समय से पहले मानसून
इलमा अज़ीम
समय से पहले मानसून का आना मौसम के पैटर्न में एक व्यवधान का संकेत हो सकता है, जो कृषि से लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे तक कई क्षेत्रों में अनपेक्षित और नकारात्मक परिणाम पैदा कर सकता है। इस साल बहुत पहले और बरसात का प्रमुख कारण समुद्री सतह के तापमान में वृद्धि माना जा रहा है।
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से अधिक हो जाने से मानसून जल्दी शुरू हो सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण महासागरों का तापमान बढ़ रहा है, जिससे वायुमंडल में नमी बढ़ती है और बादल जल्दी बनते हैं। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। सर्दियों में ‘अल-नीनो’ और अन्य मौसमों में ‘ला नीना’ जैसी वैश्विक मौसमी घटनाएं भारत के मानसून-तंत्र को प्रभावित कर रही हैं, जिससे मानसून का समय और स्वरूप दोनों ही अस्थिर हो रहे हैं।
वैश्विक तापमान बढ़ने के चलते यूरेशिया और हिमालय में बर्फ का कम होना और तेजी से पिघलने ने भी जल्दी बरसात को बुलावा दिया है। बर्फ की कमी से जमीन जल्दी गर्म हो जाती है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र मजबूत होता है, जो मानसूनी हवाओं को अपनी ओर खींचता है और मानसून को जल्दी ला सकता है। जल्दी मानसून के कुछ वैश्विक कारक भी हैं। अल नीनो की तरह इनमें से एक मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन हिंद महासागर में बादलों और बारिश को प्रभावित करने वाली एक वैश्विक मौसमी घटना है। इसके अनुकूल चरण (चरण-3 और चरण-4 की शुरुआती गतिविधि) मानसूनी हवाओं के लिए अनुकूल परिस्थितियां बना सकते हैं और मानसून को जल्दी ला सकते हैं। एक अन्य कारण वैश्विक कारक सोमाली जेट है।
मॉरीशस और मेडागास्कर के पास से निकलने वाली एक प्रमुख निम्न-स्तरीय पवन धारा – मई 2025 में तीव्र हो गई। यह जेट अरब सागर के पार केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र सहित भारत के पश्चिमी तट पर नमी से भरी हवा पहुंचाता है। इस साल इसकी असामान्य ताकत मानवजनित प्रभावों के कारण प्रतीत होती है। किसानों को अक्सर मानसून के एक निश्चित समय पर आने की उम्मीद होती है।
यदि मानसून जल्दी आ जाता है, तो वे खेत तैयार करने, बुवाई करने या सही फसल का चुनाव करने के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं। जल्दी मानसून से उनका सामान्य फसल चक्र बाधित हो सकता है। महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में समय से पहले बरसात ने बड़े पैमाने पर फसलों को प्रभावित किया है। आम, अनार, नींबू जैसी बागवानी फसलों के साथ साथ बाजरा, मक्का की फसल भी प्रभावित हुई है।
बारिश की सबसे ज्यादा मार प्याज किसानों पर पड़ी है। इसके अलावा सोयाबीन और उड़द एवं मूंग जैसी फसलों के प्रभावित होने की भी आशंका जताई जा रही है। नासिक में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। भारी बारिश के कारण बागवानी के आलावा बाजरा, मक्का जैसी फसलों को भी नुकसान पहुंचा है।
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