भारत के ग्रीमण परिवेश में सकारात्मक परिवर्तन 

 इलमा अज़ीम 
भारत के ग्रामीण परिवेश में सकारात्मक परिवर्तन हो रहा है और इससे किसानों की आमदनी के साथ किसानों का जीवन स्तर बढ़ रहा है। हाल ही में प्रकाशित मैकिन्से ग्लोबल फार्मर्स इनसाइट सर्वे में कहा गया है कि भारतीय किसान तेजी से डिजिटल पेमेंट को अपना रहे हैं। वर्ष 2024 में भारत में 40 फीसदी किसानों के द्वारा रुपयों का भुगतान डिजिटल माध्यम से किया गया है, वहीं वर्ष 2022 में केवल 11 फीसदी किसान ही डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल कर रहे थे। यह भी पाया गया है कि 11 फीसदी किसान वर्ष 2024 में जैविक उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि वर्ष 2022 में 2 प्रतिशत किसान ही जैविक उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे थे।
 इस रिपोर्ट का यह निष्कर्ष भी महत्वपूर्ण है कि भारत के किसान औपचारिक ऋण की ओर बढ़ रहे हैं। वर्ष 2024 में 36 फीसदी किसानों ने बैंक से कर्ज लिया, जो वर्ष 2022 में केवल 9 फीसदी था। वहीं, 26 फीसदी किसानों ने सब्सिडी वाले सरकारी ऋण का उपयोग किया, जबकि वर्ष 2022 में यह आंकड़ा सिर्फ एक फीसदी था। रिपोर्ट ने यह भी बताया कि भारत के 53 फीसदी किसान फसल चक्रीकरण जैसे टिकाऊ खेती के तरीकों को अपनाने के लिए सरकारी सब्सिडी पर निर्भर हैं। सरकार इस दिशा में कई तरह से सहायता प्रदान कर रही है, जैसे कि लागत में छूट, कार्बन क्रेडिट से आय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन आदि। 


ऐसे में शहरों की तुलना में गांवों की ग्रोथ ज्यादा है। नि:संदेह ग्रामीण एवं कृषि विकास के विभिन्न अभियानों के कारण देश में ग्रामीण गरीबी में तेजी से कमी आ रही है। यह पिछले वर्ष 2024 में घटकर पांच प्रतिशत से भी कम रह गई है। साथ ही ग्रामीणों की आमदनी और क्रयशक्ति बढ़ी है। आज गांवों के लाखों घरों को पीने का साफ पानी मिल रहा है। लोगों को डेढ़ लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिरों से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं। आज डिजिटल तकनीक की मदद से बेहतरीन डॉक्टर और अस्पताल भी गांवों से कनेक्ट हो रहे हैं।


 पीएम किसान सम्मान निधि के जरिए देश को किसानों को तीन लाख करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी जा रही है। गांव के युवाओं को मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाओं के जरिए मदद की जा रही है। यह भी महत्वपूर्ण है कि डिजिटल इंडिया, शौचालय, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छ ईंधन के लिए उज्ज्वला योजना, सभी घरों में बिजली के लिए सौभाग्य योजना जैसे अभियानों से भी ग्रामीण भारत में गरीबी में कमी आ रही है। 

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