एक दर्शन, दृष्टि और विचार है भारतः प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी
वाराणसी। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उप्र. की काशी इकाई द्वारा "विरासत भारतीय ज्ञान परंपरा" विषयक पुस्तक का लोकार्पण समारोह एवं गोष्ठी का आयोजन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के केंद्रीय पुस्तकालय के समिति कक्ष में किया गया।
समारोह का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पूर्व अध्यक्ष व "विरासत भारतीय ज्ञान परंपरा पुस्तक" के प्रधान संपादक डॉक्टर दीनानाथ सिंह ने कहा कि "शिक्षा प्रदान करने का मतलब है कि शिक्षक यह सुनिश्चित करें छात्र में नैतिकता आ रही है कि नहीं और क्या उनका चरित्र बन रहा है। ज्ञान को जानने के लिए पढ़ने की जरूरत नहीं है आप ही तो सीखने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा भारत एक भूखंड नहीं है, भारत एक दर्शन , दृष्टि और विचार है। आज संपूर्ण विश्व आतंकवाद के विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है, ऐसे में हमारी विरासत से निकले वेद मंत्रों जिसमें क्रतवो यंतु विश्वत: की बात कही गई है के मार्ग का अनुसरण करना ही सबके लिए कल्याणकारी होगा।
महासंघ की प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर निर्मला सिंह यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक, और शिक्षक के हित में समाज की अवधारणा को मजबूत करने का कार्य कर रहा है। हमें छात्र के अंदर राष्ट्रीय मनोभावों को पिरोने का कार्य करना है।
मुख्य वक्ता प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संगठन मंत्री रामाशीष ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा श्रुति स्मृति और अनुभूति पर आधारित है। परम के भी पार परम है, उसको कैसे प्राप्त करना है यह हमें सुनिश्चित करना पड़ेगा। विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के सदस्य डॉक्टर हरेंद्र कुमार राय ने कहा कि हमें अगली पीढ़ी की खुशहाली के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा की विरासत को सहेज कर रखना होगा।
इनके अलावा महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के कुल सचिव व परीक्षा नियंत्रक डॉ. विनोद कुमार सिंह एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की कुल सचिव डॉक्टर सुनीता पांडेय ने भी अपना विचार व्यक्त किया।
समारोह की अध्यक्षता महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति द्वारा नामित मुख्य अनुशास्ता प्रो. के के सिंह ने की। उन्होंने "विरासत भारतीय ज्ञान परंपरा" के संपादक मंडल और लेखकों की प्रशंसा करते हुए पुस्तक में प्रस्तुत विचारों को क्रांतिकारी आंदोलन के रूप में जन-जन तक पहुंचाने पर जोर दिया।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. अंजू सिंह ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर जगदीश सिंह दीक्षित ने किया। कार्यक्रम के संयोजन में कार्यक्रम सचिव अमिताभ मिश्र, डॉ. रवि प्रकाश सिंह, प्रो. नलिन कुमार मिश्र, डा. राम प्रकाश सिंह यादव, रजनी राय का विशेष योगदान रहा।
इस मौके पर पूर्वांचल विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव अजीत कुमार सिंह व विभिन्न विश्वविद्यालयों के कार्य परिषद सदस्य डॉ. हरिहर प्रसाद सिंह, प्रो. अशोक कुमार सिंह, प्रो. रणंजय सिंह, प्रो. प्रेम प्रकाश सोलंकी प्रो. राकेश कुमार पांडेय, प्रो. राघवेंद्र कुमार पांडेय, प्रो. नलिनी श्याम कामिल. प्रो. आनंद शंकर चौधरी, नीलम राय, नीलू त्रिपाठी, शीला यादव, गायत्री सिंह समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
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