छात्रों को मिली भारत के गौरवशाली उज्ज्वल विज्ञान परंपरा की जानकारी
विज्ञान के विद्यार्थियों को समझाई विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा
मेरठ। अंतरिक्ष में भारत तेजी से अपना प्रभुत्व स्थापित कर रहा है। चंद्रयान के बाद पूरी दुनिया भारत के कॉस्ट इफेक्टिव प्रोग्राम्स से प्रभावित है। अमेरिका तक अपने सैटेलाइट को लांच के लिए भारत के लांच पैड पर भरोसा करता है। आईआईएमटी विश्वविद्यालय, आईआईएमटी इंजीनियरिंग कॉलेज और भारतीय प्रज्ञान परिषद द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित संगोष्टी में एनआईटी भोपाल में पूर्व प्रोफेसर और प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक प्रोफेसर सप्रे ने भारत की आधुनिक स्पेस तकनीक के बारे में भी जानकारी दी।
आईआईएमटी विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित संगोष्ठी में भारत में विज्ञान की उज्जवल परंपरा (प्राचीन से आधुनिक काल तक) विषय पर विचार रखे गए। आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगेश मोहनजी गुप्ता ने कहा की वर्तमान में भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ऐतहासिक सफलताएं प्राप्त कर रहा है। प्रति कुलाधिपति डॉ0 मयंक अग्रवाल ने भारतीय वैज्ञानिक की प्रशंसा करते हुए वर्तमान समय को भारत के लिए स्वर्णिम काल बताया। कुलपति डॉ0 दीपा शर्मा ने संगोष्ठी केे विषय को छात्रों के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए आयोजकों की प्रशंसा की।
भारतीय प्रज्ञान परिषद की महिला आवाम की प्रांत संयोजक और इतिहास की प्रोफेसर अनीता गोस्वामी ने भारत के इतिहास की सफलताओं के माध्यम से भारत की ज्ञान और विज्ञान परंपरा की जानकारी दी। संगोष्ठी के समन्वयक इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक डॉ. धीरेंद्र कुमार अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय के बारे में जानकारी दी। आईआईएमटी विश्वविद्यालय के संदीप वर्मा ने विश्वविद्यालय के रिसर्च एवं स्टार्टअप के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ0 कुलदीप सिंह और संचालन डॉ शिल्पी सिंह ने किया। भगवती प्रसाद राघव, प्रो. वीरपाल सिंह, ईं. अवनीश त्यागी व डॉ रमाकांत का विशेष सहयोग रहा।
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