उर्वरकों का हो सीमित उपयोग
इलमा अज़ीम
आज हमारे देश की खेती लगातार रासायनिक खादों/उर्वरकों पर निर्भर होती चली जा रही है। यह ठीक है आज अनेक स्थानों पर ऑर्गेनिक खेती प्रचलन में है लेकिन यह भी एक कटु सत्य है कि खेती में अंधाधुंध उर्वरकों/कीटनाशकों का प्रयोग आज किया जाने लगा है। वास्तव में आज तेजी से बढ़ती आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए खेती में रासायनिक खाद के बढ़ते इस्तेमाल का आम लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। सिक्किम भारत का पहला पूर्ण जैविक राज्य है, जिसने लगभग 75,000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर जैविक पद्धतियों को लागू किया है। यहां यह भी एक तथ्य है कि जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या के मामले में भारत विश्व स्तर पर प्रथम स्थान पर है, तथा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से जैविक खेती में अग्रणी हैं, लेकिन बावजूद इसके भारतीय खेती में रासायनिक खादों का उपयोग कहीं अधिक है। दरअसल, कृषि रसायनों का इस्तेमाल फसल उत्पादन में सुधार के लिए शुरू हुआ था लेकिन वर्तमान में इन रसायनों का खेती में अधिक एवं असंतुलित मात्रा में प्रयोग हो रहा है। ये रसायन आसपास मृदा और जल निकायों में रिसते हैं और पर्यावरण को प्रभावित करते हैं। कृषि रसायनों के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आने वाले किसानों तथा उनके परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी गंभीरता से प्रभावित होता है। एक उपलब्ध जानकारी के अनुसार आज औद्योगिक उपयोग के लिए सब्सिडी वाले यूरिया का अवैध तरीके से उपयोग किया जाता है। बहरहाल, आज हमारे देश में खेती में अत्यधिक उर्वरकों का उपयोग एक जटिल समस्या बनता जा रहा है। यह ठीक है कि आज बढ़ती जनसंख्या के बीच और खेती में अधिक लाभ लेने, फसलों को बचाने, कीट-पतंगों से फसलों की रक्षा करने के उद्देश्य से देश का हर किसान उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा दे रहा है लेकिन यह भी एक तथ्य है कि आज भी हमारे देश में ऐसे बहुत से किसान हैं जिनको खेती में उर्वरकों के प्रयोग के बारे में सटीक,सही व ठोस जानकारी का अभाव है। बहरहाल, आज जरूरत इस बात की है कि सरकार उर्वरक की बिक्री की निगरानी को सशक्त करने के साथ ही सब्सिडी वाली रासायनिक खाद का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करें और उन्हें दंडित करे। सरकार के साथ ही देश के किसानों को भी यह चाहिए कि वे इस संबंध में जागरूकता बरतें।
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