उम्र नहीं बल्कि सेहत तय करती है ब्रेस्ट कैंसर का इलाज
मेरठ: ब्रेस्ट कैंसर बुजुर्ग महिलाओं में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन इससे जुड़ी कई भ्रांतियाँ उन्हें समय पर इलाज लेने से रोकती हैं। आज के आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने यह संभव बना दिया है कि किसी भी उम्र में प्रभावी उपचार किया जा सकता है, जिससे बुजुर्ग महिलाओं को भी सही समय पर समुचित इलाज मिल सके।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी (ब्रेस्ट) विभाग की सीनियर डायरेक्टर डॉ. रजिंदर कौर सग्गू ने बताया कि “यह सोचना कि ब्रेस्ट कैंसर बुजुर्ग महिलाओं में दुर्लभ है, एक बहुत बड़ी भ्रांति है। वास्तव में, ब्रेस्ट कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढ़ता है और 65 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में इसके मामलों की संख्या सबसे अधिक देखी जाती है। दुर्भाग्यवश, कई बुजुर्ग महिलाएं नियमित स्क्रीनिंग नहीं करवातीं, जिससे उनका कैंसर देर से पकड़ में आता है। अच्छी सेहत में रहने वाली महिलाओं को 70 वर्ष की उम्र के बाद भी नियमित मैमोग्राम करवाते रहना चाहिए। स्तनों में होने वाले किसी भी बदलाव को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और नियमित स्वास्थ्य जांच आवश्यक है ताकि समय पर बीमारी का पता चल सके।“
एक और आम गलत धारणा यह है कि बुजुर्ग महिलाओं को आक्रामक उपचार की आवश्यकता नहीं होती। हकीकत यह है कि अगर इलाज को उनके समग्र स्वास्थ्य और सहनशक्ति के अनुसार ढाला जाए, तो कई बुजुर्ग महिलाएं सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी जैसे इलाज अच्छी तरह सहन कर सकती हैं। आज के समय में ब्रेस्ट-कंजरविंग सर्जरी या मास्टेक्टॉमी जैसी शल्य प्रक्रियाएँ पूरी तरह सुरक्षित हैं यदि रोगी की सही तरीके से जांच की जाए। अत्याधुनिक रेडिएशन तकनीकों से अब साइड इफेक्ट्स भी कम हो गए हैं। हार्मोनल और टारगेटेड थेरेपी जैसी व्यक्तिगत रूप से अनुकूलित इलाज पद्धतियाँ रोगी को बेहतर परिणाम देती हैं और दुष्प्रभाव भी कम करती हैं।
यह धारणा कि धीरे-धीरे बढ़ने वाले कैंसर के लिए जल्द इलाज की आवश्यकता नहीं होती, भी भ्रमित करने वाली है। कुछ ब्रेस्ट कैंसर जरूर धीमी गति से बढ़ते हैं, लेकिन कई प्रकार आक्रामक भी हो सकते हैं। अगर इलाज में देरी की जाती है तो कैंसर शरीर में फैल सकता है, जिससे उपचार की प्रभावशीलता घट जाती है। हर केस की समय पर जांच होनी चाहिए और जीनोमिक परीक्षण से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कैंसर कितना आक्रामक है।
डॉ. रजिंदर ने आगे बताया कि “कीमोथेरेपी को लेकर यह भी धारणा है कि यह बुजुर्ग महिलाओं के लिए बहुत कठोर होती है। हालांकि, आज के समय में कीमोथेरेपी की खुराक को रोगी की सहनशक्ति के अनुसार अनुकूलित किया जाता है, जिससे इलाज अधिक सहनीय बन जाता है। कुछ लोग मानते हैं कि इलाज से ज्यादा जीवन की गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। लेकिन सच्चाई यह है कि उचित इलाज न केवल जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखता है, बल्कि दर्द को कम करने, लक्षणों को नियंत्रित करने और रोग की प्रगति को रोकने में भी मदद करता है। इसलिए यह आवश्यक है कि एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जाए, जो दीर्घायु और जीवन की गुणवत्ता – दोनों का ख्याल रखे। दर्द प्रबंधन, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और फिजियोथेरेपी जैसी सहायक देखभाल सेवाएँ भी इलाज के परिणामों को बेहतर बनाती हैं।“
आगे का रास्ता स्पष्ट है – हर महिला को, चाहे उसकी उम्र कुछ भी हो, उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल का अधिकार है। चूंकि ब्रेस्ट कैंसर बुजुर्ग महिलाओं में सामान्य है, इसलिए शीघ्र पहचान और उचित इलाज अनिवार्य है। आधुनिक उपचार प्रभावी हैं और दुष्प्रभावों को कम करते हुए स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। सही रणनीति अपनाकर बुजुर्ग महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर को सफलतापूर्वक नियंत्रित कर सकती हैं और एक सक्रिय, पूर्ण जीवन जी सकती हैं।
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