फ्रस्ट्रेशन

       'शीबू को मैं उसके स्कूल छोड़ कर आ गया; तूने अभी तक खाना बनाना शुरु नहीं किया है। हद हो गयी। आफिस जाने का टाइम हो रहा है मेरा।'
       अभिषेक की बातें सुन अमृता झल्ला गयी- 'मैं फालतू बैठी हूँ क्या ? मैं भी तो अपना काम कर रही हूँ। देखते नहीं, स्कूल का काम निपटा रही हूँ। एन्युवल एक्ज़ाम का पेपर हैं; चेक कर रही हूँ। बस, तुम्हारा काम चिल्लाना है। कुछ करते हो घर में ?'
       -'चल, बस कर। काम कर रही हो बड़ा।'
       -'जो तुम करते हो; बस वही काम है ?'
       -'चुप रह।'
       -'तुम चुप रहो, एक दिन खाना बनने में देर हो गयी तो.. बस शुरु...!'
       -'तेरा रोज-रोज का नाटक है।'
       -'नाटक मैं नहीं, तुम करते हो।'
       इस तानाकशी के बीच अभिषेक डरे-सहमे बंटी को उसके स्कूल के लिए तैयार करने में लगा। अमृता आंसर-सीट्स के पन्नों पर कुछ ज्यादा रेड क्रॉस लाइनें खींचने लगी।
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- टीकेश्वर सिन्हा 'गब्दीवाला'

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