स्कूली शिक्षा बने उत्कृष्ट
इलमा अज़ीम
प्रदेश में स्कूल चलो अभियान जोरशोर से शुरू कर दिया गया है। यह बेहद जरूरी भी है क्योंकि प्रत्येक देश के विकास में उस देश की शिक्षा प्रणाली का बहुत बड़ा योगदान होता है। स्कूल चलो अभियान शुरू करने के साथ ही हमें स्कूल शिक्षा प्रणाली की कमियों को दूर भी करना होगा। इनमें सुधार करना बहुत जरूरी है।
यदि हमें तेज गति से आर्थिक विकास करना है तो हमें अपनी स्कूल शिक्षा व्यवस्था बेहतर स्तर की बनानी ही होगी। इसके लिए मिडल स्तर के ऊपर के स्कूल छात्रों को वास्तविक जीवन से परिचय करवाइए। उन्हें हवा-हवाई कथाएं न सुनाएं। उन्हें किसी भी तरह की आसमानी किताब न पढ़ाएं। उन्हें जीवन जीना सिखाएं। प्रैक्टिकल बनाएं, ताकि आने वाली पीढिय़ों में एक समझदार एवं सभ्य समाज का निर्माण हो सके।
याद रहे कि सांस्कृतिक शिक्षा भी जरूरी है ताकि लोग नैतिक बनें। परंतु यह नैतिकता उनकी अपनी हो, उनके अंदर से आई हो। शिक्षा हमें अपने परिवार, समाज, रीति-रिवाजों, संस्कारों, मूल्यों, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि व हमारे इतिहास आदि से परिचित करवाती है। शिक्षा हमें नैतिकता सिखा कर, हमारे कर्तव्यों के बारे में बताकर समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बनाने में हमारी मदद करती है। इसके लिए स्कूल न जाने वाले बच्चों के लिए आयु के अनुसार विशेष प्रशिक्षण और बड़े बच्चों के लिए आवासीय और गैर-आवासीय प्रशिक्षण, विशेष प्रशिक्षण केंद्र, आयु के अनुसार आवासीय और गैर-आवासीय प्रशिक्षण, एनआईओएस, एसआईओएस के माध्यम से शिक्षा पूरी करने के लिए स्कूल न जाने वाले बच्चों (16 से 19 वर्ष) को सहायता, समग्र प्रगति कार्ड, द्विभाषी शिक्षण सामग्री और पुस्तकें मुहैया कराना जरूरी है।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उच्च माध्यमिक स्तर तक नए स्कूल खोलने, सुदृढ़ करने, स्कूल भवनों और अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण, वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्रों में स्कूल के बुनियादी ढांचे के विकास, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की स्थापना, उन्नयन और संचालन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालयों की स्थापना, पीएम-जनमन के तहत पीवीटीजी के लिए छात्रावासों का निर्माण, एसटी आबादी के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत छात्रावासों का निर्माण और शिक्षक प्रशिक्षण को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जाने होंगे।
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