आम और दूसरे फलों के लिए फ्रूट बैगिंग तकनीक बागवानी किसानों के लिए बनेगी संजीवनी
 

 यूपी सरकार दे रही 50 फीसदी सब्सिडी, आम या अन्य फलों में बैगिंग से फल में कीट, फंगल इंफेक्शन से नुकसान और मौसम के दुष्प्रभाव से सुरक्षा करती तकनीक 

मेरठ।  प्रदेश सरकार द्वारा बागवानी किसानों के चलायी जा रही  फ्रूट बेंगिग तकनीक  किसानों के संजीवनी बन रही है। इस तकनीक से हर किसानों को कीटों से हो रहे नुकसान से फलों को बचाया जा रहा है। इसके लिए उद्यान विभाग सब्सिडी भी दे रहा है। 

जनपद में  लगभग 17 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम का उत्पादन होता है। मेरठ के किठौर ,शाहजहापुर, लावड़ ,ललियाना, खरखौदा, कैली, सिवालखास, सरधना , सरूरपुर, मवाना व हस्तिनापुर आदि स्थानों पर काफी संख्या में बाग है। जहां पर विभिन्न प्रकार के फलों के पेड़ मौजूद है। इन बागों से हर साल करोड़ो रूपये के फल मेरठ आसपास के जिले ही नहीं वरन विदेशों तक में फलों की सप्लाई की जाती है।

आम को एक्सपोर्ट करने के लिए अच्छी क्वालिटी के साथ उसका सही वजन भी जरूरी है। आम उत्पाकनीक में एक किलो आम फ्रूट बैगिंग पर लगभग दो रूपये का खर्चा आता है। इसके लिए दक इस बैगिंग से फल की गुणवत्ता बेहतर बना सकते है। बैगिंग को लेकर लखनऊ में सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टीकल्चर (CISH) में ट्रेनिंग भी दी जाती है। एक किलो आम की फ्रूट बैगिंग पर लगभग 2 रुपये खर्च होते हैं।  इसके लिए उद्यान विभाग सब्सिडी भी दे रहा है। 

मेरठ मंडल के उपनिदेशक विनीत कुमार ने बताया कि यूपी के ऐसे फल उत्पादक, जो फलों को सुरक्षित और बेहतर बनाना चाहते हैं। वह फ्रूट बैग तकनीक का सहारा ले सकते हैं। इसके लिए खास योजना उद्यान विभाग लाया है। इसमें सरकार 50 फीसदी धनराशि का सहयोग भी करेगी। अब कोई भी फल खराब नहीं होगा, बीमारी भी नहीं लगेगी। कीमत भी अच्छी मिलेगी। 

मेरठ मंडल के हर जिले में आम का उत्पादन

 मेरठ मंडल के मेरठ जिले में ही अकेले दो फल पट्टी हैं, जिनमें किठौर क्षेत्र और दूसरा जानी क्षेत्र है. इसी तरह से बागपत जिले में एक-एक फल पट्टी है. वहीं बुलंदशहर जिले में दो फल पट्टी हैं। मेरठ में लगभग 17 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम का उत्पादन होता है। वहीं बुलंदशहर जिले में लगभग 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम के बाग हैं।  हापुड़ जनपद में 7 हजार हेक्टेयर में आम के बाग हैं।  बागपत में 400 हेक्टेयर में आम के बाग हैं।

आम से बागों में आई है रौनक

 मई का महीना चल रहा है। आम पेड़ों पर दिखाई देने लगे हैं।  कई बार आम की पैदावार का बड़ा हिस्सा खराब हो जाता है। बाजार पहुंचते ही लोग उच्च गुणवत्ता के फल की मांग करते हैं। क्वालिटी के लिए लोग पैसे भी खर्च करने के लिए तैयार होते हैं। यूपी उद्यान विभाग भी इस दिशा में प्रयास कर रहा है। आम के फल पर बैगिंग करने से आम की गुणवत्ता बढ़ेगी। 

बीमारी से बचेगा फल

 ऐसे बैग को फल को पहना कर उसे सुरक्षित किया जा सकता है।  फल सुरक्षित रहेगा और फल में कीड़े नहीं लगेंगे।  कोई रोग नहीं होगा।  फल को पक्षी भी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।  विशेष बैग से फल अधिक सुरक्षित रहता है और उसकी गुणवत्ता भी सुधरती है। सुंदरता भी बनी रहती है। 

अमरूद पर भी लगाए जा सकते हैं पेपर बैग

आम के साथ ही खास बैग अमरूद पर भी लगाए जा सकते हैं. अमरूद में विभिन्न प्रकार की बीमारियां लगने का खतरा बना रहता है। ऐसे में खास बैग फल को सुरक्षित रखते हैं। प्रदेश के सभी जिलों में एकीकृत बागवानी मिशन योजना चल रही है। इस योजना के तहत पूरे प्रदेश में प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की धनराशि फलों को सुरक्षित करने के लिए फ्रूट बैग लगाने के लिए दी जा रही है।

अनुदान मिलेगा, बढ़ेगी इनकम

 उद्यान विभाग फ्रूट बैग के लिए 50 फीसदी अनुदान भी दे रहा है।  उप निदेशक उद्यान विभाग विनीत कुमार बताते हैं कि इस अनुदान को पाने के लिए और फ्रूट की गुणवत्ता को सुधारने के लिए किसान स्कीम का लाभ ले सकते हैं। किसान ऑनलाइन भी अपना आवेदन कर सकते हैं। कोई भी समस्या है तो वह नजदीकी उद्यान विभाग के ऑफिस भी जा सकते हैं। वहां भी अपना पंजीकरण फ्रूट बैग स्कीम का लाभ लेने के लिए करा सकते हैं।

किसानों के लिए फायदे का सौदा है ये तकनीक

औसतन 600 बैग एक पेड़ पर लगाए जा सकते हैं. उद्यान विभाग के मुताबिक जनपद मेरठ से दस लाख, बुलंदशहर जिले से 5 लाख, बागपत जिले से विभाग ने 5 लाख बैग की मांग की है। 

मेरठ मंडल से बड़े पैमाने पर निर्यात होता है आम

 मेरठ मंडल से आम मिडिल ईस्ट के देशों जैसे दुबई और अन्य कई देशों में जाता है।  इसके अलावा यूरोप के देशों में भी आम निर्यात होता है। जापानी भी मेरठ के आम को पसंद करते हैं।  कुछ अलग-अलग एजेंट और कम्पनियों के माध्यम से भी आम देश के अलग-अलग भागों के अलावा निर्यात भी किया जाता है। 

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