मेरठ का फर्जी विजलेंस अफसर मुरादाबाद में धरा गया
नीली बत्ती लगाकर गांठता था रौब , आरोपी के पास से मिली एडिशनल कमिश्नर का फर्जी आई-कार्ड
मुरादाबाद। मुरादाबाद पुलिस ने एक फर्जी विजिलेंस अफसर को गिरफ्तार किया है। पकड़ा गया ठग खुद को SIB का एडिशनल कमिश्नर बताकर पब्लिक पर रौब गांठता था।नीली बत्ती लगी कार से चलता था। ठग के पास से पुलिस ने एडिशनल कमिश्नर लिखा एक फर्जी परिचय पत्र भी बरामद किया है। जिसमें ठग पुलिस की यूनिफार्म पहने नजर आ रहा है। पकडे गये फर्जी विजलेंस अफसर को सलाखों के पीछे भेज दिया है।
एसपी सिटी रण विजय सिंह ने बताया कि, 10 मार्च को रामपुर रोड पर फ्रेंडस अपार्टमेंट निवासी सुहैल ने पुलिस से शिकायत की थी कि,नीली बत्ती लगी कार सवार लोगों ने उसका अपहरण कर लिया था।अपहरण करके उसे बिजनौर ले गए थे। जहां उसके साथ मारपीट की गई और जमीन के एक विवाद में समझौता करने के लिए धमकाया गया। इस मामले में कटघर पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके मामले की जांच शुरू की थी।छानबीन में पुलिस को कुलदीप कुमार शर्मा मिला जो कि बुलंदशहर जिले के गुलावटी का रहने वाला है। वर्तमान में वह मेरठ के पल्लवपुरम में रहता है।पुलिस ने उसे दबोचा तो उसके पास से एक XUV कार मिली, जिस पर नीली बत्ती लगी थी। उसके पास से एडिशनल कमिश्नर एसआईबी लिखा हुआ एक फर्जी परिचय पत्र भी मिला।
एसपी सिटी ने बताया कि कड़ाई से पूछताछ करने पर कुलदीप कुमार शर्मा ने बताया कि, वो कोई विजिलेंस अधिकारी नहीं है। बल्कि फर्जी विजिलेंस अधिकारी बनकर लोगों से पैसों की वसूली करता है।पूछताछ में कुलदीप ने पुलिस को बताया कि, मैंने विजिलेंस अधिकारी का फर्जी आई कार्ड बना रखा है। फर्जी तरीके से गाड़ी पर नीली बत्ती भी लगा रखी है। इसके जरिए मैं लोगों पर रौब जमाता हूं।
कुलदीप ने पुलिस को बताया कि मैं केवल आपने आपको बड़ा अधिकारी बताकर लोगों के जमीनों के विवाद निपटवाता हूं, जिसमें मुझे अच्छी-खासी कमाई हो जाती है।मैंने किसी का अपहरण नहीं किया। बल्कि मुझे पता चला था कि सुहैल अहमद और आफाक अहमद का बिजनौर में जमीन का आपसी विवाद चल रहा है। मुझे लगा कि इस विवाद को निपटा दिया जाए तो मुझे अच्छी रकम मिल सकती है।इसीलिए मैंने खुद को विजिलेंस का उच्चाधिकारी बताकर इन लोगों से संपर्क किया था। 7 मार्च को मैं सुहैल अहमद को अपनी गाड़ी में बैठाकर दूसरे पक्ष के पास नगीना बिजनौर लेकर गया था। वहां मैंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल दिखाते हुए दोनों पक्षों में समझौता भी करा दिया था।दोनों पक्ष समझौता मानकर रजिस्ट्री कार्यालय भी चले गए थे। लेकिन फैसले की कुछ शर्तों को लेकर दोनों के बीच फिर से विवाद हो गया। जिसके बाद वहां पुलिस आ गई।मैंने इन लोगों को अपनी विजिलेंस की फर्जी आईडी दिखाई थी। पुलिस के आने पर मुझे पकड़े जाने का डर था, इसलिए मैं वहां से निकल गया। लेकिन सुहैल ने शिकायत कर दी। जिससे पुलिस उस तक पहुंच गई और वह पकड़ गया।
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