत्पादों का निर्यात करना चाहता है, लेकिन भारत सिर्फ गैर जेनिटिकली मोडिफायड (जीएम) कृषि उत्पादों को ही अपने बाजार में आने की अनुमति देगा। डेयरी जैसे संवेदनशील उत्पादों को भी शुल्क समझौते में शामिल करने की उम्मीद नहीं है।
भारत अमरीका से सभी रोजगारपरक सेक्टर में शून्य शुल्क या अति कम शुल्क चाहता है ताकि इन सेक्टर का अमरीका में होने वाला निर्यात बढ़े, जिससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग व रोजगार बढ़ोतरी में मदद मिलेगी। दूसरी तरफ, अमरीका इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ, वाइन, एथनाल, कई औद्योगिक आइटम व कुछ खाद्य आइटम के शुल्क में छूट चाहता है। इसके साथ अमरीका भारत के गुणवत्ता नियंत्रण नियम में भी छूट चाहता है। पिछले दिनों अमरीका के वित्तमंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी वाशिंगटन में एक बैठक में कहा कि पूरी दुनिया में भारत एक ऐसे पहले देश के रूप में सामने है, जिसके साथ अमरीका का द्विपक्षीय-कारोबार समझौता (बीटीए) प्रारंभिक आकार लेने के करीब है। भारत-अमरीका के बीच बीटीए को 31 दिसंबर, 2025 तक पूर्ण करना सुनिश्चित किया गया है।



गौरतलब है कि विगत 13 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमरीका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप एक हाथ से देने और दूसरे हाथ से लेने में अच्छी तरह से कामयाब दिखाई दिए। दोनों देशों ने अमरीका के व्यापार घाटे को कम करने,व्यापार पर गतिरोध के बीच टैरिफ को कम करने, अधिक अमरीकी तेल, गैस और लड़ाकू विमानों की खरीदी के बारे में बात करने और रियायतों पर भी सहमति व्यक्त की। दोनों देशों ने द्विपक्षीय समझौते के तहत भारत और अमरीका के बीच वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार के लिए 500 अरब डालर का लक्ष्य निर्धारित किया। साथ ही भारत और अमरीका भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के निर्माण के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं। निश्चित रूप से ट्रंप के द्विपक्षीय व्यापार संबंधी कुछ अपरिपक्व बयानों के बाद भी अब इसी जून माह में अमरीका के साथ शीघ्र ही भारत के अंतरिम व्यापार समझौते और फिर दिसंबर 2025 तक बीटीए से भारत अमरीका कारोबार तेजी से बढ़ते हुए दिखाई देगा।
हाल ही में प्रकाशित विदेश व्यापार के नए आंकडों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में अमरीका लगातार चौथी बार भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा। साथ ही दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 131.84 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह महत्त्वपूर्ण है कि पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में अमरीका को भारत का निर्यात 11.6 प्रतिशत बढक़र 86.51 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2023-24 में यह 77.52 अरब डॉलर था। 2024-25 में अमरीका से आयात 7.44 प्रतिशत बढक़र 45.33 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2023-24 में यह 42.2 अरब डॉलर था। अमरीका के साथ व्यापार अधिशेष पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में 41.18 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो 2023-24 में 35.32 अरब डॉलर था।
यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि पिछले दिनों ब्रिटेन के साथ हुआ भारत का एफटीए अब अमरीका और यूरोपीय संघ जैसे बड़े देशों के साथ-साथ ओमान, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, इजरायल, भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल सहित अन्य प्रमुख देशों के साथ भी एक मिसाल के रूप काम कर रहा है। हम उम्मीद करें कि भारत के द्वारा अमरीका के साथ इसी जून माह में संभावित मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के बीच 2030 तक 500 अरब डॉलर के द्विपक्षीय कारोबार के लक्ष्य के मद्देनजर मील का पत्थर साबित होगा। इससे देश से निर्यात बढ़ेंगे और बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसरों का निर्माण होगा।


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