निजीकरण के बिडिंग डॉक्यूमेंट पर विद्युत नियामक आयोग के वर्तमान अध्यक्ष नहीं दे सकते कोई अभिमत - संघर्ष समिति 

पॉवर कॉरपोरेशन प्रबन्धन द्वारा निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर नियामक आयोग की संस्तुति लेने की तैयारी 

मेरठ।   विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने कहा है कि निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर विद्युत नियामक आयोग के वर्तमान अध्यक्ष को कोई अभिमत देने का नैतिक व कानूनी अधिकार नहीं है। विद्युत नियामक आयोग को पॉवर कारपोरेशन द्वारा अवैध ढंग से नियुक्त किये गये कंसलटेंट द्वारा तैयार कराए गए निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर अपना अभिमत नहीं देना चाहिए।

            संघर्ष समिति के पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, सुहैल आबिद, चंद्र भूषण उपाध्याय, विवेक सिंह, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, आर बी सिंह, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, रामचरण सिंह, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, देवेन्द्र पाण्डेय, के.एस. रावत, राम निवास त्यागी, प्रेम नाथ राय, शशिकान्त श्रीवास्तव, मो इलियास, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, विशम्भर सिंह ने गुरूवारा को  यहां जारी बयान में बताया कि पता चला है कि विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन अरविन्द कुमार से आज पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ आशीष गोयल, निदेशक वित्त निधि नारंग, नियामक आयोग के सदस्य संजय सिंह और अवैध ढंग से नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन के साथ पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु आरएफपी डॉक्यूमेंट पर नियामक आयोग की संस्तुति लेने के मामले पर एक घण्टे से अधिक बातचीत की है। 

           संघर्ष समिति ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग को अवैध ढंग से नियुक्त किए गए, झूठा शपथ पत्र देने वाले और फर्जीवाडा स्वीकार कर लेने वाले ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन द्वारा बनाए गए निजीकरण के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर पॉवर कारपोरेशन से कोई बात नहीं करनी चाहिए। संघर्ष समिति ने कहा कि किसी भी नियम के तहत विद्युत नियामक आयोग को पावर कॉरपोरेशन के कहने पर निजीकरण के किसी दस्तावेज़ पर अभिमत नहीं देना चाहिए।

             संघर्ष समिति ने कहा कि सबसे मुख्य बात यह है कि विद्युत नियामक आयोग के वर्तमान अध्यक्ष श्री अरविंद कुमार ने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन के पद पर रहते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के साथ 6 अक्टूबर 2020 को एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किया है। यह समझौता उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री माननीय श्री सुरेश खन्ना एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री माननीय श्री श्रीकांत शर्मा की उपस्थिति में हुआ था।

           इस समझौते में लिखा गया है कि “पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लिया जाता है । इसके अतिरिक्त किसी अन्य व्यवस्था का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार हेतु कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जाएगी । कर्मचारियों एवं अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा।“

            संघर्ष समिति ने कहा कि 06 अक्टूबर 2020 के इस समझौते पर  अरविंद कुमार के हस्ताक्षर हैं। ऐसी स्थिति में जब श्री अरविंद कुमार ने ऐसे दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव वापस लेने की बात है और साफ लिखा है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा, तो श्री अरविंद कुमार विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष रहते हुए कैसे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के आर एफ पी डॉक्यूमेंट पर अपना अभिमत देने हेतु पॉवर कारपोरेशन और ग्रांट थॉर्टन के साथ मीटिंग कर रहे हैं।

  विरोध में लगातार 197 वे दिन जनपद-मेरठ में शाम 5 बजे विद्युत जानपद मण्डल प्रांगण, ऊर्जा भवन कार्यालय मेरठ में हुई विरोध सभा में सभी बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की | इं सी पी सिंह (सेवानिवृत), इं सौरभ कुमार, इं जितेंद्र कुमार, इं शशांक शुक्ला, इं राम आशीष कुशवाहा, गुरुदेव सिंह, रविंद्र कुमार, प्रेम पाल सिंह, अश्वनी कुमार, कपिल देव गौतम, जितेन्द्र कुमार आदि उपस्थित रहे |

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