निमोनिया नहीं इस बीमारी ने ली पोप फ्रांसिस की जान, डेथ सर्टिफिकेट में खुलासा

नयी दिल्ली,एजेंसी।पोप फ्रांसिस का वेटिकन सिटी में सोमवार को 88 साल की उम्र में निधन हो गया है। वो लंबे वक्त से बीमार थे। निमोनिया की शिकायत पर फ्रांसिस पिछले दिनों अस्पताल में भर्ती हुए थे। हालांकि, अब सामने आया है कि फ्रांसिस के निधन का कारण निमोनिया नहीं था।

पोप को डबल निमोनिया से पीड़ित होने के बाद फरवरी में अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वो 38 दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे। डबल निमोनिया के साथ फ्रांसिस फेफड़ों की पुरानी बीमारी का भी सामना कर रहे थे। साथ ही जिस समय वो युवा थे तब उनके फेफड़े का एक हिस्सा हटा दिया गया था। पोप को डबल निमोनिया के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था और फिर उनको मार्च में डिसचार्ज किया गया था। अस्पताल से मार्च में डिसचार्ज होने के बाद फ्रांसिस कमजोर दिख रहे थे और खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने कई कार्यक्रम भी रद्द कर दिए थे।

किस बीमारी ने ली जान

वेटिकन की तरफ से सोमवार को जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांसिस का डबल निमोनिया से सांस लेने में परेशानी पेश आने की वजह के निधन नहीं हुआ। वेटिकन की तरफ से सोमवार को जारी किए गए उनके मृत्यु प्रमाण पत्र के अनुसार, पोप फ्रांसिस की मृत्यु की वजह स्ट्रोक था जिससे वो कोमा में चले गए और “अपरिवर्तनीय” हार्ट फेलियर हो गया।

इससे पहले, जानकार सूत्रों ने इटली की एएनएसए समाचार एजेंसी को सूचित किया था कि सेरेब्रल रक्तस्राव (Cerebral Haemorrhage) पोप फ्रांसिस की मृत्यु का एक संभावित कारण था। इन सूत्रों ने एएनएसए को सूचित किया कि पोप फ्रांसिस की मृत्यु के संभावित कारणों में से एक सेरेब्रल रक्तस्राव था और मृत्यु की वजह सांस लेने की परेशानी सीधे तौर पर नहीं थी। वेटिकन के प्रवक्ता माटेओ ब्रूनी ने पहले मीडिया को बताया था कि पोप फ्रांसिस की मौत का सही कारण “आज शाम” (वेटिकन समय) बताया जाएगा।

ईस्टर पर की थी लोगों से मुलाकात

अस्पताल में भर्ती होने के दौरान, फ्रांसिस को कम प्लेटलेट होने के चलते एनीमिया का भी सामना करना पड़ा। डॉक्टरों की तरफ से आराम करने की सलाह दिए जाने के बावजूद, वह ईस्टर के मौके पर रविवार को अप्रत्याशित रूप से सार्वजनिक रूप से उपस्थित हुए थे। डबल निमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती होने के बाद वो ईस्टर के मौके पर पहली बार पब्लिक के सामने आए थे।उन्होंने सेंट पीटर स्क्वायर में इकट्ठा हुए 35,000 लोगों का अभिवादन किया. परंपरा के अनुसार, पोप फ्रांसिस ने बेसिलिका की बालकनी से “उरबी एट ओर्बी” आशीर्वाद – “शहर और दुनिया के लिए” लैटिन में दिया।

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