जीवन में बढ़ता एआई
इलमा अज़ीम
एआई ने चुपचाप हमारी दिनचर्या में अपनी जगह बना ली है। इसने तकनीक के इस्तेमाल के तरीके को बदल दिया है और हमारी आदतों को प्रभावित किया है। यह सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हमेशा सक्रिय रहता है। अक्सर, हमें इसकी मौजूदगी का एहसास भी नहीं होता। वास्तविक जीवन में एआई उन गैजेट को शक्ति प्रदान करता है जो हमारे घरों को नियंत्रित करते हैं।
यह थर्मोस्टेट से लेकर सुरक्षा प्रणालियों तक है। यह उत्पादों से लेकर फिल्मों तक हर चीज़ पर व्यक्तिगत सुझाव देने के लिए हमारे खोज इतिहास का विश्लेषण करता है। जैसे-जैसे एआई विकसित होता है, समाज पर इसका प्रभाव बढ़ता जा रहा है। यह रोज़मर्रा के कामों को ज़्यादा कुशल, व्यक्तिगत और स्वचालित बनाता है। कुल मिलाकर एआई अनगिनत तरीकों से हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है। इसी के मद्देनजर एआई क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, मोदी सरकार ने 2024 में 10,300 करोड़ रुपए के आबंटन के साथ इंडिया एआई मिशन को मंजूरी दी। अगले पांच वर्षों में यह निर्धारित निधि इंडिया एआई मिशन के विभिन्न घटकों को गति प्रदान करने के लिए तैयार है।
मोदी सरकार ने उल्लेखनीय रूप से, भारत के जीपीयू बाजार को खोलने की शानदार पहल की है और यह भारत में जीपीयू बाजार खोलने वाली पहली सरकार है, जिससे छोटे स्टार्टअप, शोधकर्ता और छात्र उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग संसाधनों तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं। सरकार जल्द ही एक सामान्य कंप्यूट सुविधा शुरू करेगी जहां स्टार्टअप और शोधकर्ता कंप्यूटिंग शक्ति तक पहुंच सकते हैं। जबकि वैश्विक जीपीयू एक्सेस की लागत लगभग ढाई से तीन डॉलर प्रति घंटा है, मोदी सरकार इसे केवल एक डॉलर प्रति घंटा पर प्रदान करेगी।
शोधकर्ता, स्टार्टअप, शिक्षाविद, कालेज, आईआईटी सभी को इस कंप्यूटिंग शक्ति तक पहुंच मिल सकती है और वे आधारभूत मॉडल शुरू कर सकते हैं। इंडिया एआई डेटासेट प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरकार का लक्ष्य उच्च गुणवत्ता वाले, गैर व्यक्तिगत डेटासेट तक पहुंच को सुव्यवस्थित करना और एक एकीकृत डेटा प्लेटफॉर्म बनाना है। जिससे एआई संचालित नवाचार में तेजी आती है।
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