परमाणु ऊर्जा का भविष्य
 इलमा अज़ीम 
जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दों को हल करने के लिए कई देश परमाणु ऊर्जा को एक स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा स्रोत के रूप में देख रहे हैं। परमाणु ऊर्जा ने पिछले 50 वर्षों में पहले ही लगभग 70 गीगाटन (70 अरब मीट्रिक टन) कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम किया है, और इसका निरंतर विस्तार नेट जीरो इमिशन (हानिकारक उत्सर्जन के उन्मूलन) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में एआई सिस्टम के संचालन के लिए निरंतर ऊर्जा आपूर्ति की जरूरत पड़ेगी।
 पारंपरिक ऊर्जा स्रोत एआई सेक्टर की मांग पूरी नहीं कर सकते। इस समय सिर्फ परमाणु ऊर्जा ही इस जरूरत को पूरा कर सकती है। भारत ने अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण और मौजूदा संयंत्रों को अपग्रेड करना शामिल है। दुनिया में अब बड़े परमाणु रिएक्टरों के बजाय छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों का चलन बढ़ रहा है।


 भारत भी मॉड्यूलर रिएक्टरों के मामले में किसी से पीछे नहीं रहना चाहता। अभी हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आधुनिक परमाणु रिएक्टरों को संयुक्त रूप से विकसित करने की मंशा व्यक्त की, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि ऊर्जा सुरक्षा और कम कार्बन अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के लिए परमाणु ऊर्जा महत्वपूर्ण है। दोनों देशों ने छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) और एडवांस्ड मॉड्यूलर रिएक्टरों (एएमआर) के बारे में एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए।  मॉड्यूलर रिएक्टर मॉड्यूलर डिजाइन पर आधारित होता है। यह रिएक्टर छोटे और मॉड्यूलर इकाइयों में बनाया जाता है जिन्हें एक साथ जोड़कर एक बड़ा रिएक्टर बनाया जा सकता है।
 मॉड्यूलर रिएक्टर छोटे आकार में बनाए जा सकते हैं, जिससे उन्हें आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। मॉड्यूलर रिएक्टर की लागत कम होती है, क्योंकि उन्हें मॉड्यूलर इकाइयों में बनाया जाता है।  नि:संदेह, एडवांस्ड मॉड्यूलर रिएक्टरों का विकास और उपयोग परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कि सुरक्षित, कुशल और लागत-प्रभावी ऊर्जा उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है। मॉड्यूलर रिएक्टर का उपयोग विद्युत उत्पादन के अलावा उद्योगों में ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जा सकता है। इनका उपयोग विभिन्न चिकित्सा अनुप्रयोगों में भी किया जा सकता है। रेडियो आइसोटोप उत्पादन के लिए छोटे रिएक्टर बहुत उपयोगी होंगे। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं को शुरू किया है।


 देश में मॉड्यूलर रिएक्टर की स्थिति में तेजी से प्रगति हो रही है। मॉड्यूलर रिएक्टर परियोजना में अहमदाबाद में दो, काकरापार में चार, राजस्थान में दो, तमिलनाडु में दो मॉड्यूलर रिएक्टरों का निर्माण किया जा रहा है, जिनकी प्रत्येक की क्षमता 700 मेगावाट होगी। आने वाले वर्षों में कई और परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।

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