विश्व महिला दिवस पर विशेष 

नारी अब अबला नहीं शिखर को छू रही 

 शिप्रा सक्सेना

8 मार्च 2025 अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस यह सुनके बहुत अच्छा लगता है इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिला । इस साल इसकी थीम है(कार्रवाई में तेज़ी लाना) इसका अर्थ है सभी  महिलाओं और लड़कियों के लिए अधिकार समानता और सशक्तिकरण आधारित है ये थीम के सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्रों में महिलाओं को आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करती है और ठोस क़दम उठाने पर ज़ोर देती है तो आज़ादी के छियत्तर सालों में हमारी महिलाएँ चाँद पर पहुँच गई हैं।  फाइटर प्लेन से ले के राष्ट्रपति बनकर देश की बागडोर संभाल रही है लेकिन व्यावहारिक तौर पर देखें ये हैं देश की महिला जनसंख्या का अंश मात्र है लेकिन आने वाले समय में ये देश का एक बड़ा हिस्सा बन जाएगा। हर महिला को अपने को पहचानने की आवश्यकता है महिलाओं की स्थिति  विदेशों में ही नहीं भारत में भी हर क्षेत्र में आगे हैं। उद्यमिता की शक्तिपुंज वन रही हैं महिलाएँ भारत में कौशल विकास और उद्यमशीलता ने महिलाओं को आगे बढ़ाया है।

न रहो कभी किसी की आश्रिता

ख़ुद बनकर स्वावलंबी बनो हर्षिता

मैं ख़ुद अपना संबल बनना है

हमें परजीवी लता नहीं बनना है।



भारत में यहाँ तक कि 25 फ़ीसदी महिलाएँ संसद में कार्यरत है और आज के समय में 48प्रतिशत महिलाओं की जनसंख्या में मात्र 18% ही महिलाएँ ही कार्यरत है । इस प्रतिशत को अभी और आगे बढ़ना है और महिलाओं को बहुत ऊँचा उठाना है मैं डॉक्टर शिप्रा सक्सैना कि महिलाओं को अपने आप को पहचानने की बहुत आवश्यकता है और किसी भी तरह का डर का सामना करने की हिम्मत होनी चाहिए और किसी भी कार्य करने की लगन होनी चाहिए और सभी महिलाओं को मैं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत शुभकामनाएं देती है।नारी सशक्तिकरण के लिए हमें बहुत बड़े कार्य करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि छोटे कार्य को बड़ी सोच से करने की आवश्यकता है । आज नारियां जिस मुकाम पर पहुंच रही हैं वह वास्तव में प्रसन्नता का विषय है ।लेकिन जिस गति से महिला उत्थान के लिए कार्य हो रहा है निश्चित रूप से नारी सशक्त होगी और वह अपने परिवार के विकास के साथ-साथ राष्ट्र के विकास में सहयोगी बनेगी। 

लेखिका वेदा इंटरनेशन स्कूल की प्रधानाचार्य है 

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