पाकिस्तान की बढ़ती आर्थिक मुश्किलें
- डा. जयंतीलाल भंडारी
इन दिनों पाकिस्तान आर्थिक खस्ताहाल स्थिति के बीच एक के बाद एक नए विदेशी कर्ज लेते हुए दिखाई दे रहा है। हाल ही में प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की विकास दर महज 2.6 फीसदी है। राजनीतिक अस्थिरता, बढ़ती महंगाई और खराब विदेशी कर्ज हालात जैसे कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को लगातार पीछे कर रहे हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और पाकिस्तान खस्ताहाल है। मोदी ने पाकिस्तान को चेतावनी भी देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान भारत में आतंक का निर्यात जारी रखता है, तो उसे आर्थिक रूप से बर्बाद होना पड़ेगा। गौरतलब है कि इस समय ऑपरेशन सिंदूर से लस्त-पस्त पाकिस्तान को भारत पानी की कूटनीति और आर्थिक दबाव व आर्थिक प्रतिबंधों की रणनीति से पूरी तरह पस्त करने की डगर पर लगातार आगे बढ़ रहा है।
स्थिति यह है कि भारत के द्वारा पहलागाम आतंकी हमले के बाद विगत 23 अप्रैल से स्थगित किए गए सिंधु जल समझौते ने पाकिस्तान में भूचाल ला दिया है। इतना ही नहीं भारत ने चिनाब नदी पर बगलिहार बैराज के माध्यम से पानी के प्रवाह को रोक दिया है। साथ ही झेलम नदी पर बने किशनगंगा बांध के माध्यम से भी इसी तरह के कदम उठाने की रणनीति बनाई जा रही है। ऐसे में पानी के मुद्दे पर पाकिस्तानी संसद से लेकर सेना तक में बेचैनी देखी जा रही है। पाकिस्तानी सांसद सैयद अली जफर ने संसद में कहा कि अगर हम पानी का मुद्दा सुलझा नहीं पाए, तो भूखे मर जाएंगे। सिंधु बेसिन ही हमारी लाइफलाइन है। 90 प्रतिशत खेती इस पानी पर निर्भर है।
यह पाकिस्तान पर मंडरा रहा वॉटर बम है, जिसे निष्क्रिय करना होगा। वस्तुत: 20वीं सदी की जंग तेल पर थी, 21वीं सदी की जंग पानी पर होगी और पाकिस्तान इस समय दुनिया के पानी की कमी वाले शीर्ष देशों में शामिल है। ऐसे में इस बीच जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 27 मई को तेहरान में एक प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान कहा कि हम भारत के साथ सिंधु जल संधि समझौते सहित सभी मुद्दों पर वार्ता के लिए तत्परता से तैयार हैं, तब पूरी दुनिया में हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा किया गया यह संकल्प गुंजित हो रहा है कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते हैं। पहले भारत के हक का पानी भी भारत से बाहर जा रहा था। अब भारत का पानी भारत के हक में बहेगा। भारत के हक में रुकेगा और भारत के ही काम में आएगा। संदेश साफ है कि अब भारत इस पर कोई समझौता नहीं करेगा। साथ ही इस परिप्रेक्ष्य में विश्व बैंक के प्रमुख अजय बंगा ने कहा कि सिंधु जल संधि में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान की भूमिका सिर्फ मध्यस्थ की है और वह भारत की ओर से संधि के निलंबन पर कोई दखल नहीं देगा।
उल्लेखनीय है कि इस समय सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। चूंकि पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर रखा है, अतएव पानी संकट से परेशान पाकिस्तान लगातार भारत से गुहार लगा रहा है। 6 जून तक पाकिस्तान ने भारत को चार पत्र लिखकर इस फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है। दूसरी तरफ भारत ने जल संधि को निलंबित करने के फैसले के पीछे सीमा पार आतंकवाद को कारण बताया है। साथ ही जल परियोजनाओं को लेकर भी कुछ तकनीकी आपत्तियां हैं। निश्चित रूप से भारत पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव और आर्थिक प्रतिबंधों के कठोरतापूर्वक परिपालन की डगर पर भी तेजी आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहा है।
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि भारत पाकिस्तान को फायनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में वापस लाने की तैयारी कर रहा है। भारत ने हाल ही के दिनों में वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी संस्था एफएटीएफ को इस संबंध में जानकारी दी है। यह निर्धारित किया गया है कि भारत की तरफ से एफएटीएफ को एक विस्तृत डोजियर भेजा जाएगा जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग में शामिल संस्थाओं और लोगों के सबूत होंगे और एफएटीएफ से अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के तहत पाकिस्तान पर कार्रवाई की मांग की जाएगी। जून 2025 में एफएटीएफ की संभावित बैठक में भारत के अधिकारी शामिल होंगे और इस मुद्दे को उठाया जाएगा। ज्ञातव्य है कि पाकिस्तान को पहली बार 2008 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था और उसके बाद पाकिस्तान कभी ग्रे लिस्ट से बाहर हुआ और फिर ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया है। पिछली बार एफएटीएफ ने अक्टूबर 2022 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा दिया था। हालांकि तब पाकिस्तान को चेतावनी दी गई थी कि काउंटर फाइनेंसिंग ऑफ टेररिज्म सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए एशिया पैसिफिक ग्रुप के साथ काम करना जारी रखेगा। ऐसे में यदि अब फिर एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाता है तो यह पाकिस्तान के लिए बड़ा आर्थिक दबाव होगा। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में इस समय जो आर्थिक और महंगाई की चुनौती बढ़ती जा रही है, उसके पीछे एक खास कारण यह है कि विगत 3 मई को भारत के द्वारा पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार के कारोबार पर पूरी तरह रोक लगाई गई है। पाकिस्तान में तैयार हुए या वहां से निर्यात किए जाने वाले सभी सामानों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात और पाकिस्तान को सभी प्रकार के निर्यात पर रोक लगी हुई है। यहीं नहीं, जहां पाकिस्तान का झंडा लगे जहाजों को किसी भी भारतीय बंदरगाह पर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है, वहीं भारतीय ध्वज वाले जहाज पाकिस्तान के किसी भी बंदरगाह पर नहीं जा रहे हैं।
सरकार ने पाकिस्तान से आने वाली सभी प्रकार की डाक और पार्सल सेवाओं के आदान-प्रदान को निलंबित कर दिया है। यह निर्णय हवाई और जमीनी दोनों मार्गों पर लागू हुआ है। यह निर्णय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करते हुए दिखाई दे रहा है, क्योंकि भारत से आयातित कई वस्तुओं का परिवहन डाक सेवाओं के माध्यम से भी किया जाता है। भारत ने अटारी लैंड-ट्रांजिट पोस्ट को भी बंद कर दिया है। इस पोस्ट का इस्तेमाल दोनों देशों के बीच सामानों की आवाजाही के लिए किया जाता रहा है। यदि हम भारत और पाकिस्तान के कारोबार को देखें तो पाते हैं कि अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 के बीच भारत ने पाकिस्तान को करीब 447.65 मिलियन डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया और भारत ने इस दौरान पाकिस्तान से मात्र 0.42 मिलियन डॉलर मूल्य की वस्तुओं का आयात किया। जहां भारत पाकिस्तान पर लगाए गए कारोबार प्रतिबंध से प्रभावित नहीं हुआ है और भारत में मई माह में महंगाई घटी है, वहीं पहले से ही कर्ज में डूबे पाकिस्तान में महंगाई नियंत्रण से बाहर हो गई है। इसके चलते पाकिस्तान में आटा, दाल, चीनी, तेल और महंगे हो गए हैं। पाकिस्तान में फल और सब्जियों के दाम भी आसमान पर हैं। हम उम्मीद करें कि पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के तहत मुंहतोड़ जवाब देने के बाद अब भारत निश्चित रूप से पाकिस्तान को पानी की कूटनीति और आर्थिक दबाव व आर्थिक प्रतिबंधों की रणनीति से सफलतापूर्वक पस्त करते हुए दिखाई देगा।
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