निवेशकों से लिया जो रूपये उन्हें प्लाट देने लगना था उसे भूटानी ग्रुप ने विदेश में लगा दिया 

छापेमारी के बाद  अब भूटानी ग्रुप की खुल रही पोल ,दो सौ करोड़  व्यक्तिगत संपत्ति में किए खर्च 

नयी दिल्ली। अगर आप रियल स्टेट में प्लाट या मकान लेने की सोच रहे है तो पूरी छानबीन करने के बाद ही अपना  पैसा लगाए हो सकता है अपनी जिंदगी भर की जमा पूंजी एक झटके में समाप्त हो जाए। यह बात हम वैसे ही नहीं कह रहे है। बल्कि ईडी द्वारा की गयी छापेमारी में खुलासे हो रहे है। ताजा मामला भूटानी ग्रुप का सामने आ रहा है। जिससे निवेशकों को सब्जबाग प्लाट देने के सपने  दिखाई  निवेशकों से जमकर पैसा वसूला । लेकिन ग्रुप ने निवेशकों के पैसों को उन्हें प्लाट देने के बजाय विदेशों में निवेश व अपनी स्वंय की सम्पत्ति में खर्च कर डाले। अब ईडी ग्रुप के प्रमाेटरों के खाते सीज करने के साथ उन पर कार्रवाई कर रही है। 

प्रवर्तन निदेशालय ने रियल्टी फर्म डब्ल्यूटीसी ग्रुप और भूटानी ग्रुप के खिलाफ दिल्ली-एनसीआर में छापेमारी के बाद हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति की पहचान की है। एजेंसी का कहना है कि 27 फरवरी को दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में एक दर्जन स्थानों पर डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उसके प्रमोटर आशीष भल्ला, भूटानी ग्रुप और उसके प्रमोटर आशीष भूटानी के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छापे मारे गए।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में दिल्ली-NCR में भूटानी ग्रुप और डायरेक्टर्स के यहां छापेमारी की, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।ईडी का कहना है कि छापेमारी से पता चला है कि प्रमोटरों ने निवेशकों से 3500 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटा ली, लेकिन उन्हें जो वादा किया गया वो डिलीवर नहीं किया, यानी उन्हें प्लॉट नहीं दिए गए. प्रमोटर्स ने निवेशकों के पैसे सिंगापुर और अमेरिका में निवेश कर दिए. करीब 200 करोड़ रुपए व्यक्तिगत संपत्ति खरीदने में खर्च कर दिए और आय का गबन कर लिया।अब ईडी ने एक्शन लिया है और कई संपत्ति दस्तावेज उसके हाथ लगे हैं, जिन्हें उसने जब्त कर लिया है और आरोपियों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए।

भूटानी ग्रुप और प्रमोटर्स पर दर्जनों FIR हैं दर्ज

एजेंसी ने कहना है कि तलाशी के दौरान दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 15 प्रोजेक्ट के लिए तमाम निवेशकों से 3500 करोड़ रुपए से अधिक जुटाए गए, जिससे संबंधित डॉक्यूमेंट्स मिले हैं. 15 प्रमुख प्रोजेक्ट्स में से बहुत कम डिलीवरी की गई है। जो एक सुनियोजित पोंजी स्कीम और विदेशों में धन की हेराफेरी करने के लिए शेल कंपनियों के नाम पर संपत्ति बनाने का संकेत देती है. इसके अलावा ये भी पाया गया कि 200 करोड़ रुपए से अधिक सिंगापुर और अमेरिका भेजे गए हैं।

डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उसके प्रमोटरों के खिलाफ 27 फरवरी को दिल्ली, फरीदाबाद और अन्य स्थानों पर 12 स्थानों पर तलाशी ली गई. भूटानी ग्रुप और प्रमोटर आशीष भूटानी, आशीष भल्ला के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चल रहा है। ईडी के गुरुग्राम जोनल ऑफिस से ये मामला शुरू हुआ. फरीदाबाद और दिल्ली में इनके खिलाफ दर्जनों एफआईआर दर्ज हैं. एजेंसी ने दावा किया कि प्रमोटरों ने एक आपराधिक साजिश रची और निर्धारित समय के भीतर प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया और 10 साल से अधिक समय तक खरीदारों को कोई प्लॉट नहीं दिया, प्लॉट खरीदारों से जुटाए पैसे हड़प लिए।

डब्ल्यूटीसी ग्रुप और भूटानी ग्रुप का संबंध

ईडी का कहना है कि डब्ल्यूटीसी ग्रुप के नाम पर हजारों करोड़ की संपत्ति की पहचान की गई है। इसके अलावा कई फिक्स डिपोजिट फ्रीज किए गए हैं और 1.5 करोड़ रुपए की ज्वेलरी जब्त की गई है. जब्त किए गए दस्तावेजों से पता चला है कि बड़ी संपत्ति नॉर्मल वैल्यू पर भूटानी समूह को ट्रांसफर की गई थी। जिससे घपला हुआ है. ग्रुप के नकद लेनदेन से संबंधित दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं. हालांकि भूटानी ग्रुप ने डब्ल्यूटीसी ग्रुप के साथ संबंधों के लेकर पिछले सप्ताह एक बयान जारी किया था और कहा था कि उसने हाल ही में डब्ल्यूटीसी समूह के साथ सभी संबंध तोड़ लिए हैं और अब वह ईडी के साथ अपनी जांच में पूरा सहयोग कर रहा है. भूटानी ग्रुप के बयान पर डब्ल्यूटीसी ग्रुप ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

ईडी के मुताबिक, एफआईआर में ये भी आरोप लगाया गया है कि भूटानी ग्रुप ने डब्ल्यूटीसी समूह का अधिग्रहण कर लिया है और फरीदाबाद सेक्टर 111-114 में प्रोजेक्ट को री-लॉन्च किया है। जिससे प्लॉट खरीदारों को भ्रम में रखा गया है और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की गई है. उन्हें अपनी यूनिट्स को सरेंडर करने के लिए लालच दिया गया है।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts