जल जंगल जमीन को बचाएं कृषि तकनीक को किसानों के गांव तक पहुंचाएं- विवेक रस्तोगी
विश्व पोषण दिवस पर कृषि विवि में एसएमएल लि. के सहयोग से जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
मेरठ। विश्व पोषण दिवस के अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विवि में एसएमएल लि. के सहयोग से “संतुलित पोषण से संतुलित आहार तक” विषय पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आसपास के गांवों से आए लगभग 175 किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और मृदा पोषण, फसल गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य के बीच गहरे संबंध को समझा।
कृषि महाविद्यालय के सभागार में किया गया कार्यक्रम का उद्घाटन अधिष्ठाता डॉ विवेक निदेशक ट्रेंनिंग आफ प्लेसमेंट प्रोफेसर आर एस सेंगर तथा एसएमएल लि.के मार्केटिंग वाइस प्रेसिडेंट विवेक रस्तोगी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए एसएमएल लि. के एवीपी मार्केटिंग विवेक रस्तोगी ने कहा कि भारत को विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे देशी नवाचारों और कंपनियों का समर्थन करें ताकि भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर हो सके। उन्होंने बताया कि खेती में केवल अधिक उर्वरक डालना पर्याप्त नहीं, जरूरी यह है कि पौधे कितना पोषण अवशोषित कर पा रहे हैं। संतुलित पोषण के बिना फसलें पोषक तत्वों की कमी का शिकार हो जाती हैं, जिससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होते हैं।
रस्तोगी ने बताया यूरिया और डीएपी के अत्यधिक उपयोग से बचने की सलाह दी और मृदा के पीएच संतुलन, 17 आवश्यक पोषक तत्वों और सल्फर की भूमिका को समझाने पर बल दिया। उन्होंने Techno-Z (जिंक ऑक्साइड) की अनुशंसा की, जो पारंपरिक जिंक सल्फेट की तुलना में अधिक प्रभावी व पर्यावरण अनुकूल है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अध्यक्षता कृषि डॉक्टर विवेक ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा मृदा स्वास्थ्य और फसल पोषण के आपसी संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वस्थ मृदा न केवल उपज बढ़ाती है, बल्कि खाद्य की गुणवत्ता और पौष्टिकता को भी बेहतर बनाती है।
डॉ. आर. एस. सेंगर निदेशक ट्रेंनिंग प्लेसमेंट डॉक्टर आर एस सेंगर ने कहा वर्ष 2050 तक वैश्विक जनसंख्या 9 अब से अधिक हो जाएगी तथा भूमि और जल संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव भी पड़ेगा ऐसे में हमारी वर्तमान और भविष्य की खाद्य सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि हम वर्तमान में उत्पादित मिट्टी का उपयोग करके पैदावार और खाद्य गुणवत्ता को बढ़ाने में सक्षम बने उन्होंने कहा कि सल्फर और जिंक जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की भूमिका पर विशेष बल दिया। उन्होंने बताया कि सल्फर पौधों में प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होता है और जिंक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे बेहतर स्वास्थ्यवर्धक खाद्यान्न का उत्पादन संभव होता है।
मृदा विज्ञान के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर यू पी शाही ने अपने संबोधन में कहा कि हमें भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए जैविक संसाधनों का उपयोग करना होगा और कम से कम रासायनिक खादो और कीटनाशकों का प्रयोग करना होगा
एसएमएल के दिलीप जादौन और कमल सिंह ने किसानों को (सल्फर आधारित उत्पाद) और इमारा सल्फर व जिंक युक्त मृदा कीटनाशक के वैज्ञानिक परीक्षण दिखाए। उन्होंने बताया कि पारंपरिक मोनो जिंक सल्फेट डीएपी के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया कर फॉस्फोरस और जिंक दोनों को अनुपलब्ध बना देता है, जबकि टेक्नो-जेड ऐसा नहीं करता। फर्टिस को बेंटोनाइट सल्फर की तुलना में बेहतर बताया गया और इमारा को धान व गन्ने के लिए एक सुरक्षित एवं प्रभावशाली विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक ट्रेंनिंग प्लेसमेंट प्रोफेसर डीबी सिंह, एसोसिएट डायरेक्टर प्रोफेसर शालिनी गुप्ता, डॉ एसके गुप्ता, असिस्टेंट डायरेक्टर डॉक्टर गोविंद विश्वकर्मा, डॉ निमिषा टिहरी, डॉ सावन सिंह रावत, डॉ पंकज चौहान, डॉ निधि सिंह, डीआर निलेश कपूर, डॉ बुद्धेश गौतम, डॉ अंकुर द्विवेदी, डॉ अनु कुमारी, डॉक्टर कृतिका सिंह, डॉ प्रेरणा ,सिकरवार आदि सदस्यों के अलावा आसपास के क्षेत्र के गांव के सम्मानित प्रधान तथा भारी संख्या में किसान उपस्थित रहे।
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