राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान आयोडीन युक्त नमक की अनिवार्यता पर ज़ोर
मेरठ। भारत में इतनी बड़ी आबादी के लिए पर्याप्त पोषण सुनिश्चित करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को अक्सर प्रछन्न भूख (हिडन हंगर) कहा जाता है और इससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं। इससे प्रतिरक्षा तंत्र कमज़ोर होता है, संज्ञानात्मक विकास धीमा होता है और थकान जैसी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। मुख्य खाद्य पदार्थों और नमक का फोर्टिफिकेशन इन पोषण संबंधी फर्क को पाटने के लिहाज़ से एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में उभरा है। सरल लेकिन शक्तिशाली हस्तक्षेप के रूप में फोर्टिफाइड नमक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करता है, जो बहुत से लोगों को उनके नियमित आहार से नहीं मिल सकते। मार्च को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है और यह संतुलित आहार तथा आवश्यक पोषक तत्वों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने का समय होता है।
टाटा साल्ट पंच तत्व: टाटा साल्ट पंच तत्व पोषण बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के तौर पर पांच पोषक तत्वों- कैल्शियम, ज़िंक, आयोडीन, विटामिन बी3 और विटामिन बी6 का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है। कैल्शियम हड्डियों को मज़बूत बनाने में मदद करता है, जिंक प्रतिरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विटामिन बी3 ऊर्जा उत्पादन में सहायता करता है, विटामिन बी6 थकान कम करने में मदद करता है और आयोडीन मानसिक विकास में मदद करता है।
टाटा साल्ट इम्यूनो: हर भोजन के साथ इम्युनिटी बढ़ाता है: टाटा साल्ट इम्यूनो, एक अन्य नवोन्मेषी पेशकश है, जिसमें आयोडीन और ज़िंक दोनों मिले होते हैं। आयोडीन मानसिक विकास में मदद करता है, जबकि ज़िंक प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इससे यह नमक रोज़मर्रा के भोजन को पोषणयुक्त बनाने में मदद करता है।
भारत में नमक आयोडीनीकरण का विकास: भारत में नमक के आयोडीनीकरण की शुरुआत 1950 के दशक में हुई, जिसका लक्ष्य था आयोडीन की कमी से होने वाले विकारों (आईडीडी) से निपटना। 1960 के दशक में ऐतिहासिक कांगड़ा घाटी परियोजना ने साबित किया कि गॉयटर आयोडीन की कमी के कारण होता है और कहा कि पोटेशियम आयोडेट के इस्तेमाल से तैयार आयोडीन युक्त नमक सबसे प्रभावी समाधान है। इसके परिणामस्वरूप सार्वभौमिक नमक आयोडीनीकरण की शुरुआत हुई, जिसे आधिकारिक तौर पर 1992 में अनिवार्य कर दिया गया। इस तरह गैर-आयोडाइज्ड नमक की बिक्री पर प्रतिबंध लगा और देश भर में आयोडीन युक्त नमक की पहुंच सुनिश्चित हुई। पिछले कई साल से सरकारी पहलें, गैर सरकारी संगठनों और शोध संस्थानों के साथ मिलकर आईडीडी से निपटने के लिए मिलकर आगे बढ़ रही हैं। इस आंदोलन के अग्रदूतों में टाटा साल्ट भी शामिल है, जिसने 1983 में अपनी स्थापना के बाद से भारत में आयोडीन युक्त नमक को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नमक का फोर्टिफिकेशन क्या है: विटामिन तथा मिनरल सहित सूक्ष्म पोषक तत्व बेहतर स्वास्थ्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, भारत में बहुत से लोग आहार संबंधी दिक्कतों या जागरूकता की कमी के कारण अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते हैं। आयोडीन, आयरन, ज़िंक और अन्य आवश्यक विटामिनों की पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नमक का फोर्टिफिकेशन प्रभावी तरीकों में से एक है जो पोषण संबंधी कमियों को दूर करने में मदद करता है।
फोर्टिफाइड नमक का बढ़ता दायरा: नमक के फोर्टिफिकेशन में आयोडीन के अलावा कई पोषक तत्वों को शामिल किया गया है। इसका लक्ष्य है, व्यापक पोषक तत्वों की कमी को दूर करना। उदाहरण के लिए, डबल-फोर्टिफाइड नमक में आयोडीन और आयरन होता है, जो एक साथ दो प्रमुख पोषण संबंधी परेशानी से निपटता है।
बेहतर पोषण वाले भविष्य की ओर: यूनिवर्सल साल्ट आयोडाइजेशन की सफलता के बावजूद, 100 प्रतिशत राष्ट्रव्यापी कवरेज सुनिश्चित करना प्राथमिकता बनी हुई है। राष्ट्रीय पोषण माह सोच-समझ कर आहार चुनने की आवश्यकता की याद दिलाता है। उपभोक्ता फोर्टिफाइड नमक का चुनाव कर बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में छोटा ही सही लेकिन महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं और इससे देश भर में हर घर तक आवश्यक पोषक तत्वों की पहुंच सुनिश्चित होगी। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी भारत में स्वास्थ्य से जुड़ी बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है। नमक सहित मुख्य खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन इनकी कमी को दूर करने के लिए प्रभावी माध्यम के रूप में उभरा है।
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