कार्यभार ग्रहण करते ही लिया गन्ना आयुक्त ने  एक्शन

 किसानों की खड़ी गन्ना फसल की सुरक्षा के दृष्टिगत

 कीट रोगों के आकलन के लिये वैज्ञानिक टीमें गठित गन्ना आयुक्त

 गन्ने की खड़ी फसल में पायरिला तथा टॉप बोरर के संक्रमण की प्राप्त हो रही सूचनाओं का लिया संज्ञान

 स्थलीय भ्रमण कर संक्रमण का स्तर एवं प्रभाव का सत्यापन करने हेतु सभी 09 परिक्षेत्रों हेतु वैज्ञानिकों की 3 टीमों का गठन

लखनऊ /मेरठ। नवागन्तुक आयुक्त, गन्ना एवं चीनी  प्रमोद कुमार उपाध्याय ने बताया कि कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर विभाग के महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा में प्रदेश की पेड़ी गन्ने एवं शरदकालीन बुआई के अन्तर्गत पौधा फसल में पायरिला एवं टॉप बोरर का प्रभाव देखे जाने और इससे विभिन्न क्षेत्रों के किसानों की चिन्ता से अवगत कराया गया।

 सामान्यतया यह समय टॉप बोरर के प्रथम व द्वितीय ब्रूड का समय है, इसी प्रकार पायरिला का भी असर देखा जा रहा है, इसके साथ उसका परजीवी कीट भी दिखाई दे रहा है और प्रभावी नियंत्रण इसके परजीवी कीट द्वारा हो सकता है जो स्वाभाविक रूप से पायरिला के साथ-साथ ही खेत में आ जाता है। वर्तमान समय में इनके उपचार के लिए भौतिक विधियां जैसे-लाइट एवं फैरोमोनट्रैप, रोगी पौधों को उखाड़कर नष्ट करना एवं प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट करना ट्राइको कार्ड लगाकर जैसे उपायों को अपनाकर फसल को काफी हद तक बचाया जा सकता है, किन्तु इनका कीटों का प्रभाव अधिक होने तथा परजीवी कीट/ट्राइको कार्ड की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने पर रासायनिक नियंत्रण आवश्यक हो जाता है। अतः गन्ना किसानों की गन्ना फसल के रोग-कीटों से समय रहते बचाव / नियंत्रण तथा अच्छा उत्पादन प्राप्त करने हेतु तत्काल वैज्ञानिकों की टीम गठित कर सत्यापन कराना समय की जरूरत प्रतीत होती है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश की पेड़ी गन्ने एवं शरदकालीन बुआई के अन्तर्गत बोई गई पौधा फसल में टॉप बोरर, पायरिला व अन्य कीटों तथा लाल सड़न, बिल्ट, पोक्का बोइंग आदि रोगों के बचाव व प्रभावी नियंत्रण हेतु त्रिस्तरीय टीम का गठन किया गया है। परिक्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्त अपने-अपने परिक्षेत्र हेतु गठित टीमों से समन्वय कर, परिक्षेत्र के प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण करायेंगे और गठित टीमें अपने-अपने आवंटित परिक्षेत्र में स्थलीय भ्रमण कर टॉप बोरर, पायरिला व अन्य कीटों तथा लाल सड़न, बिल्ट, पोक्का बोइंग आदि रोगों के बचाव व प्रभावी नियंत्रण हेतु 15 दिवस के अंदर अपनी संस्तुति विभाग को प्रेषित करेंगी। वैज्ञानिक संस्तुतियों के अनुसार रोग/कीटों के प्रभावी नियंत्रण हेतु सभी आवश्यक कदम अनिवार्य रूप से उठाये जायेंगे।


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